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*कन्यादान का वास्तविक अर्थ* -: कन्यादान शब्द पर समाज में *गलतफहमी पैदा हो गई है*, और अकारण *भ्रांतियां उत्पन्न* की गयी हैं," समाज को यह समझने की जरूरत है कि *कन्यादान का मतलब संपत्ति दान नही होता* और... *न ही " लड़की " का दान,"*" कन्यादान " का मतलब *"गोत्र दान " होता है*...*कन्या " पिता " का गोत्र छोड़कर " वर " के गोत्र में प्रवेश करती है,*पिता कन्या को अपने *गोत्र से विदा करता* है औरउस गोत्र को *अग्नि देव को दान* कर देता है...और *वर अग्नि देव को साक्षी मानकर कन्या को अपना गोत्र प्रदान करता है,अपने गोत्र में स्वीकार करता है इसे " कन्यादान कहते हैं*। सभी लोगो तक जानकारी साझा करे व *समाज मे भारतीय संस्कृति व परम्पराओ को लेकर जो भ्रांति उत्पन्न है उसे दूर करने में अपना योगदान दे,भारतीय संस्कृति की रक्षा हेतु निरंतर वर्तमान व भावी पीढ़ी को जागरूक करते रहे*।*देश की तरक्की तभी संभव है *जब संस्कृति जीवित हो*, 🙏🏻 प्रणाम 🙏🏻

*कन्यादान का वास्तविक अर्थ* -: 

कन्यादान शब्द पर समाज में *गलतफहमी पैदा हो गई है*, और अकारण *भ्रांतियां उत्पन्न* की गयी हैं,
" समाज को यह समझने की जरूरत है कि *कन्यादान का मतलब संपत्ति दान नही होता* और... *न ही " लड़की " का दान,"*
" कन्यादान " का मतलब *"गोत्र दान " होता है*...
*कन्या " पिता " का गोत्र छोड़कर " वर " के गोत्र में प्रवेश करती है,*
पिता कन्या को अपने *गोत्र से विदा करता* है और
उस गोत्र को *अग्नि देव को दान* कर देता है...
और *वर अग्नि देव को साक्षी मानकर कन्या को अपना गोत्र प्रदान करता है,अपने गोत्र में स्वीकार करता है इसे " कन्यादान कहते हैं*। सभी लोगो तक जानकारी साझा करे व *समाज मे भारतीय संस्कृति व परम्पराओ को लेकर जो भ्रांति उत्पन्न है उसे दूर करने में अपना योगदान दे,भारतीय संस्कृति की रक्षा हेतु निरंतर वर्तमान व भावी पीढ़ी को जागरूक करते रहे*।

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                     🙏🏻 प्रणाम 🙏🏻

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