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नवंबर 25, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

🌹🪴गीता ज्ञान🪴🌹मासिक धर्म का कारण है इंद्र के द्वारा किया गया यह पाप By बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रममसिक धर्म मासिक धर्म को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं । जहाँ वैज्ञानिक इसे एक जैविक प्रक्रिया बताते हैं वहीँ इसे हमारी प्रचलित मान्यताओं में अपवित्र कहा गया है । इस दौरान महिलाओं का मंदिरों में प्रवेश निषेध है । पवित्र कामों को करने के लिए महिलाओं को मासिक धर्म के वक्त मनाही रहती है । यह विषय हमेसा से ही चर्चा का विषय रहा है और जमाने भर के लेखकों नेऔर दार्शनिकों ने इस पर बहुत कुछ कहा है । हमारा आज का विषय मासिक धर्म से जुड़ी मान्यताओं को सही या गलत ठहरना नहीं है । हम आज आपको बताएँगे कि इस विषय से जुड़ी हमारे धर्म शास्त्रों में कौन सी कहानी बताई गयी है ।इंद्र के द्वारा किया गया पापइंद्र के द्वारा किये गए पाप की सजा सभी महिलाओं को मिली और तब से उन्हें मासिक धर्म की पीड़ा को सहना पड़ता है । हमारे धर्म शास्त्रों में कई तरह के पाप कर्मों की बात की गयी है जिनकी सजा करने वाले को नहीं वल्कि किसी दूसरे व्यक्ति को मिल जाया करती थी । अतीत में किये गए इसी तरह के पापों में से एक है इंद्र के द्वारा की गयी ब्रम्हहत्या ।एक बार की बात है देवताओं के गुरु वृहस्पति उनपर नाराज हो गए । इस मौके का फायदा उठाकर असुरों ने स्वर्ग पर हमला कर दिया । गुरु का संरक्षण ना होने के कारण सारे देवता कमजोर पड़ गए और युद्ध हार गए । असुरों ने स्वर्ग छीन लिया और देवता बेघर होकर यहाँ वहां भटकने लगे । स्वर्ग के राजा जब बेघर होकर भाग रहे थे तो उनकी मदद किसी ने नहीं की । ब्रम्हा जी ने उन्हें सलाह दी कि देवराज का यह हाल एक महात्मा का तिरस्कार करने की वजह से हुआ है । अगर देवताओं पर बृहस्पति की कृपा होती हो ये नौबत कभी ना आती । ।ब्रम्हा जी ने कहा की देवराज इंद्र को गुरु कृपा से ही स्वर्ग वापस मिल सकता है इसलिए उन्हें किसी महात्मा की शरण में जाना चाहिए । इंद्र ने वैसा ही किया और एक ज्ञानी महात्मा को प्रसन्न करने के लिए रोज उनकी सेवा करने लगे । महात्मा के लिए यज्ञ की सामग्री लेकर आते, हाथ पैर दबाते और विनम्र भाव से आज्ञा पालन करते । सब कुछ ठीक चल रहा था जब तक इंद्र ने उन महात्मा की ह्त्या नहीं कर डाली । दरअसल इंद्र को पता चला कि वो महात्मा एक असुर के पुत्र थे और यज्ञ में दी गयी सारी आहूतियां असुरों तक पंहुचा रहे थे ।इंद्र ने अपने पाप का फल स्त्रियों को दे दियापहले से ही मुसीबत में पड़े इंद्र पर अब एक और मुसीबत आ गयी क्यूंकि ब्रम्हत्या का पाप भी अब उनपर लगने वाला था । भागवान विष्णु ने इंद्र को इस पाप से बचने की सलाह दी । भागवान के कहे अनुसार इंद्र ने अपने पाप का एक चौताई हिस्सा पेड़ों को, एक चौथाई हिस्सा भूमि को, एक चौथाई हिस्सा महिलाओं को और एक चौथाई हिस्सा जल को दे दिया । इस तरह इंद्र को पाप से मुक्ति मिल गयी लेकिन पाप के एवज में इंद्र ने चारों पात्रों को एक-एक वरदान भी दिया ।इंद्र ने पेड़ों को वरदान दिया कि पेड़ एक बार कटने के बाद अपने आप को पुनः जीवित कर सकेंगे बदले में पेड़ में से गोंद निकलना शुरू हो गया । इसी तरह स्त्री को इंद्र ने वरदान दिया कि पुरुषों के मुकाबले वे चार गुना ज्यादा काम का आनंद ले सकेंगी । इसी तरह जल को इंद्र ने वरदान दिया कि आज से जल में पवित्र करने की शक्ति पायी जाएगी । भूमि को वरदान दिया कि भूमि के गड्ढे अपने आप भर जायेमसिक धर्म का वैज्ञानिक कारणवैज्ञानिकों के मत अनुसार मासिक धर्म एक साधारण प्रक्रिया है । यह स्त्री के सरीर में बने अत्यधिक मासपेशियों से उन्हें निजात दिलाता है । दरअसल स्त्री का शरीर हार्मोन में हुए बदलाव की वजह से नयी मासपेशियों को बनाता है । जब इनका इस्तेमाल नहीं होता तो शरीर इनसे छुटकारा पा लेता है और दोबारा से नयी मासपेशियां बनाना शुरू कर देता है । इतना ही साधारण है मासिक धर्म वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से ।पुरुषों को मसिक धर्म क्यों नहीं होता?पुरुषों को इंद्र ने अपने पाप का हिस्सा नहीं दिया था इसलिए उन्हें मासिक धर्म नहीं होता । वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से पुरुषों का प्रजनन तंत्र महिलाओं के प्रजनन तंत्र से अलग काम करता है । अब क्यूंकि पुरुष बच्चों को जन्म नहीं देते इसलिए उनका शरीर उसके लिए उतनी मासपेशियां नहीं बनाता ।मासिक धर्म के दौरान मंदिरों में प्रवेश पर प्रतिबंध क्यों?मंदिर में प्रवेश पवित्र व्यक्ति ही कर सकता है । पवित्र मतलब जो शरीर से पवित्र हो । प्राचीन काल में इस नियम का दुरूपयोग किया जाता रहा और छोटी जाती के लोगों को मंदिर में प्रवेश करने से रोका जाता रहा । मासिक धर्म के दौरान महिलाएं शरीर से अपवित्र होती हैं इसलिए उस वक्त उनका मंदिर में प्रवेश निषेध है ।माहवारी से हुयी बीमारियों से बचने के उपायमाहवारी यानि मासिक धर्म के वक्त गंदा कपड़ा इस्तेमाल करने से बचें । इस द्वारान अत्यधिक मेहनती काम करने से बचे ।असामान्य मासिक धर्म से कैसे बचें?मानसिक तनाव से बचें । ऐसा होने पर कुछ दिन के लिए व्ययायाम सम्बन्धी गतिविधियों पर रोक लगाएं । प्राणायाम कर सकते हैं इससे तनाव जायेगा ।क्या जानवरों को मासिक धर्म होता है?वैज्ञानिकों के अनुसार जानवरों को मासिक धर्म नहीं होता, जानवरों में यह काफी काम मात्रा में होता है जिसे वैज्ञानिक भाषा में estrous cycle कहते हैं ।क्या मासिक धर्म को रोका जा सकता है?इस प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता क्यूंकि यह बिलकुल नैसर्गिक है । महिलाओं का शरीर हर महीने बच्चा पैदा करने के लिए अपने आप को तैयार करता है । शरीर को यह पता नहीं होता कि किस महीने स्त्री गर्भवती होगी इसलिए स्त्री का शरीर अपने आप को इस काम के लिए हर महीने तैयार करता रहता है ।दोस्तों कहानी किसी लगी व्हाट्सप्प ग्रुप ज्वाइन करके जरूर बताएं । ग्रुप ज्वाइन करने के लिए यहाँ क्लिक करें – Join Whatsapp । अंत तक बने रखने के लिए आपका शुक्रिया

🌹🪴गीता ज्ञान🪴🌹 मासिक धर्म का कारण है इंद्र के द्वारा किया गया यह पाप   By  बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम मसिक धर्म  मासिक धर्म को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं । जहाँ वैज्ञानिक इसे एक जैविक प्रक्रिया बताते हैं वहीँ इसे हमारी प्रचलित मान्यताओं में अपवित्र कहा गया है । इस दौरान महिलाओं का मंदिरों में प्रवेश निषेध है । पवित्र कामों को करने के लिए महिलाओं को मासिक धर्म के वक्त मनाही रहती है । यह विषय हमेसा से ही चर्चा का विषय रहा है और जमाने भर के लेखकों नेऔर दार्शनिकों ने इस पर बहुत कुछ कहा है । हमारा आज का विषय मासिक धर्म से जुड़ी मान्यताओं को सही या गलत ठहरना नहीं है । हम आज आपको बताएँगे कि इस विषय से जुड़ी हमारे धर्म शास्त्रों में कौन सी कहानी बताई गयी है । इंद्र के द्वारा किया गया पाप इंद्र के द्वारा किये गए पाप की सजा सभी महिलाओं को मिली और तब से उन्हें मासिक धर्म की पीड़ा को सहना पड़ता है । हमारे धर्म शास्त्रों में कई तरह के पाप कर्मों की बात की गयी है जिनकी सजा करने वाले को नहीं वल्कि किसी दूसरे व्यक्ति को मिल जाया करती थी । अतीत में किये गए इसी तरह के पापों...
चमक जाएगी आपकी किस्मत, अगर भोजन करते समय रखा इन बातों का ध्यान By वनिता कासनियां पंजाब Best Direction for Eating Food: जीवन में कई घटनाएं ऐसी होती हैं, जिनको हम नजरअंदाज कर देते हैं. हालांकि, ये छोटी-छोटी बातें ज्योतिष शास्त्र के लिहाज से अहम हो सकती हैं. इन पर अगर समय रहते ध्यान दे दिया जाए तो किस्मत बदल सकती है. आज खाना खाने के दौरान होने वाली कुछ बातों के बारे में जानकारी देंगे. जिन पर अगर गौर कर सुधार लिया जाए तो घर में खुशहाली आ सकती है.  1/5 वास्तु शास्त्र के अनुसार, भोजन करते समय कुछ बातों को विशेष ध्यान रखना चाहिए. ये बातें सेहत के लिहाज से तो बढ़िया रहती हैं, साथ ही इसके ज्योतिष मायने भी होते हैं. भोजन करने के दौरान वाली ये बातें काफी आसान हैं. इन बातों पर अगर समय रहते अमल कर लिया जाए तो किस्मत साथ देने लगती हैं. 2/5 दक्षिण दिशा की तरफ कभी मुंह करने भोजन नहीं करना चाहिए. इस बात को न केवल घर में, बल्कि रेस्टोरेंट और होटल में भी अमल में लाना चाहिए. इस दिशा में मुंह करके खाना खाने से नकारात्मक विचार आते हैं.  3/5 खाना खाते समय कई लोगों को पानी पीने की आदत होती है. ऐसे मे...

कहानियां रिक्शावाला की अजब कहानी -1 BY V.K.P द ोपहर का समय था और मैं ( राजेंदर) खाना खा कर अपने रिक्शा पर बैठा आराम कर रहा था | थोड़ी ही देर में ही मुझे गुज़रे समय की बातें याद आ रही थी | मैं अपने अतीत में खो गया | बीती हुई बातें चलचित्र की तरह दिमाग में एक एक कर आने लगा |आज भी याद है मुझे , कितनी ख़ुशी हुई थी जब मेरा मेट्रिक का रिजल्ट आया था और मैंने अच्छे अंको से पास किया था | पुरे गाँव में मिठाइयाँ बांटी गई थी /उसके बाद, कॉलेज का वह पहला दिन आज तक भी नहीं भुला हूँ | जहाँ अनजान दोस्तों के बीच मुझे थोड़ी झिझक भी हो रही थी |लेकिन बड़ा आदमी बनने की ललक और भविष्य के हसीन सपने मेरे उमंगो को परवान चढ़ा रहे थे….. …पर शायद नियति को यह मंज़ूर नहीं था |फिर एक दिन मेरे जीवन में एक भूचाल सा आ गया ..अचानक मेरे पिता जी की मौत हो गई | डॉक्टर ने बताया कि उन्हें निमोनिया हो गया था |परिवार में कोहराम मच गया | और फिर मेरे कन्धों पर घर का सारा बोझ आ गया | मैंने कॉलेज की पढाई बीच में ही छोड़ दी और नौकरी की तलाश शुरू कर दी |बहुत चक्कर लगाए पर बात कहीं भी बनी नहीं |एक दिन मैं यूँही बैठा पेपर में vacancy देख रहा था तभी मेरी नज़र एक विज्ञापन पर पड़ी थी |उसमे गार्ड की नौकरी के बारे में विज्ञापन था | मैंने ऑफिस का पता नोट किया और दुसरे ही दिन अपने गाँव मुरैना, (दरभंगा) से चल कर पटना पहुँच गया |.पटना स्थित ऑफिस में enrollment के नाम पर मुझसे ५०० रूपये वसूले गए | तीन दिनों के बाद ५०० रुपया और लेकर उन्होने मेरे हाथ में अंततः जोइनिंग लेटर थमा दिया गया | लेटर पाकर मैं बहुत खुश हुआ था, सोचा कि अब मेरे दुःख – दर्द दूर हो जायेंगे |जब जोइनिंग लेटर खोल कर देखा तो उसमे वाराणसी का पता दिया हुआ था और वहाँ जाकर नौकरी ज्वाइन करने की बात थी | मुझे बहुत निराशा हुई और मैंने ऑफिस वालों से पटना में ही कही जोइनिंग कराने का आग्रह किया |लेकिन कंपनी वालों ने मना कर दिया और साफ़- साफ़ कहा …जाना है तो जाओ, नहीं तो फिर छोड़ दो |लाचार होकर मैं वाराणसी पहुँचा | यहाँ पहुँच कर मैं काफी इधर उधर भटका, लेकिन इस नाम की कंपनी मुझे नहीं मिली | मुझे एहसास हो गया था कि मैं ठगी का शिकार हो चूका हूँ |अब तो मेरे सामने कोई चारा नहीं था, सिवाए इसके कि दूसरी नौकरी यही पर ढूंढा जाए |दो दिनों तक घूम- घूम कर नौकरी ढूंढता रहा, लेकिन हर जगह एक ही सवाल….तुम्हारे लिए कोई सिक्यूरिटी देने वाला है ?मैं तो दरभंगा के एक छोटे से गाँव का रहने वाला, भला इतने बड़े बनारस शहर में मुझे कौन जानता |बचे पैसे भी समाप्त हो गए | सरकारी रैन बसेरा में अपना ठिकाना था जहाँ रिक्शे वाले आराम किया करते थे |चूँकि पैसे ख़तम हो चुके थे और मैं भूखा – प्यासा उस रैन बसेरा में उदास बैठा हुआ था | तभी रघु काका, जिनकी उम्र लगभग ६० साल की रही होगी. मेरे पास आये और पूछा …इस शहर में नए हो ?मैंने अपनी सारी कहानी सुना दी कि कैसे मैं ठगी का शिकार हुआ हूँ |शायद मेरी बातों को सुन कर उनको मुझ पर दया आयी और उन्होंने उपनी पोटली खोली जिसमे रोटी और साग था | खुद खाने लगे और मुझे भी दो रोटियां खाने को दी |मैं कल रात से कुछ भी नहीं खाया था, सो मैं जल्दी से वो रोटियां ले ली |खाने के दौरान उन्होंने कहा …देखो राजू, तुम इस शहर में नए हो और बिना जान पहचान के काम नहीं मिल सकता है | इसलिए मेरी मानो तो मेरी रिक्शा को तुम दिन में चलाओ और उसके बदले मुझे कुछ पैसे दे दिया करना | तुम्हे भी चार पैसे हो जायेंगे |मुझ बूढ़े को गर्मी के कारण दिन में रिक्शा चलाने में परेशानी होती है, इसलिए मैं इसे रात में चलाऊंगा |मरता क्या ना करता | पेट की भूख को शांत करने के लिए कोई भी काम तो करना ही पड़ेगा | मैंने उनकी सलाह मान ली और रिक्शे वालों की जमात में शामिल हो गया |अचानक मेरी तन्द्रा टूटी जब रघु काका ने आवाज़ लगाई |कहाँ खो गए राजू बेटा …रघु काका की आवाज़ सुन कर आँखे खोल कर उनको देखा |रिक्शा ले कर जाओ …रतन सेठ ने बुलाया है | शायद संकट मोचन मंदिर जाना है उन्हें…. रघु काका ने कहा |ठीक है काका, मैं अभी जाता हूँ …मैंने कहा और रिक्शा लेकर चल दिया |एक पढ़ा लिखा और स्मार्ट रिक्शा वाला होने के कारण जमात में अपनी धाक जम गई और फिर मुझे काम की कमी न रही | लगा अब ज़िन्दगी की गाड़ी पटरी पर आ गई है |इस तरह मैं राजेंदर से राजू रिक्शावाला बन चूका था | पर आज भी मेरे मन में एक सवाल टीसता है कि जब रिक्शा ही चलाना था तो पढाई लिखाई क्यों किया |इस तरह के द्वंद मेरे दिमाग में चलता रहता था … आज भी वह यही सब सोच रहा था |दिन भर रिक्शा चलाने के बाद मैं काफी थक चूका था | मैं अपने लिए जल्दी जल्दी चार रोटियां बनाई और खाना खाने बैठ गया |वह पहला निवाला मुँह में डाला ही था कि मेरी पत्नी राजो की याद आ गई |मुझे अपनी पत्नी के बारे में सोच कर काफी तकलीफ होने लगा | पुरे छ्ह महीने हो गए ..उसे देखे हुए | गरीबी के कारण एक मोबाइल भी राजो को नहीं दिला सका था |हालाँकि वह चिट्ठी लिख लेती थी और यही एक ज़रिया था उसका हाल समाचार जानने का |इस बार सोचा था कि खूब पैसे कमा कर घर जाऊंगा तो एक मोबाइल खरीद कर राजो को दे दूंगा, ताकि जब भी इच्छा हो हमसे जी भर के बातें कर सके |अभी एक साल पहले ही तो शादी हुआ है, लेकिन अभी गवना नहीं हुआ है | मुझे शादी के तुरंत बाद ही अचानक वाराणसी आना पड़ा | यह सच है कि पेट की भूख और रोजी रोटी के चक्कर में अपना देश ही छुट जाता है | यहाँ काम करूँगा तभी तो घर पैसा भेज पाउँगा |लेकिन इस बार एक विदेशी पर्यटक मिल गयी थी “अंजिला” | रेलवे स्टेशन पर अचानक उससे टकरा गया |मुझे सवारी की तलाश थी और उसे एक रिक्शावाले की | विदेशी जान कर सभी रिक्शावाले भाडा बढ़ा – चढ़ा कर मांग रहे थे |मैं चुप चाप लोगों के तमाशे देख रहा था कि किस तरह विदेश से आये मेहमान को हमलोग लुटने का प्रयास करते है |मुझे भीड़ से अकेला अलग बैठा देख कर अचानक वो मेम मेरे पास आयी और अंग्रेजी में संकट मोचन मंदिर जाने के लिए कहा |मुझे तो इंग्लिश आती थी इसलिए मैं इंग्लिश में जबाब देते हुए कहा — मंदिर दो किलोमीटर दूर है और मैं सिर्फ ५० रूपये लूँगा |मुझे अंग्रेजी में बात करता देख वह प्रभावित हो गई और मेरे रिक्शे में बैठ गई |इतने रिक्शा वालो के बीच उसने मेरा ही रिक्शा पसंद किया | फिर क्या था , एक बार जो रिक्शे पर बैठाया , तो बस उसने मेरे रिक्शे को और मुझे अपने पास ही रख लिया | वो नहीं चाहती थी कि मैं कोई दूसरी सवारी को अपने रिक्शे पर बैठाऊं | मैं दिन भर के जितने भी पैसे मांगता वो तुरंत दे देती |मुझे भी आराम हो गया था , बस रिक्शा तभी चलाता जब मेम साहिबा को कही जाना होता वर्ना उसके होटल के बाहर ही रिक्शा लगा रहता | वो जब से इंडिया आयी थी , मेरे साथ और मेरे रिक्शा पर ही घुमती थी | इसके अनेक कारण थे | ..एक तो मैं पढ़ा लिखा था, जवान था और उसकी भाषा इंग्लिश का थोडा – थोडा ज्ञान भी था |मुझे तो उसकी बातों के लगा कि वो यहाँ कोई शोध (Research ) कर रही है | शायद वाराणसी नगरी पर और यहाँ के धार्मिक आस्था पर शोध कर रही है |इसीलिए तो रोज़ कभी बाबा विश्वानाथ का मंदिर तो कभी शंकट मोचन मंदिर मेरे रिक्शे पर ही जाती रहती है |और अपनी डायरी में कुछ ना कुछ लिखते रहती है …..मुझे तो उसने अपना गाइड ही बना लिया है | बहुत सारी जानकारी मुझसे भी लेती रहती है | मैं तो पिछले दो साल से वाराणसी नगरी में रिक्शा चला रहा हूँ |अतः बहुत सारी जानकारी आसानी से दे पाता हूँ और जो जानकारी मुझे नहीं रहती है, उसे आस पास के लोगों से पूछ कर उसे बता देता हूँ | जैसे जैसे समय गुजरता गया मैं तो उसके स्वभाव, आकर्षक चेहरा और उसकी उन्मुक्त हँसी का दीवाना होता चला गया |उसमे एक अजीब तरह का आकर्षण था | वो तो अब मेरे साथ ही खाना खाती, वाराणसी शहर का भ्रमण और मेरे खाने पिने के अलावा मेरे कपडे वगरह का भी ख्याल रखती है | इतना ही नहीं , वो अपने दिल की बात भी बताती है | मैं अनायास ही उसकी ओर आकर्षित होता जा रहा था …./ ( क्रमशः )

कहानियां रिक्शावाला की अजब कहानी -1 BY V.K.P दोपहर का समय था और मैं ( राजेंदर) खाना खा कर अपने रिक्शा पर बैठा आराम कर रहा था | थोड़ी  ही देर में ही मुझे गुज़रे समय की बातें याद आ रही थी | मैं अपने अतीत में खो गया | बीती हुई बातें चलचित्र की तरह दिमाग में एक एक कर आने लगा | आज भी याद है मुझे , कितनी ख़ुशी हुई थी जब मेरा मेट्रिक का रिजल्ट आया था और मैंने अच्छे अंको से पास किया था | पुरे गाँव में मिठाइयाँ बांटी गई थी / उसके बाद, कॉलेज का वह पहला दिन आज तक भी नहीं भुला हूँ | जहाँ अनजान दोस्तों के बीच मुझे थोड़ी झिझक भी हो रही थी | लेकिन बड़ा आदमी बनने की ललक और भविष्य के हसीन सपने मेरे उमंगो को परवान चढ़ा रहे थे….. …पर शायद नियति को यह मंज़ूर नहीं था | फिर एक दिन  मेरे जीवन में एक भूचाल सा आ गया ..अचानक मेरे पिता जी की मौत हो गई | डॉक्टर ने बताया कि उन्हें निमोनिया हो गया था | परिवार में कोहराम मच गया | और फिर मेरे कन्धों पर घर का सारा बोझ आ गया | मैंने  कॉलेज की पढाई बीच में ही छोड़ दी और नौकरी की तलाश शुरू कर दी | बहुत चक्कर लगाए पर बात कहीं भी बनी नहीं | एक दिन मैं यू...