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आयकर अधिकारी कैसे बने

Skip to conte आयकर अधिकारी कैसे बने? इसके बारे में सारी जानकारी हिंदी में पढ़े। income tax officer kaise bane By वनिता कासनियां पंजाब, income tax officer kaise bane   आज की इस भागदौर भरी इस जिंदगी में हर कोई सपना देखता है और उसे पूरा करने जुटा रहता है। कोई डॉक्टर बनना चाहता है कोई इंजीनियर बनना चाहता है कोई बिजनेसमैन बनना चाहता है तो कोई पायलट तो कोई एक्टर तो क्रेटर ऐसे ही कुछ लोगो का सपना आयकर अधिकारी बनने का होता है और इस सपने को पूरा के लिए पूरी मेहनत और डेडिकेशन करने की जरूरत पड़ती है तब जाकर यह सपना पूरा हो पाता है। अगर आप भी आयकर अधिकारी बनना चाहते तो आपके इससे बनने की सारी जानकारी आपके पास होनी चाहिए। अगर नहीं है कोई बात नहीं में आज आपको बताने बाला हूँ कि  आयकर अधिकारी कैसे बने? income tax officer kaise bane.  आयकर अधिकारी बनने के लिए आपको क्या – क्या करना पड़ेगा। ताकि आप अपने इस सपने को पूरा कर सके। तो चलिए सबसे आपको जाना होगा।  income tax kya hota hai. अनुक्रम     दिखाएँ   आयकर क्या होता है? Income tax kya hota. आयकर ( income tax ) यह वह कर ( Tax...

Free blogger me GOOGLE WEB STORIES KAISE BANAYE | गूगल वेब स्टोरी कैसे बनाएं By वनिता कासनियां पंजाब !! Free blogger me Google Web Stories Kaise Banaye | फ्री ब्लॉग मे गूगल वेब स्टोरी कैसे बनाएं, Mobile Se Google Web Stories Kaise Banaye, Google Web Stories क्या है (Google Web Stories Kya Hai), Web Stories के क्या फायदे है, Google Web Stories बनाने के लिए उपलब्ध Plugin, Google Web stories पर ट्रैफिक कैसे आता है?क्या दोस्तों आपलोगों को भी गूगल पर भी स्टोरी बनाने में समस्या हो रही है तो एकदम सही पोस्ट पर आए हुए हैं आज के इस लेख के माध्यम से हम बताने वाले हैं कि “गूगल वेब स्टोरी कैसे बनाएं” (Google Web Stories Kaise Banaye) इसी के बारे में हम विस्तार से जानकारी देने वाले हैं।जैसे की हम सभी लोग जानते हैं कि गूगल दिन-ब-दिन कुछ ना कुछ नए फीचर्स लाते रहते हैं, Users को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए। हम बात कर रहे हैं Google Web Stories के बारे में गूगल वेब स्टोरी को कुछ समय पहले ही लॉन्च किया गया था लेकिन उस समय वेब स्टोरी का फीचर्स एडवांस नहीं था।बाद में गूगल वेब स्टोरी को अपडेट करके एडवांस फीचर्स लाये गये। जोकि अभी के समय पर गूगल ने वेब स्टोरी को प्रमोट कर रहे हैं यानी कि गूगल वेब स्टोरी को डिस्कवर फीचर्स में भेज रहे हैं, जिससे कि लोगों की ट्रैफिक बढ़ रही है इसके साथ ही अच्छे खासे पैसे भी कमा रहे हैं।Table of Contentsगूगल वेब स्टोरी कैसे बनाएं (Google Web Stories Kaise Banaye)गूगल वेब स्टोरी के कुछ महत्वपूर्ण फीचर्स (Web Stories Some Important Features In Hindi)खुद का एक्सपीरियंस (own experience) :-Makestories का इस्तेमाल कैसे करें? (How to use Makestories)Makestories कैसे बनाएं? (How to Make Makestories)Conclusion (निष्कर्ष) :-गूगल वेब स्टोरी कैसे बनाएं (GOOGLE WEB STORIES KAISE BANAYE)इस लेख में गूगल वेब स्टोरी कैसे बनाएं (Google Web Stories Kaise Banaye) एकदम Basic से Advance तक विस्तार पूर्वक बताए गए हैं। Step By Step Complete Guide.सबसे पहले अपने वेबसाइट के WordPress Dashboard में Log in होना है उसके बाद बाये साइड में Plugins का एक Option देखने को मिलेगा। उस पर Click करना है उसके बाद Add New पर क्लिक करना है। इसके बाद एक Search Box देखने को मिलेगा वहां पर Type करना है Google Web Stories उसके बाद सर्च कर देना है। आपके सामने ये Plugins आ जाएगा फिर इसे Install करने के बाद Activate कर लेना है।Wordpress Dashboard में Log in होना है अपने वेबसाइट के WordPress Dashboard में फिर से आ जाना है उसके बाद Web Story Plugin पर क्लिक करना है इसके बाद वह भी Stories Section में ही नीचे पर एक Setting का Options देखने को मिलेगा उस पर क्लिक करना है।Web Story Plugin पर क्लिक करना हैSetting पर क्लिक करने के बाद कुछ इस तरह के इंटरफ़ेस देखने को मिलेगा। वहां पर कुछ सेटिंग देखने को मिलेगा। सबसे पहले Google Analytics कि Tracking ID मांगी जाएगी उसे डालना है यह ट्रैकिंग आईडी आपके गूगल analytics में मिल जाएंगेSetting पर क्लिक करने के बाद कुछ इस तरह के इंटरफ़ेस देखने को मिलेगा।ऊपर में फोटो पर दूसरे Aero के द्वारा दर्शाए गए हैं वहां पर Publish Logo Upload करना है, उस Logo का Size कम से कम 96×96 pixels और Aspect Ratio 1:1 होना चाहिए।अगर आपलोगों का वेबसाइट Google AdSense या किसी दूसरे Network के द्बारा Monetize है तो वहां पर तीसरे Aero के माध्यम दिखाए गए हैं। यहां पर Ads लगाकर पैसे भी कमा सकते हैं।Monetization वाले सेक्शन में Publisher ID और Slot ID डालनी है। यहां पर एक ध्यान देने वाली बात है कि आप किस Ads Network का इस्तेमाल करते हैं जैसे कि Google Ads और Google Ads Manager जो इस्तेमाल करते हैं वह हिसाब से आपको आईडी भरना है।Ads लगाकर पैसे भी कमा सकते हैं। Monetization वाले सेक्शन में Publisher ID और Slot ID डालनी है। यह सभी सेटिंग हो जाने के बाद फिर से WordPress Dashboard में जाकर Stories पर क्लिक कर Dashboard में जाना है उसके बाद Create a story पे Click कर Stories बनाना है।अगर आपलोग अपना गूगल Web Stories बनाना चाहते हैं तो create a story पर क्लिक कर बना सकते हैं अगर चाहते हैं कि रेडीमेड स्टोरी बनाना है तो explore template पर क्लिक कर आसानी से बना सकते हैं।गूगल वेब स्टोरी के कुछ महत्वपूर्ण फीचर्स (Web Stories Some Important Features In Hindi)अपने वेबसाइट का WordPress Dashboard Open करने के बाद Stories में क्लिक करना है, उसके बाद Dashboard पर जाकर Create New Story पर क्लिक करना है। गूगल वेब स्टोरी के कुछ महत्वपूर्ण फीचर्स (Web Stories Some Important Features In Hindi) के बारे में बताएं हैं, जोकि कई फीचर्स दिए हुए हैं।MediaMedia के Option से अपने Website में Copyright free Images, Video किसी दूसरे वेबसाइट से डाउनलोड करके आपलोड कर सकते हैं। Google Web Stories बनाने के लिए या अपने वेबसाइट पर अपलोड किए गए Image ओर Video को भी इस्तेमाल कर सकते हैं।Media के Option से अपने Website में Copyright free Images, Video किसी दूसरे वेबसाइट से डाउनलोड करके आपलोड कर सकते हैं। Google Web Stories बनाने के लिए या अपने वेबसाइट पर अपलोड किए गए Image ओर Video को भी इस्तेमाल कर सकते हैं।Third Party MediaMedia के Right Side में आपको एक Option देखने को मिलेगा Third Party Media यहां पर क्लिक करने के बाद एक डैशबोर्ड में ही आपलोगों को बहुत सारे फोटो एवं वीडियो मिल जाएंगे कॉपीराइट फ्री जोकि गूगल वेब स्टोरी बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं यह सारे फोटो एवं वीडियो लिए गए हैं Unsplash वेबसाइट से बिल्कुल मुफ्त है।TextText पर Click करके Media या Third Party Media से लिए गए फोटो एवं वीडियो के ऊपर Web Stories में Text लगा सकते हैं। जिस प्रकार हमलोग WordPress में जब आर्टिकल पोस्ट करते समय Heading (H1, H2, H3) और Paragraph का इस्तेमाल करते हैं उसी प्रकार यहां पर भी कर सकते हैं।Shapes & StickersShapes & Stickers में क्लिक कर अच्छे-अच्छे Shapes एवं Stickers कई सारे मिल जाएंगे जोकि इन सब का Use कर एक अच्छे Professional Web Stories बना सकते हैं।Page TemplatesPage Templates यहां पर आपलोगों को एक रेडीमेड टेंप्लेट बनाए हुए मिलेंगे। इन सब का इस्तेमाल करके अपने वेब स्टोरी बनाने के लिए कर सकते हैं। जोकि Page Templates में कम समय पर आसानी से बना सकते हैं।Change Background ColorsPage के दाएं साइड में कुछ Menu देखने को मिलेंगे वहां से अपने गूगल वेब स्टोरी को यूनिक बना सकते हैं। Change Background Colors यहां से गूगल वेब स्टोरी बनाते समय गूगल वेब स्टोरी का कलर बदल सकते हैं। और अट्रैक्टिव कर सकते हैं।Insert Background MediaInsert Background Media पर क्लिक कर कोई भी फोटो या वीडियो का इस्तेमाल कर सकते हैं।New PagesNew Pages यहां से New Page Add कर सकते हैं एक + (Plus) वाला आइकॉन देखने को मिलेगा उस पर क्लिक कर नए पेज जोड़ सकते हैं Google Web Stories बनाने के लिए कम से कम 4 पेज और ज्यादा से ज्यादा 30 पेज तक Web Stories बना सकते हैं।AnimationAnimation से अलग-अलग प्रकार के इफेक्ट का इस्तेमाल कर Web Stories को Attractive बना सकते हैं।खुद का एक्सपीरियंस (own experience) :- मैं आपलोगों को खुद का एक्सपीरियंस शेयर करने वाले हैं, जोकि यह पोस्ट लिखने से पहले मैंने फ्री ब्लॉग में भी गूगल वेब स्टोरी का काम किया जोकि 6 पेज का Slides बना कर भी Google Discover में ला सकते हैं। लेकिन मैं बताना चाहूंगी कि कम से कम 10 पेज से ज्यादा बनाएये। अगर आपकी वेबसाइट गूगल ऐडसेंस अप्रूवल है तो एड्स भी देखने को मिलेगा जिससे कि आप पैसा भी कमा सकते हैं।

 Free blogger me GOOGLE WEB STORIES KAISE BANAYE | गूगल वेब स्टोरी कैसे बनाएं By वनिता कासनियां पंजाब !! Free blogger me Google Web Stories Kaise Banaye | फ्री ब्लॉग मे गूगल वेब स्टोरी कैसे बनाएं , Mobile Se Google Web Stories Kaise Banaye, Google Web Stories क्या है (Google Web Stories Kya Hai), Web Stories के क्या फायदे है, Google Web Stories बनाने के लिए उपलब्ध Plugin, Google Web stories पर ट्रैफिक कैसे आता है? क्या दोस्तों आपलोगों को भी गूगल पर भी स्टोरी बनाने में समस्या हो रही है तो एकदम सही पोस्ट पर आए हुए हैं आज के इस लेख के माध्यम से हम बताने वाले हैं कि  “ गूगल वेब स्टोरी कैसे बनाएं ”  (Google Web Stories Kaise Banaye) इसी के बारे में हम विस्तार से जानकारी देने वाले हैं। जैसे की हम सभी लोग जानते हैं कि गूगल दिन-ब-दिन कुछ ना कुछ नए फीचर्स लाते रहते हैं, Users को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए। हम बात कर रहे हैं Google Web Stories के बारे में गूगल वेब स्टोरी को कुछ समय पहले ही लॉन्च किया गया था लेकिन उस समय वेब स्टोरी का फीचर्स एडवांस नहीं था। बाद में गूगल ...

Shraddha Walkar Murder Case : आरोपी आफताब पूनावाला ने दिखाया,पुलिस का कहना है आत्मविश्वास से भरा दिखाई देता है By वनिता कासनियां पंजाबShraddha Walkar Murder Case : दिल्ली पुलिस गुरुवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट में लिव-इन पार्टनर और श्रद्धा वाकर के हत्यारे आफताब अमीन पूनावाला को पेश करेगी, जिस दौरान वह अदालत से उसकी रिमांड बढ़ाने का अनुरोध करेगी। आफताब से पूछताछ करने वाले दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा है कि इस तरह के जघन्य अपराध को अंजाम देने के बावजूद उसने कोई पछतावा या पछतावा नहीं दिखाया है और वह आत्मविश्वास से भरा दिखाई देता है।श्रद्धा के शरीर के अंगों की तलाश जारी हैदिल्ली पुलिस, जिसने आफ़ताब ए पूनावाला के नार्को परीक्षण के लिए अदालत की अनुमति प्राप्त कर ली है, छतरपुर में वन क्षेत्र में अपने लिव-इन पार्टनर के शेष शरीर के अंगों की खोज जारी रखेगी। जांचकर्ताओं के मुताबिक नार्को टेस्ट जरूरी है क्योंकि पूनावाला अपने बयान बदल रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. पुलिस ने कहा कि वॉकर का सिर, फोन और अपराध में इस्तेमाल हथियार अब तक बरामद नहीं हुआ है, ऐसा संदेह है कि पूनावाला ने कथित तौर पर उसे पहले भी मारने की कोशिश की थी और इसकी जांच की जा रही है। अब तक बरामद 13 शरीर के अंगों के डीएनए विश्लेषण के लिए वाकर के पिता के रक्त के नमूने भी एकत्र किए गए थे।पुलिस ने कहा कि दंपति के बीच वित्तीय मुद्दों पर अक्सर बहस होती थी और यह संदेह है कि उनके बीच लड़ाई भी हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप पूनावाला ने 18 मई की शाम को 27 वर्षीय श्रद्धा वाकर की हत्या कर दी थी। अट्ठाईस वर्षीय पूनावाला ने कथित तौर पर वॉकर का गला घोंट दिया और उसके शरीर के 35 टुकड़े कर दिए, जिसे उसने दक्षिण दिल्ली के महरौली में अपने आवास पर लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर के फ्रिज में रखा और फिर आधी रात को शहर भर में फेंक दिया।तनावपूर्ण संबंध, बेवफाई और वित्तीय मुद्देजांच के दौरान, पूनावाला और वाकर के तनावपूर्ण संबंधों के बारे में अधिक जानकारी सामने आई, दोस्तों और परिवार ने आरोप लगाया कि महिला उससे नाखुश थी और वित्तीय मुद्दों और बेवफाई के संदेह पर अक्सर झगड़े होते थे। पुलिस ने यह भी पाया कि 22 मई के बाद, 54,000 रुपये वाकर के बैंक खाते से पूनावाला को हस्तांतरित किए गए थे और जांचकर्ता दोनों के बीच सोशल मीडिया पर चैट भी स्कैन कर रहे हैं। वॉकर पूनावाला से मुंबई वाले घर से अपना सारा सामान लाने के लिए जोर दे रहे थे, लेकिन जाहिर तौर पर दंपति के पास मुंबई वापस जाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इससे उनके बीच और भी तनाव पैदा हो गया।सबूतों के अभाव में“पुलिस छतरपुर इलाके में एक सीसीटीवी कैमरे से कुछ फुटेज बरामद करने में कामयाब रही है। भले ही संदिग्ध की हरकत देखी गई है, लेकिन उसकी हरकतें स्पष्ट नहीं हैं। सीसीटीवी मैपिंग का इस्तेमाल दृश्यों को जोड़ने और पूनावाला द्वारा लिए गए मार्ग का पता लगाने के लिए किया जाएगा।” अधिकारी ने कहा। उन्होंने कहा कि मई से सभी सीसीटीवी फुटेज को ट्रेस करना और रिकवर करना मुश्किल होगा क्योंकि ज्यादातर सिस्टम में स्टोरेज क्षमता नहीं है। जहां तक ​​सबूतों का सवाल है, पुलिस ने कहा कि उन्होंने कुछ हड्डियां और एक बैग बरामद किया है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि यह वाकर का है। बैग में कपड़े व अन्य सामान है।कि वह हत्या को कैसे अंजाम देता था। जांच दल का हिस्सा रहे एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पूनावाला को पीड़ित के शरीर के शेष कटे हुए टुकड़ों को खोजने के लिए लगातार दूसरे दिन महरौली वन क्षेत्र में ले जाया गया।नार्को परीक्षण में एक दवा (जैसे सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल) का अंतःशिरा प्रशासन शामिल होता है जो विषय को संज्ञाहरण के विभिन्न चरणों में प्रवेश करने का कारण बनता है। सम्मोहक चरण में, विषय कम बाधित हो जाता है और जानकारी प्रकट करने की अधिक संभावना होती है, जो आमतौर पर सचेत अवस्था में प्रकट नहीं होती। नियमों के मुताबिक नार्को टेस्ट कराने के लिए भी आरोपी की सहमति जरूरी है।“चूंकि, वह लगातार अपने बयान बदल रहा है और जांच में सहयोग नहीं कर रहा है, उसके दावों को सत्यापित करने के लिए नार्को परीक्षण आवश्यक है। पीड़िता द्वारा इस्तेमाल किया गया फोन और उसके शरीर को काटने के लिए इस्तेमाल किया गया हथियार अभी तक बरामद नहीं किया गया है और आगे की जांच की जा रही है।” चल रहा है, ”अधिकारी ने कहा। अधिकारी ने कहा, “हमने कुछ संदिग्ध बैंक लेनदेन भी देखे हैं और विवरणों की पुष्टि कर रहे हैं।”जबरन धर्म परिवर्तनइस बीच, वाकर के करीबी रजत शुक्ला ने कहा कि यह संभव है कि पूनावाला उसे (उसका धर्म) बदलने के लिए मजबूर कर रहा हो। पूरा मामला…मामले की जांच होनी चाहिए और सच्चाई सामने आनी चाहिए। वह लोगों को गुमराह कर रहा था लेकिन हकीकत अब सामने आनी चाहिए।’ जिस व्यक्ति से वह प्यार करता है, उसके शरीर को टुकड़ों में काटकर, उसे फ्रिज में रखकर और जंगल में ठिकाने लगाने जैसा जघन्य अपराध नहीं कर सकता।शुक्ला ने यह भी कहा कि उन्हें पूनावाला के वाकर के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में होने के बारे में 2019 में पता चला। ” उसने जोड़ा।दूसरी ओर, एक सामाजिक कार्यकर्ता, जिसके साथ कॉल सेंटर के कर्मचारी वाकर ने मुंबई समुद्र तट सफाई अभियान में भाग लिया था, ने दावा किया है कि मृतक को पूनावाला पर धोखा देने का शक था और स्वच्छता अभियानों के दौरान वह शांत और अलग दिखाई देती थी।

Shraddha Walkar Murder Case : आरोपी आफताब पूनावाला ने दिखाया,पुलिस का कहना है आत्मविश्वास से भरा दिखाई देता है  By  वनिता कासनियां पंजाब Shraddha Walkar Murder Case :  दिल्ली पुलिस गुरुवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट में लिव-इन पार्टनर और श्रद्धा वाकर के हत्यारे आफताब अमीन पूनावाला को पेश करेगी, जिस दौरान वह अदालत से उसकी रिमांड बढ़ाने का अनुरोध करेगी। आफताब से पूछताछ करने वाले दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा है कि इस तरह के जघन्य अपराध को अंजाम देने के बावजूद उसने कोई पछतावा या पछतावा नहीं दिखाया है और वह आत्मविश्वास से भरा दिखाई देता है। श्रद्धा के शरीर के अंगों की तलाश जारी है दिल्ली पुलिस, जिसने आफ़ताब ए पूनावाला के नार्को परीक्षण के लिए अदालत की अनुमति प्राप्त कर ली है, छतरपुर में वन क्षेत्र में अपने लिव-इन पार्टनर के शेष शरीर के अंगों की खोज जारी रखेगी। जांचकर्ताओं के मुताबिक नार्को टेस्ट जरूरी है क्योंकि पूनावाला अपने बयान बदल रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. पुलिस ने कहा कि वॉकर का सिर, फोन और अपराध में इस्तेमाल हथियार अब तक बरामद नहीं हुआ है, ऐसा संदेह ह...

PM Kisan: यदि आपको भी नहीं मिले पीएम किसान के पैसे तो जल्द ही करे ये काम, अभी है आखिरी मौका By PM Kisan सम्मान निधि योजना PM Kisan प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को हर साल 06 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मिलती है। यह पैसा चार महीने में किसानों के खाते में 2-2 लाख रुपये की तीन किश्तों में पहुंचाया जाता है। अब तक 12 कोटा किसानों के खाते में ट्रांसफर किया जा चुका है। लेकिन कुछ पात्र किसानों की ऐसी शिकायतें भी आई हैं, जो 12 कोटे से वंचित रह गए हैं, तो इसके पीछे का कारण यह हो सकता है कि आपसे कोई गलती हुई होगी, इसलिए आपका 12 कोटा अटका हुआ है। कृपया हमें बताएं कि इन त्रुटियों को कैसे जांचें और ठीक करें ताकि 12वीं किस्त आपके खाते में जा सके।यह भी पढ़े Bank Strike : जल्द ही निपटा लें अपने बैंक से जुड़े सभी काम, देशभर में होगी हड़ताल, ATM सेवाएं भी होंगी प्रभावितऐसे चेक करें एररसबसे पहले उनकी आधिकारिक वेबसाइट pmkisan.gov.in पर जाएं।अब होप पेज पर दायीं तरफ “Farmer Corner” ऑप्शन पर क्लिक करें।इस सेक्शन में “Beneficiary Status” वाले सेक्शन पर क्लिक करें।अब पीएम किसान खाता संख्या या पंजीकृत मोबाइल फोन नंबर में से किसी भी विकल्प का चयन करें।पूरा विवरण दर्ज करने के बाद, “डेटा प्राप्त करें” पर क्लिक करें।इसके बाद आपको स्क्रीन पर अपना पूरा स्टेटस दिखाई देगा।यहां आप अपना आधार नंबर, बैंक खाता आदि चेक कर सकते हैं। यह जांचने के लिए कि आपने जो जानकारी भरी है वह सही है।कृपया ध्यान दें कि यदि आपने पीएम किसान योजना पंजीकरण करते समय गलत जानकारी भरी है, तो पैसा आपके खाते में नहीं पहुंचेगा। यदि आप पीएम किसान योजना के प्राप्तकर्ताओं की सूची देखना चाहते हैं, तो आप उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर विवरण दर्ज करके उसका नाम सत्यापित कर सकते हैं।PM Kisan: यदि आपको भी नहीं मिले पीएम किसान के पैसे तो जल्द ही करे ये काम, अभी है आखिरी मौकाऐसे लें मददअगर आप पीएम किसान सम्मान निधि के पात्र किसान हैं। लेकिन आपने पंजीकरण करते समय गलत जानकारी दर्ज की है, तो आप उसकी आधिकारिक मेल आईडी-pmkisan-ict@gov.in पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा हेल्पलाइन नंबर 155261 या 1800115526 या 011-23381092 पर संपर्क कर सकते हैं। यहां पीएम किसान सम्मान निधि योजना से जुड़े सभी मुद्दों का समाधान किया जाएगा।

PM Kisan: यदि आपको भी नहीं मिले पीएम किसान के पैसे तो जल्द ही करे ये काम, अभी है आखिरी मौका  By  PM Kisan  सम्मान निधि योजना PM Kisan  प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को हर साल 06 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मिलती है। यह पैसा चार महीने में किसानों के खाते में 2-2 लाख रुपये की तीन किश्तों में पहुंचाया जाता है। अब तक 12 कोटा किसानों के खाते में ट्रांसफर किया जा चुका है। लेकिन कुछ पात्र किसानों की ऐसी शिकायतें भी आई हैं, जो 12 कोटे से वंचित रह गए हैं, तो इसके पीछे का कारण यह हो सकता है कि आपसे कोई गलती हुई होगी, इसलिए आपका 12 कोटा अटका हुआ है। कृपया हमें बताएं कि इन त्रुटियों को कैसे जांचें और ठीक करें ताकि 12वीं किस्त आपके खाते में जा सके। यह भी पढ़े  Bank Strike : जल्द ही निपटा लें अपने बैंक से जुड़े सभी काम, देशभर में होगी हड़ताल, ATM सेवाएं भी होंगी प्रभावित ऐसे चेक करें एरर सबसे पहले उनकी आधिकारिक वेबसाइट  pmkisan.gov.in  पर जाएं। अब होप पेज पर दायीं तरफ “Farmer Corner” ऑप्शन पर क्लिक करें। इस सेक्शन में “Beneficiary Status” वाले से...

मधुर स्वेरा Good mornnig कनिका ने धीरे से ट्रंक खोला और सामान लगाने लगी। वह अब यहाँ नहीं रहना चाहती थी क्योंकि बहू के साथ उसके विचार नहीं मिलते थे। बात -बात पर वह घर से बाहर निकालने की धमकी देकर कनिका को चुप करा देती थी पर अब बस बहुत हुआ। उसने सोच लिया था कि वह वृद्धाश्रम में रहेगी। यह रोज़ रोज़ का अपमान उसके लिए असह्य था। एक कांच का ग्लास ही तो टूटा था उससे और निहारिका ने बिना सोचे समझे कितना बुरा भला कह दिया था। वह भावुक हो उठी और भीगी पलकों में आँसू छुपाये करीने से ट्रंक में अपना सामान लगाने लगी। उसने काँपते हाथों से कुणाल और अपनी तस्वीर हाथ में उठाई तो पलकों पर रुके अश्रु टपक गए। अपनी धोती के पल्लू से तस्वीर को साफ़ करते हुए वह कुणाल को निहारने लगी। उसे अपनी और कुणाल की प्रथम मुलाक़ात स्मरण हो आई जब कुणाल अपने माता पिता के साथ उसे देखने आये थे। देखते ही उसकी सुंदरता पर रीझ कर शादी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। उनके आकर्षण से वह भी अछूती नहीं रह सकी थी। कुणाल का आयात निर्यात का कार्य था और घर में उसके कदम रखते ही व्यापार बुलंदियों को छूने लगा था। धीरे धीरे कुणाल की गिनती अव्वल दर्जे के व्यापारियों में होने लगी थी। कुणाल के भरपूर प्रेम ने कनिका के जीवन में खुशहाली भर दी थी। उसके पाँव ज़मीन पर नहीं पड़ते थे परन्तु उसे क्या पता था कि ये खुशियाँ शीघ्र ही बिखर जाएँगी। सहसा व्यापार में घाटा होने के कारण कुणाल को दिल का दौरा पड़ा और वह चल बसा। कनिका का जीवन वीरान हो गया। एक महीने तक तो उसे अपने जीवन की सुध ही नहीं थी। वह दिन रात रोती रहती थी ,स्वयं को असह्य समझती थी। छोटी छोटी बातों पर उसे कुणाल के न होने का आभास होता था। कुणाल की मृत्यु की कानूनी कार्यवाही शुरू हुई तो कदम कदम पर उसे मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ी। इस कानूनी कार्यवाही में उसे कोर्ट के कई चक्कर लगाने पड़े। इस भाग दौड़ ने उसे पूर्ण रूप से सशक्त बना दिया था।यहाँ उसकी सद्बुद्धि और उच्च शिक्षा ने ही साथ दिया था। कई दिन का परिश्रम रंग लाया और कानूनी तौर तरीकों के सिलसिले से छुट्टी प्राप्त हुई। उस दिन वह थकी हारी घर पहुँची और हाथ मुँह धो कर चाय पीने की इच्छा से शक्कर का डब्बा खोला तो पाया कि शक्कर समाप्त हो गई थी। उसने बेटे समीर से पड़ोस के निरंजन बाबू के घर से शक्कर मंगवाने का सोचा परन्तु बेटे को स्कूल के कार्य में मग्न देख स्वयं ही जाने का निर्णय लिया। शक्कर से भरी कटोरी कनिका को पकड़ाते हुए निरंजन ने उसका हाथ धीरे से दबाते हुए कहा ,”कनिका जी कभी भी कोई आवश्यकता हो तो निःसंकोच मदद लीजियेगा ,मै आपकी मदद के लिए सदा तत्पर हूँ। “कनिका तभी समझ गई कि निरंजन की बातों में अपनत्व होते हुए भी इरादों में पवित्रता नहीं है। कनिका को निरंजन की आँखों में वासना नज़र आयी थी। उसका मन हुआ कि वह अभी निरंजन के मुँह पर झापड़ मार दे। कुणाल के होते हुए भी कई बार निरंजन ने उसका रास्ता रोकने का प्रयत्न किया था पर उस वक्त उसने ध्यान नहीं दिया था। उसे लगता था कि भ्रम है उसका परन्तु अब जब कुणाल नहीं है तब निरंजन का इस तरह पेश आना उसे अच्छा नहीं लगा था। वह जानती थी कि समाज में निरंजन जैसे लोग उपस्थित हैं और उसे ऐसे लोगों से सतर्क रहना चाहिए।उसने मन ही मन फैसला लिया कि चाहे जो हो जाए आज के बाद वह कभी निरंजन से मदद नहीं लेगी। संभवतः निरंजन बाबू के गलत व्यवहार ने ही उसे बाध्य किया था जो वह नागपुर से सब कुछ समेट कर सपनों की नगरी मुंबई पलायन कर गयी थी। कहने के लिए वह इस दुनिया में अकेली रह गई थी परन्तु उसके साथ कुणाल की हसीन यादें थीं। जानी मानी कंपनियों में काम करते हुए ,धीरे धीरे उसकी ज़िन्दगी पटरी पर आ गई थी। उसने वर्षों तक स्वयं को पूर्ण रूप से काम में डुबो दिया था और इस दौरान समीर भी विद्यार्थी जीवन से निकल कर अफसर बन गया था। एक दिन खाने की छुट्टी में वह अपने कुछ सहकर्मियों के साथ बैठी खाना खा रही थी कि सबने मिलकर उसके सामने पुनर्विवाह का प्रस्ताव रख दिया। उनका कहना था कि जीवन में एक साथी की आवश्यकता हर किसी को पड़ती है और खासतौर पर वृद्धावस्था में दोनों एक दूसरे के पूरक बन जाते हैं। जहाँ तक समीर का सवाल है भविष्य में उसकी अपनी ज़िन्दगी होगी ,ऐसे में अकेलेपन से बचने के लिए पुनर्विवाह श्रेष्ठ है। फिर कनिका की ऐसी कोई उम्र नहीं हुई थी कि पुनर्विवाह करने में संकोच हो। अचानक मिले इस प्रस्ताव से वह सकपका गई परन्तु फिर संभलते हुए बोली ,”कुणाल की यादों के सहारे ही इस जीवन को मैं व्यतीत करना चाहती हूँ ,यह अधिकार मैं किसी और को नहीं देना चाहती ,आशा है भविष्य में आप लोग ऐसी बातें मेरे सामने नहीं करेंगे। उसने अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए खाना समाप्त किया और पलकों पर रुके अश्रुओं के गिरने से पहले ही वहाँ से उठ कर चली गई। शाम को गरम चाय की चुस्की लेते हुए दिन में घटी घटना के बारे में वह सोचने लगी। उसने दर्पण में स्वयं को देखा तो उसे लगा कि इन वर्षों में वह काफी बदल गई है। उसने अपने चेहरे को गौर से देखा। चेहरे पर किसी प्रकार का कोई श्रृंगार नहीं था ,फिर भी माथे पर एक छोटी सी बिंदी और होठों की लाली ने एक अनोखा आकर्षण उत्पन्न कर रखा था ,काले बालों पर हलकी सफेदी थी। गाल पर आई लट को उसने करीने से कानों के पीछे किया तो सुनी कलाई और खाली मांग पर उसका ध्यान चला गया। पति से जुड़े इस श्रृंगार का उसके जीवन में कोई महत्त्व नहीं है ,यह आँखों में उभर आई नमी ने उसे एहसास करा दिया था। सहसा उसका हृदय पूछ बैठा ,”क्या समीर को अपने पिता की कमी महसूस नहीं होती होगी। क्या उसे पुनर्विवाह करना चाहिए ?परन्तु अगले ही पल कनिका को लगा जैसे कुणाल उसके पीछे ही खड़ा है और कह रहा है ,”तुम सिर्फ मेरी हो। “कनिका ने आँखे मूंदी तो दो मोती टपक गए। उसने अटल निर्णय लिया ,”वह कुणाल की थी और सदा उसकी ही रहेगी। कनिका अक्सर घर के पास वाले बगीचे में शाम के वक्त जा बैठती थी। बगीचे के पुष्पों की सुगंध उसे सुकून देती थी। रोज़ की तरह उस दिन भी वह बगीचे में बैठी थी। बगीचे के बीचों बीच बने पार्क में छोटे बच्चे खेल रहे थे। वह उन बच्चों का खेल देख रही थी कि अचानक उसकी निगाह दूर बेंच पर बैठे दंपत्ति पर चली गई। वह एक नवविवाहिता जोड़ा था जो दुनिया से बेखबर एक दूसरे से सिमट कर बैठा हुआ था। उसे याद आया कि शादी के बाद कुणाल और वह भी इसी तरह बैठे हुए थे। कनिका को फूलों का शौक था यह जान कर कुणाल ने उसके बालों में गजरा लगा दिया था। वह शर्मा कर बोली थी ,”कुणाल ,क्या तुम ऐसे ही सदा मेरे बालों में गजरा लगाओगे। “कुणाल की स्वीकृति पा कर वह मन ही मन प्रसन्न हुई थी। फिर तो जब भी वह बाहर जाते कनिका के बालों में गजरा ज़रूर महकता था। इन्हीं यादों में वह खोई हुई घर की ओर चल दी। घर आकर उसने कुणाल की तस्वीर निकाली और उसे बहुत देर तक निहारती रही।कनिका को अब समीर के विवाह की चिंता होने लगी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अकेली इस ज़िम्मेदारी को कैसे निभाएगी ?परन्तु समीर ने निहारिका से प्रेम विवाह करने का प्रस्ताव रखा तो कनिका फूली न समाई। उसे लगा जैसे उसकी ज़िन्दगी भर का श्रम सफल हो गया। बेटे का विवाह हुआ तो निहारिका जैसी सुन्दर बहू को पाकर वह निहाल हो गई। उसे तो निहारिका के रूप में जैसे हीरा ही मिल गया था। निहारिका का उसके प्रति सदव्यवहार उसे सुकून पहुँचाता था। परन्तु जैसे जैसे समीर तरक्की की सीढ़ी चढ़ता गया वैसे वैसे निहारिका का बर्ताव कनिका के प्रति बदलता गया। वह अभिमान में इतनी चूर हो गई थी कि छोटे बड़े का फर्क भी भूल गई थी। ऐसे में कनिका ने समीर की टोह लेनी चाही थी। उसे आशा थी कि समीर निहारिका को समझायेगा परन्तु उसकी तरफ से कनिका को इस मामले में कोई सकारात्मकता नज़र नहीं आई। उल्टा वह कनिका को ही जवाब दे कर चुप करा देता था। आखिरकार जब सिर से ऊपर पानी होने लगा तो कनिका ने ही वृद्धाश्रम जाने का निर्णय लिया था। कनिका ने जब अटैची बंद की तो उसका क्रोध शांत हो चुका था। वह जल्दबाज़ी तो नहीं कर रही ?क्या अपना घर छोड़ कर सब कुछ ठीक हो जाएगा ? जिस स्नेह व आदर की वह हकदार है उसे प्राप्त हो जाएगा ?क्या वृद्धाश्रम जाना ही इस समस्या का एकमात्र हल है ?अपने ही अंदर अनेक प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए वह बेचैन हो गई। उसकी अंतरात्मा बोल उठी ,नहीं नहीं वह अपने बच्चों से अलग नहीं रह सकती। वह बड़े होने के नाते उन्हें समझाएगी ,स्वयं को इस घर को सुधारने का एक अवसर ज़रूर देगी । अपने रक्त से सींच कर उसने अपने कुणाल के घर को बनाया था यों एक हलके से झोंके से बिखरने नहीं देगी। वह अपने ही ख्यालों में गुम थी कि सहसा निहारिका का स्वर सुन कर चौंक गई।”मुझे माफ़ कर दो ,आगे से ऐसा नहीं होगा ,एक मौका और दे दो। “परन्तु समीर की आवाज़ में क्रोध था ,”मुझे कुछ नहीं सुनना,तुम भी घर से जा सकती हो ,तुम मेरी माँ का सम्मान नहीं कर सकतीं तो मुझे भी तुम्हारी आवश्यकता नहीं है ,तुम्हे क्या पता माँ ने कितने कष्टों से पाला है मुझे। “उधर समीर न जाने क्या क्या कहे जा रहा था और इधर कनिका का दिल रो रहा था। उसने समीर के कमरे में प्रवेश किया तो निहारिका बहू उसके क़दमों में गिर पड़ी ,”मुझे माफ़ कर दीजिये मम्मीजी घर छोड़ कर मत जाइये। “कनिका का दिल पूर्ण रूप से पिघल गया था और उसने निहारिका को अपने गले से लगा लिया।

मधुर स्वेरा Good mornnig कनिका ने धीरे से ट्रंक खोला और सामान लगाने लगी। वह अब यहाँ नहीं रहना चाहती थी क्योंकि बहू के साथ उसके विचार नहीं मिलते थे। बात -बात पर वह घर से बाहर निकालने की धमकी देकर कनिका को चुप करा देती थी पर अब बस बहुत  हुआ। उसने सोच लिया था कि वह वृद्धाश्रम में रहेगी। यह रोज़ रोज़ का अपमान उसके लिए असह्य था। एक कांच का ग्लास ही तो टूटा था उससे और निहारिका ने बिना सोचे समझे कितना बुरा भला कह दिया था। वह भावुक  हो उठी और भीगी पलकों में आँसू छुपाये करीने से ट्रंक में अपना सामान लगाने लगी। उसने काँपते हाथों से कुणाल और अपनी तस्वीर हाथ में उठाई तो पलकों पर रुके अश्रु टपक गए। अपनी धोती के पल्लू से तस्वीर को साफ़ करते हुए वह कुणाल को निहारने लगी। उसे अपनी और कुणाल की प्रथम मुलाक़ात स्मरण हो आई जब कुणाल अपने माता पिता के साथ उसे देखने आये थे। देखते ही उसकी सुंदरता पर रीझ कर शादी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। उनके आकर्षण से वह भी अछूती नहीं रह सकी थी। कुणाल का आयात निर्यात का कार्य था और घर में उसके कदम रखते ही व्यापार बुलंदियों को छूने लगा था। धीरे धीरे क...

🪴🪔🪴गीता ज्ञान 🪴🪔🪴 विश्व की सर्वाधिक अनुवादित पुस्तक है। By वनिता कासनियां पंजाबगीता ज्ञान का गीता की प्रतियाँ छापने का विश्व रिकॉर्ड है। सबसे प्रिय व प्रचलित ग्रंथों में से एक है भगवद्गीता! आज गीता-जयंती है, मोक्षा एकादशी – मार्ग शीष शुक्ल एकादशी!अनेक गहन लेख, विश्लेषण आज देखने और पढ़ने को मिले। दो वर्ष पहले तक मुझे कुछ नहीं पता था गीता जयंती के बारे में और गीता की बारे में केवल जानकारी थी। कितने योग हैं, प्रत्येक का क्या संदेश है, भीम के शंख का नाम क्या है, ईश्वर को कौन प्रिय है, निष्काम कर्म के सोपान क्या हैं – कुछ नहीं पता था।घर में चार या पाँच गीता, अलग अलग रूपों में होने पर भी, पूरी एक बार भी पढ़ी नहीं थी। अनुवाद तो बाद की बात है, मूल संस्कृत के श्लोक भी गिने-चुने थे जो पता थे या कंठस्थ थे ( बी आर चोपड़ा का धन्यवाद)। जर्मनी, ब्लैक फारेस्ट घूमने गयी थी और वहां के एक छोटे से गाँव जैसी जगह में मुझे एक इस्कॉन के जर्मन व्यक्ति ने भगवद्गीता की अंग्रेजी अनुवाद की प्रति पकड़ाई थी और कहा था कि वह वृंदावन जाने के लिए प्रतीक्षारत है। उस दिन अपने आप को पहली बार गीता न पढ़ी होने के लिए धिक्कारा था।उसके बाद घर आ कर कितनी बार नियम बनाने का प्रयत्न किया कि नित्य एक श्लोक पढ़ने से तो आरम्भ करें पर हुआ ही नहीं। बस एक इंग्लिश अनुवाद वाली और एक गीता प्रेस की छोटी गुटका living room में रखी रहती थीं। उसे पूजा के समय नित्य पढ़ने का प्रयास किया, ‘कॉफ़ी टेबल बुक’ की तरह पढ़ने का प्रयास किया, ऑफिस आते-जाते पढ़ने का नियम बनाने का प्रयास किया पर प्रथम अध्याय के 8-10 श्लोकों से आगे किसी अवस्था में आगे नहीं बढ़ पाई। फिर सोचा पहले अच्छे से संस्कृत का पुनरावर्तन (revision) कर लूँ फिर गति से और सरलता से पढ़ ली जाएगी। पुस्तक से स्वयं पढ़ना आरम्भ किया क्योंकि लगता था दसवीं तक पढ़ी है तो उतना तक पहुँचे आगे की पास की एक वेद शाला में पढ़ लेंगे (पुणे में घर के पास मठ है वहाँ वेद शाला चलती है)। स्कूल वाला पुनरावर्तन भी न हो पाया, वेद शाला तो क्या ही जाते। इन सब में कुछ दो साल निकल गये।पिछले वर्ष मैं गुरकुल में अंतः वासी बनने के बाद से चौथा गेयर लग गया! प्रतिदिन पहले शिक्षा सत्र में बच्चे गीता के दो अध्याय अवश्य पढ़ते हैं और एक संध्या समय। जिस समय मैं आयी तो तीसरा और पंद्रहवाँ प्रातः और पहला अध्याय संध्या समय चल रहा था। इतनी संस्कृत तो पढ़नी आती थी कि क्या लिखा है पढ़ लेते थे और बच्चों के साथ साथ गुरूमाँ से सुनकर उच्चारण की अशुद्धियाँ भी ठीक कर लीं। आते जाते गुरु जी कुछ त्रुटि ठीक कराते रहते थे। एक मास में बच्चों को तो तीनों पाठ कंठस्थ हो गए और मुझे त्रुटि रहित पढ़ने का अभ्यास हो गया। मोबाइल से अधिक गीता कहाँ रखी है इसका ध्यान होता था (सबकी अपनी अपनी प्रति है यहाँ)। अनुभव तो कर लिया पर एक बार किसी अतिथि से गुरुमाँ को कहते सुना तो आभास हुआ की गीता तो गुरुकुल में एक विषय है, नियम से नित्य व पूरी गंभीरता से पढ़ा जाने वाला और जीवन शैली भी।गुरु माँ को 13 वर्ष की आयु से पूरी गीता कंठस्थ है। किसी भी अध्याय से कोई भी श्लोक, उसका कोई भी पद (एक अनुष्टुप छंद श्लोक में चार पद होते हैं) कभी भी पूछ लीजिये। उससे भी अधिक उसका दिनचर्या में कभी भी प्रयोग दृष्टांत के रूप में, कभी बच्चों से उनकी स्मृति परखने के बहाने, जो बच्चों ने याद कर लिया है उसमें से, कुछ भी पूछ लेना – बहुत सहजता से आता है उनके व्यक्तित्व में। उन्हें याद कराने के लिए तरह तरह से श्लोकों को लिखने का ग्रह कार्य मिलता है, जैसे प्रत्येक अध्याय का तीसरा श्लोक लिखो। मैंने भी बच्चों के साथ ऐसा करना आरम्भ कर दिया। फिर कभी शाम को हमने गाँव वाली गीता सुनी। गाँव की गुजराती में सुनाई गीता (कुछ ही श्लोक) सुनकर, उसकी शैली और शब्द चुनाव से हँस हँस के पेट में दर्द हो गया। सच में ROFL, साँस अटकने तक हँसे थे। संजय – हनजड़ेया, धृतराष्ट्र – धरतड़या और कृष्ण – कनहड़िया थे उसमें। ये भी गुरुमाँ ने सुनाया और कुछ महीनों में जैसे जैसे समय मिला उन्होंने गीता के प्रत्येक श्लोक पर एक गुजराती गीत लिखा, बात करते करते लिखती रहती थीं वो! 700 श्लोक हैं गीता में!गुरुजी तो गीता-दर्शन के विशारद हैं। यहाँ उनसे गीता पढ़ने कितने लोग आते हैं, सभी वर्गों से। कई जैन गुरु मुनि आदि भी आते हैं उनसे गीता व दर्शन के विशेष प्रश्नों के लिए। तब मैंने जाना कि कितने लोग कितने स्तर पर गीता को अपने जीवन से जोड़ने के लिए प्रयासरत हैं। गीता के लिए क्या-2 करते हैं। अविश्वसनीय सा था।अब गीता नित्य जीवन में है। प्रतिदिन एक अध्याय का सस्वर वाचन करना अत्यंत सहज है अब। कितने वर्तन पूरे हो चुकें हैं एक साल में। बच्चों के साथ बदल बदलकर नित्य के तीन अध्याय पढ़ते हुए; उच्चारण की अशुद्धि सुधारते हुए; कभी शब्दों से, कभी अंतः प्रेरणा से, कभी अनुभव कर, कभी गुरुजी को सुनकर श्लोकों को समझते हुए, कब भगवद्गीता जीवन का एक अभिन्न अंग बन गई है, पता नहीं चला।पहला पड़ावपिछले वर्ष गीता जयंती पर युवाओं (कॉलेज के बच्चों) के लिए आयोजित गीता निबंध प्रतियोगिता के आयोजको में सम्मिलित हुई तो वो भी अविश्वसनीय सा ही था कि एक वर्ष पहले तक गीता जयंती का ही पता नहीं था और अगले वर्ष में गीता निबंध प्रतियोगिता के निबंध जांच रही थी। 800-900 निबंध आये थे और मुझे इंग्लिश के और कुछ हिंदी के निबंध जांचने थे। संस्कृत में केवल एक निबंध आया था। बच्चे अंक तालिका बनाते थे। गुजराती निबंधों की वर्तनी त्रुटि और व्याकरण त्रुटि पर दबे दबे हँसते थे कि कॉलेज के भैया-दीदी इतनी ग़लतियाँ करते हैं। पहली परीक्षा थी मेरी, गुरुजी से मैंने कहा कि मुझे तो गीता का कुछ ज्ञान नहीं है, मैं कैसे जाँच सकूँगी? वे बोले थे- “मुझे पता है आपको सही संदेश ही समझेंगे, गीता को समझने के लिए उसके एक एक श्लोक का ज्ञात होना आवश्यक नहीं है।” तार्किक बुद्धि से सोचें तो ऐसे में मुझे अहंकार आना चाहिए था, पर नहीं आया, कृतज्ञता का भाव आया। ये मेरे लिए विलक्षण अनुभव था। आत्म शुद्धि आरम्भ हो गयी थी, भगवद्गीता के कारण!हर वर्ष यह प्रतियोगिता आयोजित करना गुरुकुल की एक परंपरा सी है। युवा गीता पढ़ें, गीता से जुड़ें इसलिए आयोजित करी जाती है। इसी बहाने हाथ में तो उठाएंगे, कुछ पृष्ठ तो पलटेंगे। 900 में से 10 तो गीता को लेकर जिज्ञासु बनेंगे। निष्काम कर्म का बहुत ही सुंदर प्रत्यक्ष उदाहरण देखा। और बच्चों ने जो लिखा था वो एक अलग ही लघु यात्रा थी, विषय था – ‘अपने अपने जीवन में गीता के कौन से संदेश, उसके किन सिद्धान्तों का पालन उन्हें सफलता दिलाएगा और कैसे’। मेरा उन सब में से प्रिय वाक्य था – “गीता मा तो बद्धू खुल्लु छे!”-गीता में तो सब कुछ खुला है :)। उस किशोरी के कहने का अर्थ था कि सभी रहस्य ईश्वर ने सरलता से उजागर कर दिए हैं गीता में।(बड़े गुरुजी पंडित विश्वनाथ दातार शास्त्री जी ने गुरुजी मेहुलभाई आचार्य को भी गीता निबंध प्रतियोगिता द्वारा ही प्राप्त किया था। उस समय डाक से भेजे गए उनके निबंध को पढ़कर फ़ोन कर बड़े गुरुजी ने गुरुजी के पिताजी से उन्हें लेकर वाराणसी आने को कहा था और उन्हें अपना शिष्य स्वीकार किया था। कोई निवेदन नहीं, कोई एडमिशन की प्रक्रिया नहीं, कोई बैकग्राउंड चेक नहीं, कोई आधुनिक स्कूलों के प्रपंच नहीं! बड़े गुरुजी के बाद मेहुलभाई आचार्य अब गुरुकुल के मुख्य आचार्य हैं, विषय विशारद है। गीता, आयुर्वेद, दर्शन के सभी मुख्य ग्रंथ, उपनिषद आदि उन्हें कंठस्थ हैं और सही समय और अवसर पर उसका उपयोग व उद्धरण बहुत ही सहज है उनके लिए। केवल कंठस्थ ही नहीं, आत्मसात हैं ,उसमें से सब कुछ प्रत्येक बिंदु वह समझा सकते हैं फिर भी बहुत कुछ पढ़ते रहते हैं। गुरुकुल में (दो तीन स्थानों में विभक्त) 30,000 पुस्तकें/ग्रंथ शोध पत्रादि हैं। )दूसरा पड़ावचार महीने पहले, अचेत अम्मा को उनके अंतिम क्षणों में पंद्रहवाँ अध्याय जब पढ़ कर सुना रही थी तो वह सुन रही थीं। ICU में तीन पेशेंट चिंताजनक स्थिति में थे परंतु डॉक्टर ने अंदर रहकर अम्मा को गीता सुनाने की अनुमति दे दी थी। अम्मा के साथ साथ वो तीनों भी पूरी सभानता से सुन रहे थे। सभी नर्सिंग स्टाफ भी काम करते हुये सुन रहा था, दोनों सीनियर डॉक्टर भी। दूसरी बार बिना एक-एक श्लोक का अर्थ जाने अनुभव हुआ कर्मयोगी की परिभाषा का। अम्मा के साथ वाले बेड पर से मुझे निर्निमेष देखती और सुनती एक युवती के आर्त भाव से रहित उसकी विवश स्थिति में श्रवण क्षमता का – जैसे गुडाकेश की रही होगी कदाचित! और अम्मा के जीवन भर के सकाम और निष्काम कर्म का आभास और उसके अंतर का विवेक अपने आप प्रकट हुआ मन में। उस दिन तीन जीवों ने ICU में देह छोड़ा था। अम्मा की स्मृति के साथ एक श्लोक अब अंकित है मानस पटल पर:सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।गीता कंठस्थ अभी भी नहीं है क्योंकि स्मृति की दृढ़ता बहुत क्षीर्ण है, उसका पिछले बीस साल में बहुत ह्रास किया है। जीवन शैली, दूषित भोजन, दवाओं का प्रयोग, रोग, बहुत सारे कारण हैं। श्लोकों का शब्दार्थ से भावार्थ व अंत में निहित अर्थ और उसकी आत्मिक धारणा अभी तक पूरी नहीं है, बल्कि लगता है अभी भी शून्य ही है। किन्तु गीता की पूर्ण अनुपस्थिति से सदैव उपस्थिति में ये स्थानांतरण कैसे हुआ, सच में पता नहीं चला। और यात्रा….जारी है।

🪴🪔🪴गीता ज्ञान 🪴🪔🪴 विश्व की सर्वाधिक अनुवादित पुस्तक है।  By  वनिता कासनियां पंजाब गीता ज्ञान  का गीता की प्रतियाँ छापने का विश्व रिकॉर्ड है। सबसे प्रिय व प्रचलित ग्रंथों में से एक है भगवद्गीता! आज गीता-जयंती है, मोक्षा एकादशी – मार्ग शीष शुक्ल एकादशी! अनेक गहन लेख, विश्लेषण आज देखने और पढ़ने को मिले।  दो वर्ष पहले तक मुझे कुछ नहीं पता था गीता जयंती के बारे में और गीता की बारे में केवल जानकारी थी। कितने योग हैं, प्रत्येक का क्या संदेश है, भीम के शंख का नाम क्या है, ईश्वर को कौन प्रिय है, निष्काम कर्म के सोपान क्या हैं – कुछ नहीं पता था। घर में चार या पाँच गीता, अलग अलग रूपों में होने पर भी, पूरी एक बार भी पढ़ी नहीं थी। अनुवाद तो बाद की बात है, मूल संस्कृत के श्लोक भी गिने-चुने थे जो पता थे या कंठस्थ थे ( बी आर चोपड़ा का धन्यवाद)। जर्मनी, ब्लैक फारेस्ट घूमने गयी थी और वहां के एक छोटे से गाँव जैसी जगह में मुझे एक इस्कॉन के जर्मन व्यक्ति ने भगवद्गीता की अंग्रेजी अनुवाद की प्रति पकड़ाई थी और कहा था कि वह वृंदावन जाने के लिए प्रतीक्षारत है। उस दिन अपने आप...