सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

⚜️ आज का प्रेरक प्रसंग ⚜️* *!! जैसा बोओगे वैसा काटोगे !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~एक गांव में तीन चोर रहते थे। एक रात उन्होंने एक धनी आदमी के यहां चोरी की। उन्होंने सारा धन एक थैले में भरा और उसे लेकर जंगल की ओर भाग निकले। जंगल में पहुंचने पर उन्हें जोर की भूख लगी। वहां खाने को तो कुछ था नहीं, इसलिए उनमें से एक चोर पास के एक गांव से खाना लेने गया। बाकी के दोनों चोर जंगल में चोरी के माल की रखवाली कर रहे थे। जो चोर खाना लेने गया था, उसकी नीयत खराब थी। पहले उसने होटल में खुद भोजन किया। फिर उसने अपने साथियों के लिए खाना खरीद कर उसमें तेज जहर मिला दिया। उसने सोचा कि जहरीला खाना खाकर उसके दोनों साथी मर जाएंगे तो सारा धन उसका हो जाएगा। जंगल में दोनों चोरों ने खाना लेने गए अपने साथी चोर की हत्या करने की योजना बना ली थी। वे उसे अपने रास्ते से हटाकर सारा धन आपस में बांट लेना चाहते थे। तीनों चोरों ने अपनी-अपनी योजनाओं के अनुसार कार्य किया। पहला चोर जैसे ही जहरीला भोजन लेकर जंगल में पहुंचा। उसके दोनों साथी उस पर टूट पड़े। उन्होंने उसका काम तमाम कर दिया फिर वे निश्चिंत होकर भोजन करने बैठ गए। मगर जहरीला भोजन खाते ही वे दोनों भी तड़प-तड़प कर मर गए। इस प्रकार तीनों का अंत भी बुरा ही हुआ। *शिक्षा:-*बुराई का अंत बुरा ही होता है।*सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।**जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।*✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️ऐसे और पोस्ट देखने के लिए और खूबसूरत सी कहानीया से जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

1️⃣9️⃣❗0️⃣9️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣2️⃣

*⚜️ आज का प्रेरक प्रसंग ⚜️*

       *!! जैसा बोओगे वैसा काटोगे !!*
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

एक गांव में तीन चोर रहते थे। एक रात उन्होंने एक धनी आदमी के यहां चोरी की। उन्होंने सारा धन एक थैले में भरा और उसे लेकर जंगल की ओर भाग निकले। जंगल में पहुंचने पर उन्हें जोर की भूख लगी। वहां खाने को तो कुछ था नहीं, इसलिए उनमें से एक चोर पास के एक गांव से खाना लेने गया। बाकी के दोनों चोर जंगल में चोरी के माल की रखवाली कर रहे थे।
 
जो चोर खाना लेने गया था, उसकी नीयत खराब थी। पहले उसने होटल में खुद भोजन किया। फिर उसने अपने साथियों के लिए खाना खरीद कर उसमें तेज जहर मिला दिया। उसने सोचा कि जहरीला खाना खाकर उसके दोनों साथी मर जाएंगे तो सारा धन उसका हो जाएगा। 

जंगल में दोनों चोरों ने खाना लेने गए अपने साथी चोर की हत्या करने की योजना बना ली थी। वे उसे अपने रास्ते से हटाकर सारा धन आपस में बांट लेना चाहते थे। 

तीनों चोरों ने अपनी-अपनी योजनाओं के अनुसार कार्य किया। पहला चोर जैसे ही जहरीला भोजन लेकर जंगल में पहुंचा। उसके दोनों साथी उस पर टूट पड़े। उन्होंने उसका काम तमाम कर दिया फिर वे निश्चिंत होकर भोजन करने बैठ गए। मगर जहरीला भोजन खाते ही वे दोनों भी तड़प-तड़प कर मर गए। इस प्रकार तीनों का अंत भी बुरा ही हुआ। 

*शिक्षा:-*
बुराई का अंत बुरा ही होता है।

*सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।*
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

ऐसे और पोस्ट देखने के लिए और  खूबसूरत सी कहानीया से जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇

बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम::-

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜*(को लै गयो लाली की चुनरी)* By वनिता कासनियां पंजाब *🌳बाबा श्री माधव दास जी बरसाने में श्री किशोरी जी के दर्शन के लिए मंदिर की सीढ़ियों से चढ़ते हुए मन ही मन किशोरी जी से प्रार्थना कर रहे हैं....*.*🦚कि हे किशोरी जी मुझे प्रसाद में आपकी वह चुन्नी मिल जाए जिसे आप ओढ़े हुए हो तो मैं धन्य हो जाऊं...*.*🦚और आज ऐसा संयोग बना किशोरी जी की कृपा से पुजारी जी की मन में आया और उन्होंने चलते समय बाबा को श्री किशोरी जी की चुन्नी प्रसाद में दे दी...*.*🦚प्रसाद में चुन्नी को पाकर श्री किशोरी जी की कृपा का अनुभव करके बाबा की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा और सीढ़ियों से नीचे उतरने के पश्चात आनंद मध्य लगभग नृत्य करते हुए माधवदास बाबा जैसे ही सड़क की ओर चले...*.*🦚तो आठ वर्ष का एक सांवला सलौना बालक, जिसके घुंघराले बाल और मधुर मुस्कान थी। बाबा के पास आकर बोला-*.*🦚बाबा ! जे चुन्नी मोकूँ दे दे। बाबा बालक की ओर निहारते बोले- लाला बाजार ते दूसरो ले लै। मैं तोकूँ रुपया दे रहौ हूं। ऐसा कहिकै बाबा ने एक रुपया निकारि कै दियौ।*.*🦚बालक ने कहा -बाबा ! मोकूँ पैसा नाय चाहिए। मोकूँ तो जेई चुनरी चाहिए।* .*🦚बाबा बोले- ये चुनरी श्री जी की प्रसादी है। भैया मैं जाय चुन्नी तो नाय दूंगौ। ऐसो कहिकै बाबा ने चुन्नी को अपने हृदय से लगा लिया और आगे चल दिए।*.*🦚थोड़ी दूर ही गए होंगे कि इतने में ही पीछे ते बालक दौड़तो भयो आयौ और बाबा के कंधे पै ते चुन्नी खींच कै भाग गयौ।* .*🦚बाबा कहते रह गए -अरे ! मेरी बात तो सुनौ लेकिन वह कहां सुनने वाला था। बाबा ठगे हुए से खड़े विचार करते ही करते रह गए कि बालक कौनथा। जो इस प्रकार चुन्नी खींच कर ले गया ।*.*🦚चुन्नी कि इस प्रकार चले जाने से बाबा उदासी में श्री धाम वृंदावन लौट आए।*.*🦚शाम को बाबा श्री बिहारी जी के दर्शन के लिए आए तो देखा आज श्रीबिहारीजी के परम आश्चर्यमय दर्शन हो रहे हैं।*.*🦚जो चुनरी श्रीजी के मंदिर में से बाबा को प्रसादी रूप से प्राप्त हुई थी और बरसाने में सांवला बालक छीनकर भाग गया था। वही चुनरी श्री बिहारी जी धारण किए हुए मंद मंद मुस्कुरा रहे थे।*.*🦚बाबा माधवदास जी महाराज प्रसंनता से भर कर बोले -अच्छा ! तो वह ठग बालक आप ही थे। अरे कुछ देर तो मेरे पास श्रीजी की प्रसादी चुनरी को रहने दिया होता।।**🦚बिहारी जी अपने भक्तो से इसी प्रकार लीला करते हैं, ठाकुर जी अपने भक्तो पर कृपा करें।**श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास 🙏*♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁ऐसे और पोस्ट देखने के लिए और एक खूबसूरत सी कहानी से जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜 *(को लै गयो लाली  की चुनरी)* By वनिता कासनियां पंजाब *🌳बाबा श्री माधव दास जी बरसाने में श्री किशोरी जी के दर्शन के लिए मंदिर की सीढ़ियों से चढ़ते हुए मन ही मन किशोरी जी से प्रार्थना कर रहे हैं....* . *🦚कि हे किशोरी जी मुझे प्रसाद में आपकी वह चुन्नी मिल जाए जिसे आप ओढ़े हुए हो तो मैं धन्य हो जाऊं...* . *🦚और आज ऐसा संयोग बना किशोरी जी की कृपा से पुजारी जी की मन में आया और उन्होंने चलते समय बाबा को श्री किशोरी जी की चुन्नी प्रसाद में दे दी...* . *🦚प्रसाद में चुन्नी को पाकर श्री किशोरी जी की कृपा का अनुभव करके बाबा की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा और सीढ़ियों से नीचे उतरने के पश्चात आनंद मध्य लगभग नृत्य करते हुए माधवदास बाबा जैसे ही सड़क की ओर चले...* . *🦚तो आठ वर्ष का एक सांवला सलौना बालक, जिसके घुंघराले बाल और मधुर मुस्कान थी। बाबा के पास आकर बोला-* . *🦚बाबा ! जे चुन्नी मोकूँ दे दे। बाबा बालक की ओर निहारते बोले- लाला बाजार ते दूसरो ले लै। मैं तोकूँ रुपया दे रहौ हूं। ऐसा कहिकै बाबा ने एक रुपया निकारि कै दियौ।* . *🦚बालक ने कहा -बाबा ! मोकूँ पैसा नाय चाहिए। मोकूँ...