सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

प्रकृति ने नारी को मातृत्व का सुख अधिकार और गरिमा का अनोखा उपहार है। मातृत्व एक अनोखा अनुभव या उपहार है जो स्त्री को सम्पूर्ण करता है।हमारी भारतीय संस्कृति में सांस्कृतिक परम्पराएँ का विशेष महत्व है और यही परंपराए जीवन के ख़ास पलों को अविस्मरणीय बना देती हैं।इन्हीं में से एक गर्भवती महिला के लिए "गोद भराई" की रस्म होती है, जो सामान्यतः गर्भवती महिला के सातवें महीने में किया जाने वाला उत्सव होता है जिसमें रस्म में सम्मिलित महिलाएं गर्भवती महिला की गोद भरती हैं साथ में उसके और आने वाले बच्चे की उत्तम स्वास्थ की कामना करते हुए आशीर्वाद देती हैं।आधुनिकता के युग में आजकल "गोद भराई" की जगह "बेबी शॉवर" ने ले ली है। यह किस तरह का उत्सव होता है इसका मुझे कुछ अनुमान नहीं है क्योंकि हमारे यहां अभी भी गोद भराई का चलन है।लेकिन अक्सर बेबी शॉवर की तस्वीरें आती हैं जिनमें पार्टी में केक काटते हुए भी दिखाया जाता है। गोद भराई और केक का क्या संबंध है,यह समझ से परे है।जबकि गर्भवती महिला को गोद भराई में सूखे मेवे दिए जाते हैं क्योंकि गर्भावस्था के समय उसके शरीर को सूखे मेवे की आवश्यकता होती है।खैर वापस सवाल पर आते हैंआज आपने ऐसा क्या देखा,जो सोचने पर मजबूर करता है?बिपाशा बासु जो गर्भवती है, उसकी तस्वीर पिछले सप्ताह सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी थी, जिसमें उसने वस्त्र के नाम पर केवल एक शर्ट पहना हुआ था, अपने पति के साथ कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं।बिपाशा से प्रेरित होकर दो दिन बाद ही एक गर्भवती टीवी कलाकार ने भी बिपाशा की तरह अपना फोटो शूट करवाया।मातृत्व का प्रदर्शन आजकल सेलिब्रिटी लोगों के लिए आम बात हो गई है। पाश्चात्य देशों के सेलिब्रिटी की नकल करके ये लोग ऐसे बेहूदा प्रदर्शन करते हैं। आए दिन ऐसे फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं।कुछ समय पाई सोनम कपूर की तस्वीरें भी आईं थीं जिन्हें अनिल कपूर ने शेयर किया था।इन लोगों के लिए मातृत्व, प्रेगनेंसी भी प्रदर्शन, चर्चित रहने का माध्यम होता है।क्योंकि ये लोग प्रग्नेंसी में फोटो शूट करके "मातृत्व सुख" को भी आर्थिक लाभ के रूप में कैश करवाते हैं।परिवार में नए सदस्य का आगमन, माता पिता बनने का सुख लेना, खुश होना स्वाभाविक है लेकिन उसके लिए इस तरह से प्रदर्शन कहां तक उचित है???हो सकता है कुछ समय बाद भारत के सेलिब्रिटी भी पाश्चात्य देशों वाले सेलिब्रिटी के जैसे डिलीवरी का भी सीधा प्रसारण या किसी चैनल विशेष को प्रदर्शन के अधिकार देने के लिए अच्छी खासी वसूली कर लें।लेकिन इस तरह के फोटो प्रदर्शन निश्चित रूप से समाज में सकारात्मक संदेश तो नहीं देते हैं। इन्होंने कोई अनोखा काम तो किया नहीं। यह तो ईश्वर द्वारा प्रदत्त सुंदर भेंट है जिससे परिवार, जीवन आगे बढ़ता है।सकारात्मक संदेश तो वो होगा जब ये सेलिब्रिटी स्वयं अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करें…. अपने बच्चों का लालन पालन इस तरह करें कि इनके बच्चे वास्तव में देश सेवा,देशभक्ति, समाज के लिए कुछ कार्य करें।….. जिसकी संभावना बहुत कम है,….खासकर इस तरह से फोटो शूट करवाने वाले लोगों से तो लगभग नहीं के बराबर है।इस तरह से आधुनिक होने का दिखावा बंद होना चाहिए। विचारों से आधुनिकता झलकना चाहिए न कि फूहड़ प्रदर्शन से।,आजकल बॉलीवुड बनाम साउथ फिल्म इंडस्ट्री की चर्चा बहुत हो रही है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर आरोप लगाया जा रहा है कि वो सनातनी संस्कृति का मज़ाक उड़ाते हैं। उनको भारतीय संस्कृति में कमियां ही कमियां दिखाई देती हैं। उनको लगता है कि इन कमियों को तोड़ मरोड़ कर दर्शकों को परोस दें और दर्शक सहर्ष स्वीकार करें।जबकि दक्षिण की फिल्मों के बारे में कहा जा रहा है कि दक्षिण ( साउथ) फिल्म इंडस्ट्री में भारतीय संस्कार, संस्कृति का पालन करते हुए सम्मान सहित दिखाया जाता है… और उसके उदाहरण भी अक्सर देखने को मिल जाते हैं।इसी तरह का एक फोटो दिखा जिसमें फिल्म कलाकार की गर्भवती पत्नि के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया।ऐश्वर्या राय की पारंपरिक तरीके से गोदभराई का फोटो भी समाचार पत्रों में आया थास्वस्थ मानसिकता ही स्वस्थ समाज को .जन्म देती है।( ऊपर लिखे गए विचार मेरे व्यक्तिगत विचार हैं)चित्र — गूगल से साभार प्राप्त।

प्रकृति ने नारी को मातृत्व का सुख अधिकार और गरिमा का अनोखा उपहार है। मातृत्व एक अनोखा अनुभव या उपहार है जो स्त्री को सम्पूर्ण करता है।

हमारी भारतीय संस्कृति में सांस्कृतिक परम्पराएँ का विशेष महत्व है और यही परंपराए जीवन के ख़ास पलों को अविस्मरणीय बना देती हैं।

इन्हीं में से एक गर्भवती महिला के लिए "गोद भराई" की रस्म होती है, जो सामान्यतः गर्भवती महिला के सातवें महीने में किया जाने वाला उत्सव होता है जिसमें रस्म में सम्मिलित महिलाएं गर्भवती महिला की गोद भरती हैं साथ में उसके और आने वाले बच्चे की उत्तम स्वास्थ की कामना करते हुए आशीर्वाद देती हैं।

आधुनिकता के युग में आजकल "गोद भराई" की जगह "बेबी शॉवर" ने ले ली है। यह किस तरह का उत्सव होता है इसका मुझे कुछ अनुमान नहीं है क्योंकि हमारे यहां अभी भी गोद भराई का चलन है।

लेकिन अक्सर बेबी शॉवर की तस्वीरें आती हैं जिनमें पार्टी में केक काटते हुए भी दिखाया जाता है। गोद भराई और केक का क्या संबंध है,यह समझ से परे है।

जबकि गर्भवती महिला को गोद भराई में सूखे मेवे दिए जाते हैं क्योंकि गर्भावस्था के समय उसके शरीर को सूखे मेवे की आवश्यकता होती है।

खैर वापस सवाल पर आते हैं

आज आपने ऐसा क्या देखा,जो सोचने पर मजबूर करता है?

बिपाशा बासु जो गर्भवती है, उसकी तस्वीर पिछले सप्ताह सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी थी, जिसमें उसने वस्त्र के नाम पर केवल एक शर्ट पहना हुआ था, अपने पति के साथ कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं।

बिपाशा से प्रेरित होकर दो दिन बाद ही एक गर्भवती टीवी कलाकार ने भी बिपाशा की तरह अपना फोटो शूट करवाया।

मातृत्व का प्रदर्शन आजकल सेलिब्रिटी लोगों के लिए आम बात हो गई है। पाश्चात्य देशों के सेलिब्रिटी की नकल करके ये लोग ऐसे बेहूदा प्रदर्शन करते हैं। आए दिन ऐसे फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं।

कुछ समय पाई सोनम कपूर की तस्वीरें भी आईं थीं जिन्हें अनिल कपूर ने शेयर किया था।

इन लोगों के लिए मातृत्व, प्रेगनेंसी भी प्रदर्शन, चर्चित रहने का माध्यम होता है।

क्योंकि ये लोग प्रग्नेंसी में फोटो शूट करके "मातृत्व सुख" को भी आर्थिक लाभ के रूप में कैश करवाते हैं।

परिवार में नए सदस्य का आगमन, माता पिता बनने का सुख लेना, खुश होना स्वाभाविक है लेकिन उसके लिए इस तरह से प्रदर्शन कहां तक उचित है???

हो सकता है कुछ समय बाद भारत के सेलिब्रिटी भी पाश्चात्य देशों वाले सेलिब्रिटी के जैसे डिलीवरी का भी सीधा प्रसारण या किसी चैनल विशेष को प्रदर्शन के अधिकार देने के लिए अच्छी खासी वसूली कर लें।

लेकिन इस तरह के फोटो प्रदर्शन निश्चित रूप से समाज में सकारात्मक संदेश तो नहीं देते हैं। इन्होंने कोई अनोखा काम तो किया नहीं। यह तो ईश्वर द्वारा प्रदत्त सुंदर भेंट है जिससे परिवार, जीवन आगे बढ़ता है।

सकारात्मक संदेश तो वो होगा जब ये सेलिब्रिटी स्वयं अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करें…. अपने बच्चों का लालन पालन इस तरह करें कि इनके बच्चे वास्तव में देश सेवा,देशभक्ति, समाज के लिए कुछ कार्य करें।….. जिसकी संभावना बहुत कम है,….खासकर इस तरह से फोटो शूट करवाने वाले लोगों से तो लगभग नहीं के बराबर है।

इस तरह से आधुनिक होने का दिखावा बंद होना चाहिए। विचारों से आधुनिकता झलकना चाहिए न कि फूहड़ प्रदर्शन से।


,आजकल बॉलीवुड बनाम साउथ फिल्म इंडस्ट्री की चर्चा बहुत हो रही है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर आरोप लगाया जा रहा है कि वो सनातनी संस्कृति का मज़ाक उड़ाते हैं। उनको भारतीय संस्कृति में कमियां ही कमियां दिखाई देती हैं। उनको लगता है कि इन कमियों को तोड़ मरोड़ कर दर्शकों को परोस दें और दर्शक सहर्ष स्वीकार करें।

जबकि दक्षिण की फिल्मों के बारे में कहा जा रहा है कि दक्षिण ( साउथ) फिल्म इंडस्ट्री में भारतीय संस्कार, संस्कृति का पालन करते हुए सम्मान सहित दिखाया जाता है… और उसके उदाहरण भी अक्सर देखने को मिल जाते हैं।

इसी तरह का एक फोटो दिखा जिसमें फिल्म कलाकार की गर्भवती पत्नि के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया।

ऐश्वर्या राय की पारंपरिक तरीके से गोदभराई का फोटो भी समाचार पत्रों में आया था


स्वस्थ मानसिकता ही स्वस्थ समाज को .जन्म देती है।

( ऊपर लिखे गए विचार मेरे व्यक्तिगत विचार हैं)

चित्र — गूगल से साभार प्राप्त।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜*(को लै गयो लाली की चुनरी)* By वनिता कासनियां पंजाब *🌳बाबा श्री माधव दास जी बरसाने में श्री किशोरी जी के दर्शन के लिए मंदिर की सीढ़ियों से चढ़ते हुए मन ही मन किशोरी जी से प्रार्थना कर रहे हैं....*.*🦚कि हे किशोरी जी मुझे प्रसाद में आपकी वह चुन्नी मिल जाए जिसे आप ओढ़े हुए हो तो मैं धन्य हो जाऊं...*.*🦚और आज ऐसा संयोग बना किशोरी जी की कृपा से पुजारी जी की मन में आया और उन्होंने चलते समय बाबा को श्री किशोरी जी की चुन्नी प्रसाद में दे दी...*.*🦚प्रसाद में चुन्नी को पाकर श्री किशोरी जी की कृपा का अनुभव करके बाबा की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा और सीढ़ियों से नीचे उतरने के पश्चात आनंद मध्य लगभग नृत्य करते हुए माधवदास बाबा जैसे ही सड़क की ओर चले...*.*🦚तो आठ वर्ष का एक सांवला सलौना बालक, जिसके घुंघराले बाल और मधुर मुस्कान थी। बाबा के पास आकर बोला-*.*🦚बाबा ! जे चुन्नी मोकूँ दे दे। बाबा बालक की ओर निहारते बोले- लाला बाजार ते दूसरो ले लै। मैं तोकूँ रुपया दे रहौ हूं। ऐसा कहिकै बाबा ने एक रुपया निकारि कै दियौ।*.*🦚बालक ने कहा -बाबा ! मोकूँ पैसा नाय चाहिए। मोकूँ तो जेई चुनरी चाहिए।* .*🦚बाबा बोले- ये चुनरी श्री जी की प्रसादी है। भैया मैं जाय चुन्नी तो नाय दूंगौ। ऐसो कहिकै बाबा ने चुन्नी को अपने हृदय से लगा लिया और आगे चल दिए।*.*🦚थोड़ी दूर ही गए होंगे कि इतने में ही पीछे ते बालक दौड़तो भयो आयौ और बाबा के कंधे पै ते चुन्नी खींच कै भाग गयौ।* .*🦚बाबा कहते रह गए -अरे ! मेरी बात तो सुनौ लेकिन वह कहां सुनने वाला था। बाबा ठगे हुए से खड़े विचार करते ही करते रह गए कि बालक कौनथा। जो इस प्रकार चुन्नी खींच कर ले गया ।*.*🦚चुन्नी कि इस प्रकार चले जाने से बाबा उदासी में श्री धाम वृंदावन लौट आए।*.*🦚शाम को बाबा श्री बिहारी जी के दर्शन के लिए आए तो देखा आज श्रीबिहारीजी के परम आश्चर्यमय दर्शन हो रहे हैं।*.*🦚जो चुनरी श्रीजी के मंदिर में से बाबा को प्रसादी रूप से प्राप्त हुई थी और बरसाने में सांवला बालक छीनकर भाग गया था। वही चुनरी श्री बिहारी जी धारण किए हुए मंद मंद मुस्कुरा रहे थे।*.*🦚बाबा माधवदास जी महाराज प्रसंनता से भर कर बोले -अच्छा ! तो वह ठग बालक आप ही थे। अरे कुछ देर तो मेरे पास श्रीजी की प्रसादी चुनरी को रहने दिया होता।।**🦚बिहारी जी अपने भक्तो से इसी प्रकार लीला करते हैं, ठाकुर जी अपने भक्तो पर कृपा करें।**श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास 🙏*♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁ऐसे और पोस्ट देखने के लिए और एक खूबसूरत सी कहानी से जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜 *(को लै गयो लाली  की चुनरी)* By वनिता कासनियां पंजाब *🌳बाबा श्री माधव दास जी बरसाने में श्री किशोरी जी के दर्शन के लिए मंदिर की सीढ़ियों से चढ़ते हुए मन ही मन किशोरी जी से प्रार्थना कर रहे हैं....* . *🦚कि हे किशोरी जी मुझे प्रसाद में आपकी वह चुन्नी मिल जाए जिसे आप ओढ़े हुए हो तो मैं धन्य हो जाऊं...* . *🦚और आज ऐसा संयोग बना किशोरी जी की कृपा से पुजारी जी की मन में आया और उन्होंने चलते समय बाबा को श्री किशोरी जी की चुन्नी प्रसाद में दे दी...* . *🦚प्रसाद में चुन्नी को पाकर श्री किशोरी जी की कृपा का अनुभव करके बाबा की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा और सीढ़ियों से नीचे उतरने के पश्चात आनंद मध्य लगभग नृत्य करते हुए माधवदास बाबा जैसे ही सड़क की ओर चले...* . *🦚तो आठ वर्ष का एक सांवला सलौना बालक, जिसके घुंघराले बाल और मधुर मुस्कान थी। बाबा के पास आकर बोला-* . *🦚बाबा ! जे चुन्नी मोकूँ दे दे। बाबा बालक की ओर निहारते बोले- लाला बाजार ते दूसरो ले लै। मैं तोकूँ रुपया दे रहौ हूं। ऐसा कहिकै बाबा ने एक रुपया निकारि कै दियौ।* . *🦚बालक ने कहा -बाबा ! मोकूँ पैसा नाय चाहिए। मोकूँ...