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💞💞कहानियां💞💞: *कहानी बडी सुहानी* *19.10.2022*********************************यह कथा उन सभी ईमानदार डॉक्टरो को समर्पित हैं जो किसी की मजबूरी का फायदा नहीं उठाते।***********************************वासु भाई और वीणा बेन गुजरात के एक शहर में रहते हैं। आज दोनों यात्रा की तैयारी कर रहे थे। 3 दिन का अवकाश था वे पेशे से चिकित्सक थे ।लंबा अवकाश नहीं ले सकते थे ।परंतु जब भी दो-तीन दिन का अवकाश मिलता ,छोटी यात्रा पर कहीं चले जाते हैं ।* *आज उनका इंदौर - उज्जैन जाने का विचार था । दोनों साथ-साथ मेडिकल कॉलेज में पढ़ते थे, वहीं पर प्रेम अंकुरित हुआ ,और बढ़ते - बढ़ते वृक्ष बना। दोनों ने परिवार की स्वीकृति से विवाह किया 2 साल हो गए ,संतान कोई थी नहीं ,इसलिए यात्रा का आनंद लेते रहते थे ।* *विवाह के बाद दोनों ने अपना निजी अस्पताल खोलने का फैसला किया , बैंक से लोन लिया ।वीणा बेन स्त्री रोग विशेषज्ञ और वासु भाई डाक्टर आफ मेडिसिन थे ।इसलिए दोनों की कुशलता के कारण अस्पताल अच्छा चल निकला था ।* *आज इंदौर जाने का कार्यक्रम बनाया था । जब मेडिकल कॉलेज में पढ़ते थे वासु भाई ने इंदौर के बारे में बहुत सुना था । नई नई वस्तु है। खाने के शौकीन थे । इंदौर के सराफा बाजार और 56 दुकान पर मिलने वाली मिठाईयां नमकीन के बारे में भी सुना था, साथ ही महाकाल के दर्शन करने की इच्छा थी इसलिए उन्होंने इस बार इंदौर उज्जैन की यात्रा करने का विचार किया था ।* *यात्रा पर रवाना हुए ,आकाश में बादल घुमड़ रहे थे । मध्य प्रदेश की सीमा लगभग 200 किलोमीटर दूर थी। बारिश होने लगी थी।"**म.प्र. सीमा से 40 किलोमीटर पहले छोटा शहर पार करने में समय लगा कीचड़ और भारी यातायात में बड़ी कठिनाई से दोनों ने रास्ता पार किया।**भोजन तो मध्यप्रदेश में जाकर करने का विचार था । परंतु चाय का समय हो गया था ।उस छोटे शहर से चार 5 किलोमीटर आगे निकले ।सड़क के किनारे एक छोटा सा मकान दिखाई दिया ।**जिसके आगे वेफर्स के पैकेट लटक रहे थे ।उन्होंने विचार किया कि यह कोई होटल है । वासु भाई ने वहां पर गाड़ी रोकी, वहां पर , कोई नहीं था ।आवाज लगाई ,अंदर से एक महिला निकल कर के आई।**उसने पूछा क्या चाहिए , भाई ?* *वासु भाई ने दो पैकेट वेफर्स के लिए ,और कहा बेन दो कप चाय बना देना ।थोड़ी जल्दी बना देना , हमको दूर जाना है ।* *पैकेट लेकर के गाड़ी में गए ।वीणा बेन और दोनों ने पैकेट के वैफर्स का नाश्ता किया । चाय अभी तक आई नहीं थी ।* *दोनों कार से निकल कर के दुकान में रखी हुई कुर्सियों पर बैठे ।वासु भाई ने फिर आवाज लगाई!* *थोड़ी देर में वह महिला अंदर से आई ।बोली -भाई बाड़े में तुलसी लेने गई थी , तुलसी के पत्ते लेने में देर हो गई ,अब चाय बन रही है ।थोड़ी देर बाद एक प्लेट में दो मैले से कप ले करके वह गरमा गरम चाय लाई।* *मैले कप को देखकर वासु भाई एकदम से अपसेट हो गए ,और कुछ बोलना चाहते थे ।परंतु वीणाबेन ने हाथ पकड़कर उनको रोक दिया ।* *चाय के कप उठाए ।उसमें से अदरक और तुलसी की सुगंध निकल रही थी ।दोनों ने चाय का एक सिप लिया । ऐसी स्वादिष्ट और सुगंधित चाय जीवन में पहली बार उन्होंने पी ।उनके मन की हिचकिचाहट दूर हो गई।**उन्होंने महिला को चाय पीने के बाद पूछा कितने पैसे ?**महिला ने कहा - बीस रुपये वासु भाई ने सौ का नोट दिया ।* *महिला ने कहा कि भाई छुट्टा नहीं है । ₹. 20 छुट्टा ।वासुभाई ने बीस रु का नोट दिया। महिला ने सौ का नोट वापस किया।वासु भाई ने कहा कि हमने तो वैफर्स के पैकेट भी लिए हैं !* *महिला बोली यह पैसे उसी के हैं ।चाय के पैसे नहीं लिए अरे चाय के पैसे क्यों नहीं लिए ?**जवाब मिला ,हम चाय नहीं बेंचते हैं। यह होटल नहीं है फिर आपने चाय क्यों बना दी ?**अतिथि आए ,आपने चाय मांगी ,हमारे पास दूध भी नहीं था । यह बच्चे के लिए दूध रखा था ,परंतु आपको मना कैसे करते ।इसलिए इसके दूध की चाय बना दी ।**अभी बच्चे को क्या पिलाओगे ?**एक दिन दूध नहीं पिएगा तो मर नहीं जाएगा । इसके पापा बीमार हैं वह शहर जा करके दूध ले आते ,पर उनको कल से बुखार है ।आज अगर ठीक हो जाएगे तो कल सुबह जाकर दूध ले आएंगे।* *वासु भाई उसकी बात सुनकर सन्न रह गये। इस महिला ने होटल ना होते हुए भी अपने बच्चे के दूध से चाय बना दी और वह भी केवल इसलिए कि मैंने कहा था ,अतिथि रूप में आकर के संस्कार और सभ्यता में महिला मुझसे बहुत आगे हैं ।* *उन्होंने कहा कि हम दोनों डॉक्टर हैं ,आपके पति कहां हैं बताएं ।महिला उनको भीतर ले गई । अंदर गरीबी पसरी हुई थी ।एक खटिया पर सज्जन सोए हुए थे । बहुत दुबले पतले थे ।* *वासु भाई ने जाकर उनका मस्तक संभाला ।माथा और हाथ गर्म हो रहे थे ,और कांप रहे थे वासु भाई वापस गाड़ी में , गए दवाई का अपना बैग लेकर के आए ।**उनको दो-तीन टेबलेट निकालकर के दी , खिलाई फिर कहा- कि इन गोलियों से इनका रोग ठीक नहीं होगा ।* *मैं पीछे शहर में जा कर के और इंजेक्शन और इनके लिए बोतल ले आता हूं वीणा बेन को उन्होंने मरीज के पास बैठने का कहा ।* *गाड़ी लेकर के गए ,आधे घंटे में शहर से बोतल , इंजेक्शन , ले कर के आए और साथ में दूध की थैलीयां भी लेकरआये।* *मरीज को इंजेक्शन लगाया, बोतल चढ़ाई ,और जब तक बोतल लगी दोनों वहीं ही बैठे रहे ।**एक बार और तुलसी और अदरक की चाय बनी ।दोनों ने चाय पी और उसकी तारीफ की।जब मरीज 2 घंटे में थोड़े ठीक हुए, तब वह दोनों वहां से आगे बढ़े।* *3 दिन इंदौर उज्जैन में रहकर , जब लौटे तो उनके बच्चे के लिए बहुत सारे खिलौने ,और दूध की थैली लेकर के आए ।* *वापस उस दुकान के सामने रुके ,महिला को आवाज लगाई , तो दोनों बाहर निकल कर उनको देख कर बहुत खुश हो गये। उन्होंने कहा कि आप की दवाई से दूसरे दिन ही बिल्कुल स्वस्थ हो गया ।**वासु भाई ने बच्चे को खिलोने दिए ।दूध के पैकेट दिए । फिर से चाय बनी, बातचीत हुई , अपनापन स्थापित हुआ। वासु भाई ने अपना एड्रेस कार्ड दिया ।कहा, जब भी आओ जरूर मिले ,और दोनों वहां से अपने शहर की ओर ,लौट गये ।* *शहर पहुंचकर वासु भाई ने उस महिला की बात याद रखी। फिर एक फैसला लिया।* *अपने अस्पताल में रिसेप्शन पर बैठे हुए व्यक्ति से कहा कि ,अब आगे से आप जो भी मरीज आयें, केवल उसका नाम लिखेंगे ,फीस नहीं लेंगे ।फीस मैं खुद लूंगा।"* *और जब मरीज आते तो अगर वह गरीब मरीज होते तो उन्होंने उनसे फीस लेना बंद कर दिया ।**केवल संपन्न मरीज देखते तो ही उनसे फीस लेते ।* *धीरे धीरे शहर में उनकी प्रसिद्धि फैल गई । दूसरे डाक्टरों ने सुना ।उन्हें लगा कि इस कारण से हमारी प्रैक्टिस कम हो जाएगी ,और लोग हमारी निंदा करेंगे ।* *उन्होंने एसोसिएशन के अध्यक्ष से कहा एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ वासु भाई से मिलने आए ,उन्होंने कहा कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो ?* *तब वासु भाई ने जो जवाब दिया उसको सुनकर उनका मन भी उद्वेलित हो गया ।**वासु भाई ने कहा कि मैं मेरे जीवन में हर परीक्षा में मेरिट में पहली पोजीशन पर आता रहा ।एमबीबीएस में भी ,एमडी में भी गोल्ड मेडलिस्ट बना ,परंतु सभ्यता संस्कार और अतिथि सेवा गांव की महिला जो बहुत गरीब है ,वह मुझसे आगे निकल गयी। तो मैं अब पीछे कैसे रहूं?**इसलिए मैं अतिथि सेवा में मानव सेवा में भी गोल्ड मेडलिस्ट बनूंगा । इसलिए मैंने यह सेवा प्रारंभ की । और मैं यह कहता हूं कि हमारा व्यवसाय मानव सेवा का है। सारे चिकित्सकों से भी मेरी अपील है कि वह सेवा भावना से काम करें ।गरीबों की निशुल्क सेवा करें ,उपचार करें ।यह व्यवसाय धन कमाने का नही* ।*परमात्मा ने मानव सेवा का अवसर प्रदान किया है ,* *एसोसिएशन के अध्यक्ष ने वासु भाई को प्रणाम किया और धन्यवाद देकर उन्होंने कहा कि मैं भी आगे से ऐसी ही भावना रखकर के चिकित्सकीय सेवा करुंगा।**"उपर्युक्त कथा का सम्बंध चिकित्सको से जरूर हैं तो यहाँ पर मेरा मानना यह हैं कि ज्योतिषी भी एक प्रकार का चिकित्सक होता हैं जिसको व्यक्ति अपनी शारीरिक और मानसिक समस्याओं के बारे में वह ज्योतिषी को बताता हैं।तो समस्त ज्योतिषियों को भी उपर्युक्त कथा से सीख लेने की आवश्यकता है।"**क्षमासाहित* ***********************************∆आप की जगह∆* *पिता ने बेटे से कहा, "तुमने बहुत अच्छे नंबरों से ग्रेजुएशन पूरी की है। अब क्यूंकि तुम नौकरी पाने के लिए प्रयास कर रहे हो , मैं तुमको यह कार उपहार स्वरुप भेंट करना चाहता हूँ ,* *यह कार मैंने कई साल पहले हासिल की थी, यह बहुत पुरानी है। इसे कार डीलर के पास ले जाओ और उन्हें बताओ कि तुम इसे बेचना चाहते हो। देखो वे तुम्हें कितना पैसा देने का प्रस्ताव रखते हैं।"**बेटा कार को डीलर के पास ले गया, पिता के पास लौटा और बोला, "उन्होंने 60,000 रूपए की पेशकश की है क्योंकि कार बहुत पुरानी है।" पिता ने कहा, "ठीक है, अब इसे कबाड़ी की दुकान पर ले जाओ।"**बेटा कबाड़ी की दुकान पर गया, पिता के पास लौटा और बोला, "कबाड़ी की दुकान वाले ने सिर्फ 6000 रूपए की पेशकश की, क्योंकि कार बहुत पुरानी है।"**पिता ने बेटे से कहा कि कार को एक क्लब ले जाए जहां विशिष्ट कारें रखी जाती हैं।**बेटा कार को एक क्लब ले गया, वापस लौटा और उत्साह के साथ बोला, "क्लब के कुछ लोगों ने इसके लिए 60 लाख रूपए तक की पेशकश की है!* *क्योंकि यह निसान स्काईलाइन आर34 है, एक प्रतिष्ठित कार, और कई लोग इसकी मांग करते हैं।"**पिता ने बेटे से कहा, "कुछ समझे? मैं चाहता था कि तुम यह समझो कि सही जगह पर ही तुम्हें सही महत्व मिलेगा। अगर किसी प्रतिष्ठान में तुम्हें कद्र नहीं मिल रही, तो गुस्सा न होना, क्योंकि इसका मतलब एक है कि तुम गलत जगह पर हो।* *सफलता केवल अपने हुनर और परिश्रम से नहीं मिल जाती, लोगों के साथ मिलती है, और तुम किन लोगों के बीच में हो , कुछ समय में तुमको स्वतः ही ज्ञात हो जाएगा I तुम्हें सही जगह पर जाना होगा, जहाँ लोग तुम्हारी कीमत जानें और सराहना करें।*🙏🌹 ********************************** *❤️ खुद को जानो❤*************************************आज चाय के साथ पकोड़े खाने का मन हुआ,**फिर सोचा घर मे किसी को पसंद ही नही पकोड़े खाना तो अपने लिए क्या बनाऊ.... चाय ली और दो बिस्कुट लेकर बैठ गई....**सुबह से शाम तक का सोचने लगी.... घर मे जो भी बनता है बच्चो या फिर पति देव की पसंद का बनता है अपनी पसंद का कभी नही बनाया....**खाना मै ही परोसती हूँ.... पर सभी को खिलाने के बाद अगर सलाद खत्म हो जाए तो अपने लिए सलाद दोबारा नहीं काटती....**सभी की चीजों का मुझे ही ख्याल रखना है.... पर अपनी ही दवाई भूल जाती हूँ.... रात को सारा काम निपटा कर जैसे ही सोने की तैयारी करो तो आवाज़ आती है एक ग्लास पानी तो दे दो... पर अपने लिए पानी लेने खुद ही उठना पड़ता है.....**जब सभी का ख्याल रख सकती हूँ.तो खुद के लिए कुछ क्यों नही कर सकती....**अब इसका जवाब देना तो हम गृहनियों के लिए मुश्किल हीं होगा। रोज़ सब के लिए फलों का प्लेट सजाते सजाते एक-आध टुकड़ा मुँह में डाल ली तो डाल ली.खुद की प्लेट भी बनाई होगी, याद हीं नहीं.**इतनी लीन हुई ये दुनियादारी में, की दुनियाँ ने इनकी रीत हीं बना डाली.**लक्ष्मण रेखा सी खींच डाली.जकड़ डाला हमने खुद को एक रिवाज में.इसकी दोषी हम खुद हैं......* *वर्ना कहाँ लिखा है. किसने कहा है, कि सब की सेहत का खयाल रखो, लेकिन खुद की नहीं?**सजाओ सब की थाली,वही प्यार वाली। पर एक और बढ़ा दो,खुद के नाम की थाली।**काटो तरबूज़, डालो अँगूर,अपनी प्लेट भी सजाना ज़रूर।**दवाइयाँ देखो है ना सब की, देखो फिर से एक बार,अपनी दवाई भूली तो नहीं**इस बार शाम हुई है,कोई है नहीं पास, फिर भी बनाओ चाय, देखो ना, तुम भी हो ख़ास।**कोई कहेगा , तब हीं रखोगी, सेहत है तुम्हारी कई बार कहूँ, कब अपने हिस्से की ज़िन्दगी चखोगी।**दौड़ते भागते, थोड़ी ठहरा करो,रखो सब का खयाल तुम.और अपने ख़ातिर भी खुशियों का पहरा धरो।* वनिता कासनियां पंजाब द्वारा🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

💞💞कहानियां💞💞 : *कहानी बडी सुहानी* *19.10.2022* ******************************* *यह कथा उन सभी ईमानदार डॉक्टरो को समर्पित हैं जो किसी की मजबूरी का फायदा नहीं उठाते।* ********************************* *वासु भाई और वीणा बेन गुजरात के एक शहर में रहते हैं। आज दोनों यात्रा की तैयारी कर रहे थे। 3 दिन का अवकाश था वे पेशे से चिकित्सक थे ।लंबा अवकाश नहीं ले सकते थे ।परंतु जब भी दो-तीन दिन का अवकाश मिलता ,छोटी यात्रा पर कहीं चले जाते हैं ।*         *आज उनका इंदौर - उज्जैन जाने का विचार था । दोनों साथ-साथ मेडिकल कॉलेज में पढ़ते थे, वहीं पर प्रेम अंकुरित हुआ ,और बढ़ते - बढ़ते वृक्ष बना। दोनों ने परिवार की स्वीकृति से विवाह किया   2 साल हो गए ,संतान कोई थी नहीं ,इसलिए यात्रा का आनंद लेते रहते थे ।*            *विवाह के बाद दोनों ने अपना निजी अस्पताल खोलने का फैसला किया , बैंक से लोन लिया ।वीणा  बेन स्त्री रोग विशेषज्ञ और वासु भाई  डाक्टर  आफ मेडिसिन थे ।इसलिए दोनों की कुशलता के कारण अस्पताल अच्छा चल निकला था ।*...

*#आत्म_मूल्यांकन ❤️🔍एक बार एक व्यक्ति कुछ पैसे निकलवाने के लिए बैंक में गया। जैसे ही कैशियर ने पेमेंट दी कस्टमर ने चुपचाप उसे अपने बैग में रखा और चल दिया। उसने एक लाख चालीस हज़ार रुपए निकलवाए थे। उसे पता था कि कैशियर ने ग़लती से एक लाख चालीस हज़ार रुपए देने के बजाय एक लाख साठ हज़ार रुपए उसे दे दिए हैं लेकिन उसने ये आभास कराते हुए कि उसने पैसे गिने ही नहीं और कैशियर की ईमानदारी पर उसे पूरा भरोसा है चुपचाप पैसे रख लिए।इसमें उसका कोई दोष था या नहीं लेकिन पैसे बैग में रखते ही 20,000 अतिरिक्त रुपयों को लेकर उसके मन में उधेड़ -बुन शुरू हो गई। एक बार उसके मन में आया कि फालतू पैसे वापस लौटा दे लेकिन दूसरे ही पल उसने सोचा कि जब मैं ग़लती से किसी को अधिक पेमेंट कर देता हूँ तो मुझे कौन लौटाने आता है??? 😳🙄बार-बार मन में आया कि पैसे लौटा दे लेकिन हर बार दिमाग कोई न कोई बहाना या कोई न कोई वजह दे देता पैसे न लौटाने की। 😇😇लेकिन इंसान के अन्दर सिर्फ दिमाग ही तो नहीं होता… दिल और अंतरात्मा भी तो होती है… रह-रह कर उसके अंदर से आवाज़ आ रही थी कि तुम किसी की ग़लती से फ़ायदा उठाने से नहीं चूकते और ऊपर से बेईमान न होने का ढोंग भी करते हो। क्या यही ईमानदारी है? 💁‍♂️उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। अचानक ही उसने बैग में से बीस हज़ार रुपए निकाले और जेब में डालकर बैंक की ओर चल दिया। 🏦💸🚶‍♂️उसकी बेचैनी और तनाव कम होने लगा था। वह हल्का और स्वस्थ अनुभव कर रहा था। वह कोई बीमार थोड़े ही था लेकिन उसे लग रहा था जैसे उसे किसी बीमारी से मुक्ति मिल गई हो। उसके चेहरे पर किसी जंग को जीतने जैसी प्रसन्नता व्याप्त थी। 😄💪रुपए पाकर कैशियर ने चैन की सांस ली। उसने कस्टमर को अपनी जेब से हज़ार रुपए का एक नोट निकालकर उसे देते हुए कहा, ‘‘भाई साहब आपका बहुत-बहुत आभार! आज मेरी तरफ से बच्चों के लिए मिठाई ले जाना। प्लीज़ मना मत करना।” 😊‘‘भाई आभारी तो मैं हूँ आपका और आज मिठाई भी मैं ही आप सबको खिलाऊँगा, ’’ कस्टमर ने बोला। 👏👏कैशियर ने पूछा, ‘‘ भाई आप किस बात का आभार प्रकट कर रहे हो और किस ख़ुशी में मिठाई खिला रहे हो?’’ 🙄कस्टमर ने जवाब दिया, ‘‘आभार इस बात का कि बीस हज़ार के चक्कर ने मुझे "आत्म-मूल्यांकन" का अवसर प्रदान किया। आपसे ये ग़लती न होती तो न तो मैं द्वंद्व में फँसता और न ही उससे निकल कर अपनी लोभवृत्ति पर क़ाबू पाता। यह बहुत मुश्किल काम था। घंटों के द्वंद्व के बाद ही मैं जीत पाया। इस दुर्लभ अवसर के लिए आपका आभार।” 🥹दोस्तों, कहाँ तो वो लोग हैं जो अपनी ईमानदारी का पुरस्कार और प्रशंसा पाने का अवसर नही चूकते और कहाँ वो जो औरों को पुरस्कृत करते हैं। ईमानदारी का कोई पुरस्कार नहीं होता अपितु ईमानदारी स्वयं में एक बहुत बड़ा पुरस्कार है। अपने लोभ पर क़ाबू पाना कोई सामान्य बात नहीं। ऐसे अवसर भी जीवन में सौभाग्य से ही मिलते हैं अतः उन्हें गंवाना नहीं चाहिए अपितु उनका उत्सव मनाना चाहिए।वनिता कासनियां पंजाब द्वाराजय श्री राम

*#आत्म_मूल्यांकन ❤️🔍 एक बार एक व्यक्ति कुछ पैसे निकलवाने के लिए बैंक में गया। जैसे ही कैशियर ने पेमेंट दी कस्टमर ने चुपचाप उसे अपने बैग में रखा और चल दिया। उसने एक लाख चालीस हज़ार रुपए निकलवाए थे। उसे पता था कि कैशियर ने ग़लती से एक लाख चालीस हज़ार रुपए देने के बजाय एक लाख साठ हज़ार रुपए उसे दे दिए हैं लेकिन उसने ये आभास कराते हुए कि उसने पैसे गिने ही नहीं और कैशियर की ईमानदारी पर उसे पूरा भरोसा है चुपचाप पैसे रख लिए। इसमें उसका कोई दोष था या नहीं लेकिन पैसे बैग में रखते ही 20,000 अतिरिक्त रुपयों को लेकर उसके मन में उधेड़ -बुन शुरू हो गई। एक बार उसके मन में आया कि फालतू पैसे वापस लौटा दे लेकिन दूसरे ही पल उसने सोचा कि जब मैं ग़लती से किसी को अधिक पेमेंट कर देता हूँ तो मुझे कौन लौटाने आता है??? 😳🙄 बार-बार मन में आया कि पैसे लौटा दे लेकिन हर बार दिमाग कोई न कोई बहाना या कोई न कोई वजह दे देता पैसे न लौटाने की। 😇😇 लेकिन इंसान के अन्दर सिर्फ दिमाग ही तो नहीं होता… दिल और अंतरात्मा भी तो होती है… रह-रह कर उसके अंदर से आवाज़ आ रही थी कि तुम किसी की ग़लती से फ़ायदा उठाने से नहीं चूकत...

वा*गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।* *जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।**बेचा है ईमान धरम तब, घर में शानो शौकत आई है।* *संतोष बेच, तृष्णा खरीदी, देखो कितनी मंहगाई है।।* बीघा बेच स्कवायर फीट खरीदा, ये कैसी सौदाई है। संयुक्त परिवार के वट वृक्ष से टूटी, ये पीढ़ी मुरझाई है।। *रिश्तों में है भरी चालाकी, हर बात में दिखती चतुराई है।*कहीं गुम हो गई मिठास, जीवन से, हर जगह कड़वाहट भर आई है।। रस्सी की बुनी खाट बेच दी, मैट्रेस ने जगह बनाई है। अचार, मुरब्बे को धकेल कर, शो केस में सजी दवाई है।। *माटी की सोंधी महक बेच के, रुम स्प्रे की खुशबू पाई है।* मिट्टी का चुल्हा बेच दिया, आज गैस पे बेस्वाद सी खीर बनाई है।। *पांच पैसे का लेमनचूस बेचा, तब कैडबरी हमने पाई है।**बेच दिया भोलापन अपना, फिर मक्कारी पाई है।।*सैलून में अब बाल कट रहे, कहाँ घूमता घर- घर नाई है।दोपहर में अम्मा के संग, गप्प मारने क्या कोई आती चाची ताई है।। मलाई बरफ के गोले बिक गये, तब कोक की बोतल आई है। *मिट्टी के कितने घड़े बिक गये, तब फ्रिज में ठंढक आई है ।।*खपरैल बेच फॉल्स सीलिंग खरीदा, हमने अपनी नींद उड़ाई है। *बरकत के कई दीये बुझा कर, रौशनी बल्बों में आई है।।*गोबर से लिपे फर्श बेच दिये, तब टाईल्स में चमक आई है।*देहरी से गौ माता बेची, फिर संग लेटे कुत्ते ने पूँछ हिलाई है ।।**बेच दिये संस्कार सभी, और खरीदी हमने बेहयाई है।*ब्लड प्रेशर, शुगर ने तो अब, हर घर में ली अंगड़ाई है।। *दादी नानी की कहानियां हुईं झूठी, वेब सीरीज ने जगह बनाई है।*बहुत तनाव है जीवन में, ये कह के मम्मी ने दो पैग लगाई है।।*खोखले हुए हैं रिश्ते सारे, नहीं बची उनमें सच्चाई है।।**चमक रहे हैं बदन सभी के, दिल पे जमी गहरी काई है।*By वनिता कासनियां पंजाब*गाँव बेच कर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।।* *जीवन के उल्लास बेचकर, खरीदी हमने तन्हाई है।।* 🙏

वा*गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।*   *जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।* *बेचा है ईमान धरम तब, घर में शानो शौकत आई है।*   *संतोष बेच, तृष्णा खरीदी, देखो कितनी मंहगाई है।।*   बीघा बेच स्कवायर फीट खरीदा, ये कैसी सौदाई है।   संयुक्त परिवार के वट वृक्ष से टूटी, ये पीढ़ी मुरझाई है।।   *रिश्तों में है भरी चालाकी, हर बात में दिखती चतुराई है।* कहीं गुम हो गई मिठास, जीवन से, हर जगह कड़वाहट भर आई है।।     रस्सी की बुनी खाट बेच दी, मैट्रेस ने जगह बनाई है।  अचार, मुरब्बे को धकेल कर, शो केस में सजी दवाई है।।   *माटी की सोंधी महक बेच के, रुम स्प्रे की खुशबू पाई है।*   मिट्टी का चुल्हा बेच दिया, आज गैस पे बेस्वाद सी खीर बनाई  है।।   *पांच पैसे का लेमनचूस बेचा, तब कैडबरी हमने पाई है।* *बेच दिया भोलापन अपना, फिर मक्कारी पाई है।।* सैलून में अब बाल कट रहे, कहाँ घूमता घर- घर नाई है। दोपहर में अम्मा के संग, गप्प मारने क्या कोई आती चाची ताई है।।   मलाई बरफ के गोले ...

. "नींद का सौदा" (गोपी की विरह व्यथा) एक दिन वृंदावन की बाज़ार मैं खडी होकर एक सखी कुछ बेच रही है, लोग आते हैं पूछते हैं और हँस कर चले जाते हैं। वह चिल्ला चिल्ला कर कह रही है कोई तो खरीद लो, पर वो सखी बेच क्या रही है ? अरे ! यह क्या ? ये तो नींद बेच रही है। आखिर नींद कैसे बिक सकती है ? कोई दवा थोडी है, जो कोई भी नींद खरीद ले। सुबह से शाम होने को आई कोई ग्राहक ना मिला। सखी की आस बाकी है कोई तो ग्राहक मिलेगा शाम तक दूर कुछ महिलाऐं बातें करती गाँव मैं जा रहीं हैं। वो उस सखी का ही उपहास कर रही है। अरे एक पगली आज सुबह से नींद बेच रही है। भला नींद कोई कैसे बेचेगा। पगला गई है वो ना जाने कौन गाँव की है। पीछे-पीछे एक दूसरी सखी बेमन से गाय दुह कर आ रही है। वह ध्यान से उनकी बात सुन रही है। बात पूरी हुई तो सखी ने उन महिलाओ से पूछा कौन छोर पे बेच रही है नींद, पता पाकर दूध वहीं छोड़ उल्टे कदम भाग पडी। अँधेरा सा घिर आया है। पर पगली सी नंगे पैर भागे जा रही है। बाजार पहुँच कर पहली सखी से जा मिली और बोल पडी। अरी सखी ये नींद मुझे दे दे। इसके बदले चाहे तू कुछ भी ले-ले पर ये नींद तू मुझे दे दे। मैं तुझसे मोल पूछती ही नही तू कुछ भी मोल लगा पर ये नींद मुझे ही दे दे। अब बात बन रही है, सुबह से खडी सखी को ग्राहक मिल गया है और दूसरी सखी को नींद मिल रही है। अब बात बन भी गई। अब पहली सखी ने पूछा, "सखी ! मुझे सुबह से शाम हो गई। लोग मुझे पागल बता के जा रहे हैं तू एक ऐसी भागी आई मेरी नींद खरीदने, ऐसा क्या हुआ ?" दूसरी सखी बोली, "सखी ! यही मैं तुझसे पूछना चाहती हूँ ऐसा क्या हुआ जो तू नींद बेच रही है।" पहली सखी बोली, "सखी ! क्या बताऊँ, उसकी याद मैं पल-पल भारी है मैंने उससे एक बार दर्शन देने को कहा और वो प्यारा श्यामसुन्दर राजी भी हो गया। उसने दिन भी बताया के मैं अमुक ठिकाने मिलने आऊँगा। पर हाय रे मेरी किस्मत ! जब से उसने कहा के मैं मिलने आऊँगा तब से नींद उड़ गई, पर हाय कल ही उसे आना था पर कल ही आँख लग गई। और वो प्यारा आकर चला भी गया। हाय रे मेरी फूटी किस्मत ! तभी मैने पक्का किया के इस बैरन, सौतन निन्दिया को बेच कर रहूँगी। मेरे साजन से ना मिलने दिया। अब इसे बेच कर रहूँगी। अब तू बता कि तू इसे खरीदना क्यों चाहती है ?दूसरी सखी बोली, "क्या बताऊ सखी ! एक नींद में ही तो वो प्यारा मुझसे मिलता है। दिन भर काम, घर के काम से फ़ुर्सत कहाँ के वो प्यारा श्यामसुन्दर मुझसे मिलने आये। वो केवल ख्वाब मैं ही मिलता था। मैने उससे कहा, अब कब मुझे अपने साथ ले चलेगा ? उसने कहा, अमुक दिन ले चलूँगा पर उसी दिन से नींद ही उड़ गई। सौतन अंखियाँ छोड़कर ही भाग गई। अब कहाँ से मिले वो प्यारा ? हाय कितने ही जतन किये पर ये लौट कर ना आई। अब सखी तू ये नींद मुझे दे दे जिससे मुझे वो प्यारा मिल जाये।" पहली सखी बोली, "ले जा इस बैरन, सौतन को ताकि मैं सो न सकूँ। और वो प्यारा मुझे मिल सके।" ----------:::×:::----------वनिता कासनियां पंजाब द्वारा "जय जय श्री राधे"********************************************

.                            "नींद का सौदा"                        (गोपी की विरह व्यथा)           एक दिन वृंदावन की बाज़ार मैं खडी होकर एक सखी कुछ बेच रही है, लोग आते हैं पूछते हैं और हँस कर चले जाते हैं। वह चिल्ला चिल्ला कर कह रही है कोई तो खरीद लो, पर वो सखी बेच क्या रही है ? अरे ! यह क्या ? ये तो नींद बेच रही है। आखिर नींद कैसे बिक सकती है ? कोई दवा थोडी है, जो कोई भी नींद खरीद ले।           सुबह से शाम होने को आई कोई ग्राहक ना मिला। सखी की आस बाकी है कोई तो ग्राहक मिलेगा शाम तक दूर कुछ महिलाऐं बातें करती गाँव मैं जा रहीं हैं। वो उस सखी का ही उपहास कर रही है। अरे एक पगली आज सुबह से नींद बेच रही है। भला नींद कोई कैसे बेचेगा। पगला गई है वो ना जाने कौन गाँव की है। पीछे-पीछे एक दूसरी सखी बेमन से गाय दुह कर आ रही है। वह ध्यान से उनकी बात सुन रही है। बात पूरी हुई तो सखी ने उन महिलाओ से पूछा कौन छोर पे...

पत्नी ने पति से कहा, "कितनी देर तक समाचार पत्र पढ़ते रहोगे ?यहाँ आओ और अपनी प्यारी बेटी को खाना खिलाओ" पति ने समाचार पत्र एक तरफ़ फेका और बेटी की ध्यान दिया,बेटी की आंखों में आँसू थे और सामने खाने की प्लेट... । बेटी एक अच्छी लड़की है और अपनी उम्र के बच्चों से ज्यादा समझदार ।पति ने खाने की प्लेट को हाथ में लिया और बेटी से बोला,"बेटी खाना क्यों नहीं खा रही हो?आओ बेटी मैं खिलाऊँ." बेटी जिसे खाना नहीं भा रहा था, सुबक सुबक कर रोने लगी और कहने लगी,"मैं पूरा खाना खा लूँगी पर एक वादा करना पड़ेगा आपको." ।"वादा", पति ने बेटी को समझाते हुआ कहा, "इस प्रकार कोई महँगी चीज खरीदने के लिए जिद नहीं करते." ।"नहीं पापा, मैं कोई महँगी चीज के लिए जिद नहीं कर रही हूँ." फिर बेटी ने धीरे धीरे खाना खाते हुये कहा,"मैं अपने सभी बाल कटवाना चाहती हूँ." । पति और पत्नी दोनों अचंभित रह गए और बेटी को बहुत समझाया कि लड़कियों के लिए सिर के सारे बाल कटवा कर गंजा होना अच्छा नहीं लगता है ।पर बेटी ने जवाब दिया, "पापा आपके कहने पर मैंने सड़ा खाना, जो कि मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, खा लिया और अबवादा पूरा करने की आपकी बारी है." । अंततः बेटी की जिद के आगे पति पत्नी को उसकी बात माननी ही पड़ी ।अगले दिन पति बेटी को स्कूल छोड़ने गया ।बेटी गंजी बहुत ही अजीब लग रही थे. स्कूल में एक महिला ने पति से कहा, "आपकी बेटी ने एक बहुत ही बड़ा काम किया है । मेरा बेटा कैंसर से पीड़ित है और इलाजमें उसके सारे बाल खत्म हो गए हैं ।वह् इस हालत में स्कूल नहीं आना चाहता था क्योंकि स्कूल में लड़के उसे चिढ़ाते हैं. पर आपकी बेटी ने कहा कि वह् भी गंजी होकर स्कूल आयेगी और वह् आ गई ।इस कारण देखिये मेरा बेटा भी स्कूल आ गया ।आप धन्य हैं कि आपके ऐसी बेटी है " । पति को यह सब सुनकर रोना आ गया और उसने मन ही मन सोचा कि आज बेटी ने सीखा दिया कि प्यार क्या होता है ।इस पृथ्वी पर खुशहाल वह नहीं हैं जो अपनी शर्तों पर जीते हैं बल्कि खुशहाल वे हैंजो, जिन्हें वे प्यार करते हैं, उनके लिए बदल जाते है ! प्यार के लिए जो ख़ुशी से खुद को बदल दे वो ही सच्चा प्यार होता है।अगर खुद को बदलना एक मजबूरी लगे तो वो प्यार नहीं एक समझौता है।

पत्नी ने पति से कहा, "कितनी देर तक समाचार पत्र पढ़ते रहोगे ? यहाँ आओ और अपनी प्यारी बेटी को खाना खिलाओ"   पति ने समाचार पत्र एक तरफ़ फेका और बेटी की ध्यान दिया,बेटी की आंखों में आँसू थे और सामने खाने की प्लेट... ।   बेटी एक अच्छी लड़की है और अपनी उम्र के बच्चों से ज्यादा समझदार । पति ने खाने की प्लेट को हाथ में लिया और बेटी से बोला,"बेटी खाना क्यों नहीं खा रही हो? आओ बेटी मैं खिलाऊँ."   बेटी जिसे खाना नहीं भा रहा था, सुबक सुबक कर रोने लगी और कहने लगी,"मैं पूरा खाना खा लूँगी पर एक वादा करना पड़ेगा आपको." । "वादा", पति ने बेटी को समझाते हुआ कहा, "इस प्रकार कोई महँगी चीज खरीदने के लिए जिद नहीं करते." । "नहीं पापा, मैं कोई महँगी चीज के लिए जिद नहीं कर रही हूँ." फिर बेटी ने धीरे धीरे खाना खाते हुये कहा, "मैं अपने सभी बाल कटवाना चाहती हूँ." ।   पति और पत्नी दोनों अचंभित रह गए और बेटी को बहुत समझाया कि लड़कियों के लिए सिर के सारे बाल कटवा कर गंजा होना अच्छा नहीं लगता है । पर बेटी ने जवाब दिया, "पापा आपके कहने पर मैंने स...

क्या है ये दो पल का प्यार ??क्या हो सकता है किसी को दो पल में किसी से प्यार? नहीं जानते? चलिए हम बताते हैं आपको... फिर आप खुद ही अंदाज़ लगा लीजिएगा कि किसी को दो पल के मुलाकत में प्यार होता है या नहीं।ये प्रेम कहानी बिहार मे बसी एक छोटा सा गांव महरैल की है...जितनी प्यारी ये गाँव है..उतनी ही प्यारे यहाँ के रहने वाले लोग है ।यहाँ के लोग अपने जरूरत की समान लाने, गाँव से थोड़ा दूर बसी एक बाजार जाते है।एक दिन महरैल गाँव के एक लड़का जिसका नाम अभिषेक है ।वो भी रोज जाता था। एक समय आया की वो रोज सज-धज के उस बाजार जाने लगा...अब आप पूछोगे....सज धज के क्यों जाने लगा वो ???तो बात ये थी कि एक दिन जब वो बाजार से गुजर रहा था तो उसे एक लड़की दिखी...अभिषेक उस लड़की से अपनी नजर हटा ही नही रहे थे....और फिर जब कुछ देर तकनजर नहीं हटाए तो सामने से लड़की की भी नजर पड़ी उस लड़के पे...फिर क्या....दोनों एक दूसरे को देखते रहे...अब ये दो पल की यू इस तरह देखा-देखि मैं ही शहजादे को प्यार हो गया....फिर क्या उस दिन के बाद रोज अभिषेक बाजार सज-धज के जाने लगे...और फिर वो इधर उधरदेखे जा रहा था..तभी दूसरी और से एक लड़की गुजर रही थी ..और उस लड़के क चेहरे पे मुस्कुराहट बया कर दी कि अभिषेक का दिलइन्ही का इंतज़ार कर रहा था...वो लड़की अपने मम्मी के साथ आती थी..हाथ मे थेली थी..जिसे देख के लग रहा था कि वो भी सामान लेने आयीहै...वो लड़का उसे बस देखे जा रहा था..कुछ देर में वो चले जाती है।ऐसे ही वो रोज बाजार आती और लड़का उस के आने से पहलेवहा आ जाता..और जब तक लड़की बाजार मे रहती वो उसे ही देखते रहता बस..और फिर उस के जाने के बाद वो भी चला जाता....वो रोज कोशिश करता बात करने की लेकिन वो जैसे ही बात करने जाता कि वो चल देती थी या सामने कोई आ जाता था।वो दो पल का वक़्त मैं वो लड़का बस कोशिशकरता कि कैसे वो अपने दिल की बात उस लड़की से कहे...फिर एक दिन किस्मत ने भी उसका साथ दे दिया और एक दिन वो अकेली ही बाजार आयी बस फिर क्या वो लड़का उस लड़की के पास गया..और उसका का करिश्मा देखो..दोनों एक साथ बोल पड़े कि...मुझे कुछ कहना हैक्या पल था वो...फिर क्या...लड़का डर गया..उसे लगा कहीं इसे बुरा न लग गया हो की मैं इसे रोज यहाँ देखता रहता हूँ या कोई औरबात..वो डर के उस लड़की के तरफ देखा..और धीमी आवाज में उसे कहा ..बोलो क्या हुआ....लड़की फिर कहती है तुम बोलो कि क्या कहना है ? लड़का डर रहा था कुछ कहने से अब और उसने पहले उसे ही कह दिया की तुम बोलो पहलेफिर अचानक से दोनों एक ही साथ अपनी-अपनी दिल की बाते बोल दी...लड़का सुनते ही अपना होश ही खो दियाक्योंकि उसे कभी लगा ही नही था की...लड़की भी उससे प्यार करती है। कुदरत का खेल तो देखो...लड़की भी रोज इसीलिए आती थी कि..वो रोज उस लड़के को देख सके...प्यार दोनों मैं पहले दिन के एक पल से हीहो गया था। लेकिन एक दूसरे को बताने का मौका नहीं मिल रहा था।फिर क्या....रोज यही आने लगे एक दूसरे से मिलने लगे।कुछ समय बाद दोनों ने अपने-अपने घर में बात की और दोनों ने शादी कर ली.....और इस तरह से वो दोनों हमेशा के लिए साथ हो गए और ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे।इससे ये पता चलता है कि प्यार करने में साल या महीना नहीं लग जाता है प्यार तो वो खुसी है, वो एहसास है, वो विश्वास है जो एक पल में और बस एक नजर में ही किसी को किसी से हो जाता है।

क्या है ये दो पल का प्यार ?? क्या हो सकता है किसी को दो पल में किसी से प्यार? नहीं जानते? चलिए हम बताते हैं आपको...   फिर आप खुद ही अंदाज़ लगा लीजिएगा कि किसी को दो पल के मुलाकत में प्यार होता है या नहीं। ये प्रेम कहानी बिहार मे बसी एक छोटा सा गांव महरैल की है...जितनी प्यारी ये गाँव है..उतनी ही प्यारे यहाँ के रहने वाले लोग है । यहाँ के लोग अपने जरूरत की समान लाने, गाँव से थोड़ा दूर बसी एक बाजार जाते है। एक दिन महरैल गाँव के एक लड़का जिसका नाम अभिषेक है । वो भी रोज जाता था। एक समय आया की वो रोज सज-धज के उस बाजार जाने लगा... अब आप पूछोगे....सज धज के क्यों जाने लगा वो ??? तो बात ये थी कि एक दिन जब वो बाजार से गुजर रहा था तो उसे एक लड़की दिखी... अभिषेक उस लड़की से अपनी नजर हटा ही नही रहे थे....और फिर जब कुछ देर तक नजर नहीं हटाए तो सामने से लड़की की भी नजर पड़ी उस लड़के पे...फिर क्या....दोनों एक दूसरे को देखते रहे...अब ये दो पल की   यू इस तरह देखा-देखि मैं ही शहजादे को प्यार हो गया....फिर क्या उस दिन के बाद रोज अभिषेक बाजार सज-धज के जाने लगे...और फिर वो इधर उधर देखे जा रहा था..तभी दूसरी और...

प्यार वो एहसास है, जो हर किसी को नहीं होता।प्यार वो महसूस है। जिसके अंदर खो जाने का दिल करता है। यही एक एहसास मैं आपको बताना चाहती हूँ।शाम का समय था। मैं अपने दोस्त का इंतजार कर रहा था। स्टेशन के बाहर।हमलोग का बाहर कही घूमने जाने का प्लान था और मैं जल्दी पहुँच गया था। कुछ समझ नही आ रहा था की मैं क्या करूँ। मैं स्टेशन के पास जा के बैठ गया, तभी कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जिन्दगी एक अलग मोड़ लेने वाली थी।स्टेशन की तरफ मैं देख रहा था की मेरा दोस्त आया की नहीं तभी अचानक से मेरी नज़र एक लड़की पर पड़ी।वो जो वक़्त था मैं पूरी तरह कुछ देर के लिए थम सा गया था। मैं सब भूल गया था की मैं कहा हूँ क्यों हूँ ?बस मेरी आँखे उस लड़की की तरफ से हट ही नहीं रही थी और इस तरह से मैं उसे देखता ही जा रहा था ।उसकी मासूम चेहरा, उसकी छोटी-छोटी आंखी, उसके मासूम सा चेहरे पे वो मासूम सी उसकी हंसी जैसे मानो कोई परी हो वो..उसे देख पहली नज़र मे मानो दिल को कुछ होने लगा था।क्या वो प्यार था?? मुझे नहीं पता बस दिल बोल रहा था कि मेरा दोस्त कुछ देर बाद आये या ये वक़्त रुक जाए।मुझे उसका नाम जानना था। उसके बारे में बहुत कुछ पता करने को दिल कर रहा था लेकिन कैसे करूँ ये समझ ही नहीं आ रहा था।जब कुछ समझ नहीं आया तब मैंने बस भगवान से प्रार्थना किया की मुझे ये लड़की मेरी जिन्दगी में चाहिए।वो जा रही थी। मेरी आँखों से दूर मुझे रोकना था उसे। उससे बातें करना था। उससे दोस्ती करनी थी और उसे अपने दिल की बात बतानी थी।लेकिन कैसे ??? यही सवाल बस बार-बार मेरे मन में आ रहा था और मुझे बैचैन किये जा रहा था।मैंने फिर सोच लिया कि मेरी आँखों से दूर होने से पहले मुझे इसका नाम पता चल जाये तो मैं इससे अपना बनूँगा और शायद भगवान् ने ही उसे भेजा होगा मेरे लिए ये मैं समझूंगा तभी भगवन ने चमत्कार कर दिया..पीछे से आवाज आया प्रिया मैं यहां हूँ।फिर वो पीछे देखि तो मैंने देखा वहां से एक लड़की आवाज दी और वो उस क पास चली गयी..तभी मैं समझा उस लड़की का नाम प्रिया था।मैं खुश हो गया और उस लड़की को मन किया जा के धन्यवाद बोल दू क्योंकि उसी के वजह से मुझे उस का नाम पता चला।बस तभी मैंने ठान ली अब उसे अपना बनाना है, उसे अपनी जिन्दगी में लाना है।फिर तभी मै उसके पिछे जाने लगा कि अचानक ही पीछे से एक हाथ आया।पीछे देखा तो दोस्त आ गया था। अब मैं क्या करूँ समझ नहीं आ रहा था..मैं क्या बोलूँ उससे..कैसे मना करूँ उससे?..कैसे जाऊ मैं उस के पीछे ?मैं इसी सोच में लगा रहा रहा तब तक वो मेरी आँखों से दूर जा चुकी थी दिल मानो रोने लगा था और तभी मानो ऐसा लगा कि जैसे सब कुछ एक सपना सा था बस और आँखे खुल गया तो सपना टूट गया।मैं वहा से चला तो गया अपने दोस्त के साथ लेकिन पूरी रास्ते बस उसी के बारे में सोचता रहा।मानो मेरा दिल अब उसके ख्याल से निकलने को तैयार ही नहीं था।दूसरे दिन मैं कॉलेज लिए तैयार हो गया और मैं कॉलेज पंहुचा।और बेंच पे जा क बैठ गया..तभी दोस्त ने बुलाया और कहा देख अपने कॉलेज में एक नई लड़की आयी है। मेरा मन अभी भी बस उसी के ख्यालों मे डूबा हुआ था। आँखों से उस का चेहरा मनो हट ही नही रहा था...वो बार बार मुझे आवाज दिये जा रही था।तभी मुझे गुस्सा आया और पीछे उससे बोलने जा ही रहा था कि मैं रुक सा गया।मेरी नजर मानो फिर से एक बार सपनों मे चला गया। मैंने देखा की वही थी।मानो जैसे मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा मैं खुद को रोक ही नहीं पा रहा था और मेरे समझ में ही नहीं आ रहा था की मैं क्या करू ?क्या बोलता मैं, बस जा के अपने दोस्त के गले लग गया..और हंसने लगा...तभी पता चला वही वह नई लड़की थी जो कॉलेज में आज पहला दिन आयी थी।मैं तो मानो हवा मे उड़ने लगा..फिर मैंने एक दिन अपने दोस्त को बताया की ऐसा ऐसा है..उसने कहा जा के बोल दे उसे अपने दिल की बात..लेकिन मैं डरता था। कि वो क्या कहेगी..क्या लगेगा उसे..यही सोच के मैं हमेशा रुक जाता था।मैं सोचने लगता था कि कही वो मेरी बातें सुन के मुझसे दूर न हो जाए।मैं उससे दूर नहीं होना चाहता था। मुझे ये एहसास हो गया था कि शायद वो भी मुझे पसंद करती थी। लेकिन वो कभी कुछ नहीं कहती थी। उससे लगता कि मेरे मनमै उस क लिए कुछ नहीं है। लेकिन वो क्या जाने कि उसे पहली नजर में देख के ही मैंने उसे अपना दिल दे चुका था।दिन बीतते गए हमलोग एक अच्छे दोस्त की तरह साथ रहते और बाते करते थे..लेकिन न कभी मुझे हिम्मत हुआ उससे कुछ भी कहने का ना और ही उसे ....वक़्त बीत गया और इस तरह हमलोग की पढ़ाई पूरी हो गयी।लेकिन मेरे दिल मे उसके के लिए अभी भी पहला और आखरी प्यार था और शायद उस के लिए भी। और इस तरह सेहमे सबको अलग अलग कंपनी मे जॉब लग गई थी तभी बस एक दिन मैंने सोच लिया कि अब बस.. मैं उससे कल जा के दिल की बात बता ।दूंगा.... मैं अगले दिन सुबह उठा और मैंने उसे फ़ोन किया और उससे कहा की मुझे मिलना है उससे ..उसने मिलने क लिए हां कर दिया और इस बात से मुझे बहुत ख़ुशी मिला।हमलोग ने एक समय निर्धारित किया था और मैं समय से पहले वहां उसका इंतजार कर रहा था ....तभी मेरी नजर उस पे पड़ी.. वही कपडे..वही बैग..वही छोटी-छोटी आँखे और चेहरे पे वही प्यारी से मुस्कान, मानो ऐसा लग रहा था..की वही पहला दिन हो..जब मैंने उसे पहली बार देखा था..वो धीरे धीरे आ रही थी।मैं तो बस उसे देखता ही जा रहा था..फिर वो पास आती है..फिर वो मेरे सामने बैठ जाती है..तभी बस..मैंने उससे कहा की मुझे कुछ कहना है उससे।फिर तभी उसने भी कह दिया की मुझे भी कुछ कहना है तुम्हें ...मैं खुश हो गया.. मुझे लगा की आज वो भी अपने दिल की बात बोल देगी...फिर मैंने उससे कहादिया कि तुम पहले बोल दो...उसने तो पहले मना किया पहले बोलने से..लेकिन मैंने ही जिद कर दिया... कि पहले तुम बोले और वो बोलने जा रही थी।मानो मेरी सांस रुक गए थे..उसकी बाते सुनने क लिये...सब कुछ थम सा गया...बस ऐसा लगा मैं और वो..और कुछ नही है आस-पास...फिर उसने अपने बैग से एक कार्ड निकाला..और दिया मुझे...वो जो पल था।वही पहला पल..जब मुझे लगा कि मेरा सपना था..और सपना टूटगया...उस कार्ड मैं उसकी शादी का आमंत्रण था...बस..फिर क्या..सब कुछ वहीं रुक गया.... शायद मैंने बहुत देर कर दी उससे अपनी दिल की बात बताने मे..श्याद बहोत-बहोत देर... फिर उसने मुझसे पूछा.. कि तुम क्या कहना चाहते थे ?मैं क्या कहता तब..बात बदल दी..और वो चली गयी...और मैं वही बैठे रह गया....मुझे उसे अपना बनाने का बस एक सपना ही था शायद.......जो एक समय पे आ क टूट गया....वो आज का दिन औरपहला दिन...मानो क्यों आया था मेरी जिन्दगी मैं अब तक ये बात समझ नही आया....पहला दिन भी एक सपने की तरह आई और कुछ देर बाद टूट गयी...और ये आज का पल..जो फिर से एक सपना बनकर पल मै टूट गया........इसीलिए दोस्तों कभी भी अपनी दिल की बात बताने मे देर ना करो... वरना इतना देर हो जाता है कि....अपने प्यार को बस सपने मैं ही अपना बनाना पड़ जाता है...

प्यार वो एहसास है, जो हर किसी को नहीं होता। प्यार वो महसूस है। जिसके अंदर खो जाने का दिल करता है। यही एक एहसास मैं आपको बताना चाहती हूँ। शाम का समय था। मैं अपने दोस्त का इंतजार कर रहा था। स्टेशन के बाहर। हमलोग का बाहर कही घूमने जाने का प्लान था और मैं जल्दी पहुँच गया था।   कुछ समझ नही आ रहा था की मैं क्या करूँ। मैं स्टेशन के पास जा के बैठ गया, तभी कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जिन्दगी एक अलग मोड़ लेने वाली थी। स्टेशन की तरफ मैं देख रहा था की मेरा दोस्त आया की नहीं तभी अचानक से मेरी नज़र एक लड़की पर पड़ी। वो जो वक़्त था मैं पूरी तरह कुछ देर के लिए थम सा गया था। मैं सब भूल गया था की मैं कहा हूँ क्यों हूँ ? बस मेरी आँखे उस लड़की की तरफ से हट ही नहीं रही थी और इस तरह से मैं उसे देखता ही जा रहा था । उसकी मासूम चेहरा, उसकी छोटी-छोटी आंखी, उसके मासूम सा चेहरे पे वो मासूम सी उसकी हंसी जैसे मानो कोई परी हो वो..उसे देख पहली नज़र मे मानो दिल को कुछ होने लगा था। क्या वो प्यार था??   मुझे नहीं पता बस दिल बोल रहा था कि मेरा दोस्त कुछ देर बाद आये या ये वक़्त रुक जाए। मुझे उसका नाम जानना था। उसके बारे में बहुत...