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वा*गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।* *जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।**बेचा है ईमान धरम तब, घर में शानो शौकत आई है।* *संतोष बेच, तृष्णा खरीदी, देखो कितनी मंहगाई है।।* बीघा बेच स्कवायर फीट खरीदा, ये कैसी सौदाई है। संयुक्त परिवार के वट वृक्ष से टूटी, ये पीढ़ी मुरझाई है।। *रिश्तों में है भरी चालाकी, हर बात में दिखती चतुराई है।*कहीं गुम हो गई मिठास, जीवन से, हर जगह कड़वाहट भर आई है।। रस्सी की बुनी खाट बेच दी, मैट्रेस ने जगह बनाई है। अचार, मुरब्बे को धकेल कर, शो केस में सजी दवाई है।। *माटी की सोंधी महक बेच के, रुम स्प्रे की खुशबू पाई है।* मिट्टी का चुल्हा बेच दिया, आज गैस पे बेस्वाद सी खीर बनाई है।। *पांच पैसे का लेमनचूस बेचा, तब कैडबरी हमने पाई है।**बेच दिया भोलापन अपना, फिर मक्कारी पाई है।।*सैलून में अब बाल कट रहे, कहाँ घूमता घर- घर नाई है।दोपहर में अम्मा के संग, गप्प मारने क्या कोई आती चाची ताई है।। मलाई बरफ के गोले बिक गये, तब कोक की बोतल आई है। *मिट्टी के कितने घड़े बिक गये, तब फ्रिज में ठंढक आई है ।।*खपरैल बेच फॉल्स सीलिंग खरीदा, हमने अपनी नींद उड़ाई है। *बरकत के कई दीये बुझा कर, रौशनी बल्बों में आई है।।*गोबर से लिपे फर्श बेच दिये, तब टाईल्स में चमक आई है।*देहरी से गौ माता बेची, फिर संग लेटे कुत्ते ने पूँछ हिलाई है ।।**बेच दिये संस्कार सभी, और खरीदी हमने बेहयाई है।*ब्लड प्रेशर, शुगर ने तो अब, हर घर में ली अंगड़ाई है।। *दादी नानी की कहानियां हुईं झूठी, वेब सीरीज ने जगह बनाई है।*बहुत तनाव है जीवन में, ये कह के मम्मी ने दो पैग लगाई है।।*खोखले हुए हैं रिश्ते सारे, नहीं बची उनमें सच्चाई है।।**चमक रहे हैं बदन सभी के, दिल पे जमी गहरी काई है।*By वनिता कासनियां पंजाब*गाँव बेच कर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।।* *जीवन के उल्लास बेचकर, खरीदी हमने तन्हाई है।।* 🙏

वा*गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।*  
*जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।*
*बेचा है ईमान धरम तब, घर में शानो शौकत आई है।*  
*संतोष बेच, तृष्णा खरीदी, देखो कितनी मंहगाई है।।*  
बीघा बेच स्कवायर फीट खरीदा, ये कैसी सौदाई है।  
संयुक्त परिवार के वट वृक्ष से टूटी, ये पीढ़ी मुरझाई है।।  
*रिश्तों में है भरी चालाकी, हर बात में दिखती चतुराई है।*
कहीं गुम हो गई मिठास, जीवन से, हर जगह कड़वाहट भर आई है।।    

रस्सी की बुनी खाट बेच दी, मैट्रेस ने जगह बनाई है। 
अचार, मुरब्बे को धकेल कर, शो केस में सजी दवाई है।।  
*माटी की सोंधी महक बेच के, रुम स्प्रे की खुशबू पाई है।*  
मिट्टी का चुल्हा बेच दिया, आज गैस पे बेस्वाद सी खीर बनाई  है।।  

*पांच पैसे का लेमनचूस बेचा, तब कैडबरी हमने पाई है।*
*बेच दिया भोलापन अपना, फिर मक्कारी पाई है।।*
सैलून में अब बाल कट रहे, कहाँ घूमता घर- घर नाई है।
दोपहर में अम्मा के संग, गप्प मारने क्या कोई आती चाची ताई है।।  

मलाई बरफ के गोले बिक गये, तब कोक की बोतल आई है।  
*मिट्टी के कितने घड़े बिक गये, तब फ्रिज में ठंढक आई है ।।*
खपरैल बेच फॉल्स सीलिंग खरीदा, हमने अपनी नींद  उड़ाई है। 
*बरकत के कई दीये बुझा कर, रौशनी बल्बों में आई है।।*

गोबर से लिपे फर्श बेच दिये, तब टाईल्स में चमक आई है।
*देहरी से गौ माता बेची, फिर संग लेटे कुत्ते ने पूँछ हिलाई है ।।*
*बेच दिये संस्कार सभी, और खरीदी हमने बेहयाई  है।*
ब्लड प्रेशर, शुगर ने तो अब, हर घर में ली अंगड़ाई है।।  

*दादी नानी की कहानियां हुईं झूठी, वेब सीरीज ने जगह बनाई है।*
बहुत तनाव है जीवन में, ये कह के मम्मी ने दो पैग लगाई है।।
*खोखले हुए हैं रिश्ते सारे, नहीं बची उनमें सच्चाई है।।*

*चमक रहे हैं बदन सभी के, दिल पे जमी गहरी काई है।*
By वनिता कासनियां पंजाब

*गाँव बेच कर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई  है।।* 
*जीवन के उल्लास बेचकर, खरीदी हमने तन्हाई है।।* 🙏




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🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜*(को लै गयो लाली की चुनरी)* By वनिता कासनियां पंजाब *🌳बाबा श्री माधव दास जी बरसाने में श्री किशोरी जी के दर्शन के लिए मंदिर की सीढ़ियों से चढ़ते हुए मन ही मन किशोरी जी से प्रार्थना कर रहे हैं....*.*🦚कि हे किशोरी जी मुझे प्रसाद में आपकी वह चुन्नी मिल जाए जिसे आप ओढ़े हुए हो तो मैं धन्य हो जाऊं...*.*🦚और आज ऐसा संयोग बना किशोरी जी की कृपा से पुजारी जी की मन में आया और उन्होंने चलते समय बाबा को श्री किशोरी जी की चुन्नी प्रसाद में दे दी...*.*🦚प्रसाद में चुन्नी को पाकर श्री किशोरी जी की कृपा का अनुभव करके बाबा की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा और सीढ़ियों से नीचे उतरने के पश्चात आनंद मध्य लगभग नृत्य करते हुए माधवदास बाबा जैसे ही सड़क की ओर चले...*.*🦚तो आठ वर्ष का एक सांवला सलौना बालक, जिसके घुंघराले बाल और मधुर मुस्कान थी। बाबा के पास आकर बोला-*.*🦚बाबा ! जे चुन्नी मोकूँ दे दे। बाबा बालक की ओर निहारते बोले- लाला बाजार ते दूसरो ले लै। मैं तोकूँ रुपया दे रहौ हूं। ऐसा कहिकै बाबा ने एक रुपया निकारि कै दियौ।*.*🦚बालक ने कहा -बाबा ! मोकूँ पैसा नाय चाहिए। मोकूँ तो जेई चुनरी चाहिए।* .*🦚बाबा बोले- ये चुनरी श्री जी की प्रसादी है। भैया मैं जाय चुन्नी तो नाय दूंगौ। ऐसो कहिकै बाबा ने चुन्नी को अपने हृदय से लगा लिया और आगे चल दिए।*.*🦚थोड़ी दूर ही गए होंगे कि इतने में ही पीछे ते बालक दौड़तो भयो आयौ और बाबा के कंधे पै ते चुन्नी खींच कै भाग गयौ।* .*🦚बाबा कहते रह गए -अरे ! मेरी बात तो सुनौ लेकिन वह कहां सुनने वाला था। बाबा ठगे हुए से खड़े विचार करते ही करते रह गए कि बालक कौनथा। जो इस प्रकार चुन्नी खींच कर ले गया ।*.*🦚चुन्नी कि इस प्रकार चले जाने से बाबा उदासी में श्री धाम वृंदावन लौट आए।*.*🦚शाम को बाबा श्री बिहारी जी के दर्शन के लिए आए तो देखा आज श्रीबिहारीजी के परम आश्चर्यमय दर्शन हो रहे हैं।*.*🦚जो चुनरी श्रीजी के मंदिर में से बाबा को प्रसादी रूप से प्राप्त हुई थी और बरसाने में सांवला बालक छीनकर भाग गया था। वही चुनरी श्री बिहारी जी धारण किए हुए मंद मंद मुस्कुरा रहे थे।*.*🦚बाबा माधवदास जी महाराज प्रसंनता से भर कर बोले -अच्छा ! तो वह ठग बालक आप ही थे। अरे कुछ देर तो मेरे पास श्रीजी की प्रसादी चुनरी को रहने दिया होता।।**🦚बिहारी जी अपने भक्तो से इसी प्रकार लीला करते हैं, ठाकुर जी अपने भक्तो पर कृपा करें।**श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास 🙏*♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁ऐसे और पोस्ट देखने के लिए और एक खूबसूरत सी कहानी से जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

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