मेरी माँ,मुझे एहसास है कि तू सदा मेरे आसपास ही रहती है | दुनिया कहती है कि तू मुझे छोड़ कर चली गई,..पर, मैं सदा अपने पास ही महसूस करता हूँ, और कठिन फैसलों में तुमसे ही तो विचार करता हूँ। मैं सदा तेरी नाम और तेरी मस्तक को ऊंचा रखा है ..माँ।मेरा सौभाग्य है कि तुम जैसी माँ मिली, जिसने जीवन में संघर्ष कर आगे बढ़ना सिखाया.. आज जो भी हूँ, बस वही हूँ.. जैसा तूने बनाना चाहा। आपको शत शत नमन |तू सपनों में आती हैमेरे मासूम से चेहरे परअब झुर्रियों के निशान दिखते है ,तेरी सख्त उँगलियाँ उसे सहलाती है ,माँ, तू रोज सपने में आती है |मेरे सिने में कुछ दर्द-भरे निशान हैंमैं कोशिश करता हूँ उसे मिटाने कीतेरी मुस्कान और तुझसे हौसला पाकरकुछ पलों के लिए गायब हो जाती हैमाँ, तू रोज सपने में आती है |मेरे पास इज्जत शोहरत सब कुछ है माँफिर भी ज़िंदगी में अकेला महसूस करता हूँसच में, एक तेरी कमी हमेशा सताती हैमाँ, तू रोज़ सपने में आती है |कभी कभी तो ऐसा लगता है माँ,हँसती खेलती ज़िंदगी मुझसे रूठ गई है ,मेरे अपने खून के रिश्ते सब छूट गई हैबस एक तुम्हारा आशीर्वाद पाकरमैं अपने उम्मीदों को फिर से जगाता हूँक्योंकि, तू ज़िंदगी के मायने समझाती हैमाँ, तू रोज सपने में आती है |मेरे अपने लोग ही मुझे सताते हैऔर मुझको हर दम गलत बताते हैहर पल मेरा उपहास उड़ाते है अपने व्यंग वाणों से मुझे डराते हैजब तक तुम साथ हो, मैं डरूँगा नहीं मेरे सर पर तेरा हाथ है, मैं मरूँगा नहींतेरी खामोश निगाहें मुझे यही समझाती हैसच माँ, तू रोज सपनों में आती है |(वनिता कासनियां पंजाब)पहले की ब्लॉग हेतु नीचे link पर click करे..बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम
मेरी माँ,
मुझे एहसास है कि तू सदा मेरे आसपास ही रहती है | दुनिया कहती है कि तू मुझे छोड़ कर चली गई,..पर, मैं सदा अपने पास ही महसूस करता हूँ, और कठिन फैसलों में तुमसे ही तो विचार करता हूँ। मैं सदा तेरी नाम और तेरी मस्तक को ऊंचा रखा है ..माँ।
मेरा सौभाग्य है कि तुम जैसी माँ मिली, जिसने जीवन में संघर्ष कर आगे बढ़ना सिखाया.. आज जो भी हूँ, बस वही हूँ.. जैसा तूने बनाना चाहा। आपको शत शत नमन |
तू सपनों में आती है
मेरे मासूम से चेहरे पर
अब झुर्रियों के निशान दिखते है ,
तेरी सख्त उँगलियाँ उसे सहलाती है ,
माँ, तू रोज सपने में आती है |
मेरे सिने में कुछ दर्द-भरे निशान हैं
मैं कोशिश करता हूँ उसे मिटाने की
तेरी मुस्कान और तुझसे हौसला पाकर
कुछ पलों के लिए गायब हो जाती है
माँ, तू रोज सपने में आती है |
मेरे पास इज्जत शोहरत सब कुछ है माँ
फिर भी ज़िंदगी में अकेला महसूस करता हूँ
सच में, एक तेरी कमी हमेशा सताती है
माँ, तू रोज़ सपने में आती है |
कभी कभी तो ऐसा लगता है माँ,
हँसती खेलती ज़िंदगी मुझसे रूठ गई है ,
मेरे अपने खून के रिश्ते सब छूट गई है
बस एक तुम्हारा आशीर्वाद पाकर
मैं अपने उम्मीदों को फिर से जगाता हूँ
क्योंकि, तू ज़िंदगी के मायने समझाती है
माँ, तू रोज सपने में आती है |
मेरे अपने लोग ही मुझे सताते है
और मुझको हर दम गलत बताते है
हर पल मेरा उपहास उड़ाते है
अपने व्यंग वाणों से मुझे डराते है
जब तक तुम साथ हो, मैं डरूँगा नहीं
मेरे सर पर तेरा हाथ है, मैं मरूँगा नहीं
तेरी खामोश निगाहें मुझे यही समझाती है
सच माँ, तू रोज सपनों में आती है |
(वनिता कासनियां पंजाब)
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