▪︎ओम शांति▪︎▪︎31.10.2022▪︎ ★【परमात्म शिक्षाएं】★▪︎1)अगर किसी का कल्याण चाहते हो, तो सबसे पहले अपना कल्याण कर लो। क्योंकि ▪︎स्वयं के कल्याण में ही सबका कल्याण समाया हुआ है।▪︎पर होता क्या है...? हम खुद समझें-न-समझें, परन्तु दूसरों को समझानी देने में हमें बहुत मज़ा आता है...! क्योंकि ▪︎ज्ञान सुनाना हमें सहज लगता है, और स्वयं का परिवर्तन करना मुश्किल...!▪︎ इसलिए हम सहज रास्ता पकड़ लेते हैं और स्व-परिवर्तन कर नहीं पाते।▪︎2) सरल nature वाला जो होता है, वह कोई भी बात को ज्यादा देर तक पकड़ ही नहीं सकता..., वह छोड़ देता झट से। क्योंकि यह संस्कारों की बात होती है। जिसके जैसे संस्कार होते हैं, वही काम करते हैं। परंतु जिसके-जिसके पकड़ने के संस्कार हैं, वह अब अपने अंदर से यह सब निकाल दे। वह पकड़ने की आदत को छोड़ दे। वह ना पकड़े कुछ भी। क्योंकि यह वर्तमान का समय बहुत wonderful है। यह साधारण समय नहीं है। और इसमें ▪︎जीत उन्हीं की होती है, जिनके साथ परमात्मा बाप है। और किन बच्चों की जीत होती है? जो परमात्मा पिता को अपने साथ रखते हैं। जिन बच्चों के साथ परमात्मा बाप है और जो उसको साथ रखते हैं।▪︎▪︎▪︎ परमात्मा को साथ रखना अर्थात उसकी शिक्षाओं को, उसकी श्रीमत को साथ रखना। उसकी श्रीमत प्रमाण ही अपने संकल्प, बोल और कर्म रखना।▪︎3) जहाँ attachment है, अर्थात मैं और मेरापन है, तो वहाँ निश्चय में कमी आयेगी ही आयेगी। और जहाँ निश्चय है कि मेरे साथ है कौन...? - तो वहाँ निश्चिन्त स्थिति हो जाती है।बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम▪︎4) जब परिस्थिति पेपर लेने आती है, तब हम अपने मन की स्थिर स्थिति से उतरकर अकेले ही उसका सामना करने लग जाते हैं, और पेपर पास करने में असफल हो जाते हैं...! इसलिए आप और बाबा (परमात्मा शिव) इस combined स्वरूप का अभ्यास करो।
▪︎ओम शांति▪︎
▪︎31.10.2022▪︎
★【परमात्म शिक्षाएं】★,
▪︎1)
अगर किसी का कल्याण चाहते हो, तो सबसे पहले अपना कल्याण कर लो। क्योंकि ▪︎स्वयं के कल्याण में ही सबका कल्याण समाया हुआ है।▪︎
पर होता क्या है...? हम खुद समझें-न-समझें, परन्तु दूसरों को समझानी देने में हमें बहुत मज़ा आता है...! क्योंकि ▪︎ज्ञान सुनाना हमें सहज लगता है, और स्वयं का परिवर्तन करना मुश्किल...!▪︎ इसलिए हम सहज रास्ता पकड़ लेते हैं और स्व-परिवर्तन कर नहीं पाते।
▪︎2)
सरल nature वाला जो होता है, वह कोई भी बात को ज्यादा देर तक पकड़ ही नहीं सकता..., वह छोड़ देता झट से। क्योंकि यह संस्कारों की बात होती है। जिसके जैसे संस्कार होते हैं, वही काम करते हैं। परंतु जिसके-जिसके पकड़ने के संस्कार हैं, वह अब अपने अंदर से यह सब निकाल दे। वह पकड़ने की आदत को छोड़ दे। वह ना पकड़े कुछ भी।
क्योंकि यह वर्तमान का समय बहुत wonderful है। यह साधारण समय नहीं है। और इसमें ▪︎जीत उन्हीं की होती है, जिनके साथ परमात्मा बाप है। और किन बच्चों की जीत होती है? जो परमात्मा पिता को अपने साथ रखते हैं। जिन बच्चों के साथ परमात्मा बाप है और जो उसको साथ रखते हैं।▪︎
▪︎▪︎ परमात्मा को साथ रखना अर्थात उसकी शिक्षाओं को, उसकी श्रीमत को साथ रखना। उसकी श्रीमत प्रमाण ही अपने संकल्प, बोल और कर्म रखना।
▪︎3)
जहाँ attachment है, अर्थात मैं और मेरापन है, तो वहाँ निश्चय में कमी आयेगी ही आयेगी। और जहाँ निश्चय है कि मेरे साथ है कौन...? - तो वहाँ निश्चिन्त स्थिति हो जाती है।
▪︎4)
जब परिस्थिति पेपर लेने आती है, तब हम अपने मन की स्थिर स्थिति से उतरकर अकेले ही उसका सामना करने लग जाते हैं, और पेपर पास करने में असफल हो जाते हैं...! इसलिए आप और बाबा (परमात्मा शिव) इस combined स्वरूप का अभ्यास करो।
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