सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

जिनके ह्रदय में निरन्तर प्रेमरूपिणी भक्ति निवास करती है, वे शुद्धान्त:करण पुरूष स्वप्न में भी यमराज को नहीं देखते ।श्लोक में व्यक्त भाव एवं श्लोक से प्रेरणा - देवर्षि श्रीनारदजी ( जिनका प्रभु से बड़ा निकट का सबंध है ) के वाक्य हैं कि जिनके ह्रदय निरंतर प्रेमरूपिणी भक्ति निवास करती है, वे शुद्धन्त:करण पुरूष को स्वप्न में भी यमराजजी के दर्शन नहीं होते । यहां तीन शब्दों का विशेष महत्व है ।( पहला शब्द ) निरंतर भक्ति - यह नहीं कि जरूरत के समय की, फिर भूल गये ।( दूसरा शब्द ) शुद्धन्त:करण - अशुद्ध अन्तकरण यानी किसी के लिए राग, किसी से द्वेष, किसी मद की लालसा में, किसी लोभ की पूर्ति हेतु की गर्इ भक्ति, जिस इच्छापूर्ति के लिए होती है, वह इच्छा तो पूरी करती है, पर ऐसी भक्ति क्योंकि स्वार्थ सिद्धि के लिए की गर्इ होती है, इसलिए विशेष फलदायी नहीं होती है । यहां पर निरंतर भक्ति, निस्स्वार्थ भक्ति की बात कही गर्इ है ।( तीसरा शब्द ) स्वप्न में भी ऐसी भक्ति करने वाले को नर्क के दर्शन नहीं होते ( यानी असल में नर्क जाने की बात तो छोड दे, स्वप्न में भी नर्क के दर्शन नहीं होगें ।)

जिनके ह्रदय में निरन्तर प्रेमरूपिणी भक्ति निवास करती है, वे शुद्धान्त:करण पुरूष स्वप्न में भी यमराज को नहीं देखते ।

श्लोक में व्यक्त भाव एवं श्लोक से प्रेरणा - देवर्षि श्रीनारदजी ( जिनका प्रभु से बड़ा निकट का सबंध है ) के वाक्य हैं कि जिनके ह्रदय निरंतर प्रेमरूपिणी भक्ति निवास करती है, वे शुद्धन्त:करण पुरूष को स्वप्न में भी यमराजजी के दर्शन नहीं होते । यहां तीन शब्दों का विशेष महत्व है ।

( पहला शब्द ) निरंतर भक्ति - यह नहीं कि जरूरत के समय की, फिर भूल गये ।

( दूसरा शब्द ) शुद्धन्त:करण - अशुद्ध अन्तकरण यानी किसी के लिए राग, किसी से द्वेष, किसी मद की लालसा में, किसी लोभ की पूर्ति हेतु की गर्इ भक्ति, जिस इच्छापूर्ति के लिए होती है, वह इच्छा तो पूरी करती है, पर ऐसी भक्ति क्योंकि स्वार्थ सिद्धि के लिए की गर्इ होती है, इसलिए विशेष फलदायी नहीं होती है । यहां पर निरंतर भक्ति, निस्स्वार्थ भक्ति की बात कही गर्इ है ।

( तीसरा शब्द ) स्वप्न में भी ऐसी भक्ति करने वाले को नर्क के दर्शन नहीं होते ( यानी असल में नर्क जाने की बात तो छोड दे, स्वप्न में भी नर्क के दर्शन नहीं होगें ।)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜*(को लै गयो लाली की चुनरी)* By वनिता कासनियां पंजाब *🌳बाबा श्री माधव दास जी बरसाने में श्री किशोरी जी के दर्शन के लिए मंदिर की सीढ़ियों से चढ़ते हुए मन ही मन किशोरी जी से प्रार्थना कर रहे हैं....*.*🦚कि हे किशोरी जी मुझे प्रसाद में आपकी वह चुन्नी मिल जाए जिसे आप ओढ़े हुए हो तो मैं धन्य हो जाऊं...*.*🦚और आज ऐसा संयोग बना किशोरी जी की कृपा से पुजारी जी की मन में आया और उन्होंने चलते समय बाबा को श्री किशोरी जी की चुन्नी प्रसाद में दे दी...*.*🦚प्रसाद में चुन्नी को पाकर श्री किशोरी जी की कृपा का अनुभव करके बाबा की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा और सीढ़ियों से नीचे उतरने के पश्चात आनंद मध्य लगभग नृत्य करते हुए माधवदास बाबा जैसे ही सड़क की ओर चले...*.*🦚तो आठ वर्ष का एक सांवला सलौना बालक, जिसके घुंघराले बाल और मधुर मुस्कान थी। बाबा के पास आकर बोला-*.*🦚बाबा ! जे चुन्नी मोकूँ दे दे। बाबा बालक की ओर निहारते बोले- लाला बाजार ते दूसरो ले लै। मैं तोकूँ रुपया दे रहौ हूं। ऐसा कहिकै बाबा ने एक रुपया निकारि कै दियौ।*.*🦚बालक ने कहा -बाबा ! मोकूँ पैसा नाय चाहिए। मोकूँ तो जेई चुनरी चाहिए।* .*🦚बाबा बोले- ये चुनरी श्री जी की प्रसादी है। भैया मैं जाय चुन्नी तो नाय दूंगौ। ऐसो कहिकै बाबा ने चुन्नी को अपने हृदय से लगा लिया और आगे चल दिए।*.*🦚थोड़ी दूर ही गए होंगे कि इतने में ही पीछे ते बालक दौड़तो भयो आयौ और बाबा के कंधे पै ते चुन्नी खींच कै भाग गयौ।* .*🦚बाबा कहते रह गए -अरे ! मेरी बात तो सुनौ लेकिन वह कहां सुनने वाला था। बाबा ठगे हुए से खड़े विचार करते ही करते रह गए कि बालक कौनथा। जो इस प्रकार चुन्नी खींच कर ले गया ।*.*🦚चुन्नी कि इस प्रकार चले जाने से बाबा उदासी में श्री धाम वृंदावन लौट आए।*.*🦚शाम को बाबा श्री बिहारी जी के दर्शन के लिए आए तो देखा आज श्रीबिहारीजी के परम आश्चर्यमय दर्शन हो रहे हैं।*.*🦚जो चुनरी श्रीजी के मंदिर में से बाबा को प्रसादी रूप से प्राप्त हुई थी और बरसाने में सांवला बालक छीनकर भाग गया था। वही चुनरी श्री बिहारी जी धारण किए हुए मंद मंद मुस्कुरा रहे थे।*.*🦚बाबा माधवदास जी महाराज प्रसंनता से भर कर बोले -अच्छा ! तो वह ठग बालक आप ही थे। अरे कुछ देर तो मेरे पास श्रीजी की प्रसादी चुनरी को रहने दिया होता।।**🦚बिहारी जी अपने भक्तो से इसी प्रकार लीला करते हैं, ठाकुर जी अपने भक्तो पर कृपा करें।**श्री कुंज बिहारी श्री हरिदास 🙏*♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁ऐसे और पोस्ट देखने के लिए और एक खूबसूरत सी कहानी से जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜 *(को लै गयो लाली  की चुनरी)* By वनिता कासनियां पंजाब *🌳बाबा श्री माधव दास जी बरसाने में श्री किशोरी जी के दर्शन के लिए मंदिर की सीढ़ियों से चढ़ते हुए मन ही मन किशोरी जी से प्रार्थना कर रहे हैं....* . *🦚कि हे किशोरी जी मुझे प्रसाद में आपकी वह चुन्नी मिल जाए जिसे आप ओढ़े हुए हो तो मैं धन्य हो जाऊं...* . *🦚और आज ऐसा संयोग बना किशोरी जी की कृपा से पुजारी जी की मन में आया और उन्होंने चलते समय बाबा को श्री किशोरी जी की चुन्नी प्रसाद में दे दी...* . *🦚प्रसाद में चुन्नी को पाकर श्री किशोरी जी की कृपा का अनुभव करके बाबा की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा और सीढ़ियों से नीचे उतरने के पश्चात आनंद मध्य लगभग नृत्य करते हुए माधवदास बाबा जैसे ही सड़क की ओर चले...* . *🦚तो आठ वर्ष का एक सांवला सलौना बालक, जिसके घुंघराले बाल और मधुर मुस्कान थी। बाबा के पास आकर बोला-* . *🦚बाबा ! जे चुन्नी मोकूँ दे दे। बाबा बालक की ओर निहारते बोले- लाला बाजार ते दूसरो ले लै। मैं तोकूँ रुपया दे रहौ हूं। ऐसा कहिकै बाबा ने एक रुपया निकारि कै दियौ।* . *🦚बालक ने कहा -बाबा ! मोकूँ पैसा नाय चाहिए। मोकूँ...