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मनु स्मृति में वेद ही By वनिता कासनियां पंजाबमनुस्मृति कहती है- 'श्रुतिस्तु वेदो विज्ञेय:'[6] 'आदिसृष्टिमारभ्याद्यपर्यन्तं ब्रह्मादिभि: सर्वा: सत्यविद्या: श्रूयन्ते सा श्रुति:॥'[7] वेदकालीन महातपा सत्पुरुषों ने समाधि में जो महाज्ञान प्राप्त किया और जिसे जगत के आध्यात्मिक अभ्युदय के लिये प्रकट भी किया, उस महाज्ञान को 'श्रुति' कहते हैं।श्रुति के दो विभाग हैं-1.वैदिक और2.तान्त्रिक- 'श्रुतिश्च द्विविधा वैदिकी तान्त्रिकी च।'मुख्य तन्त्र तीन माने गये हैं-1.महानिर्वाण-तन्त्र,2.नारदपाञ्चरात्र-तन्त्र और3.कुलार्णव-तन्त्र।वेद के भी दो विभाग हैं-1.मन्त्र विभाग और2.ब्राह्मण विभाग- 'वेदो हि मन्त्रब्राह्मणभेदेन द्विविध:।'वेद के मन्त्र विभाग को संहिता भी कहते हैं। संहितापरक विवेचन को 'आरण्यक' एवं संहितापरक भाष्य को 'ब्राह्मणग्रन्थ' कहते हैं। वेदों के ब्राह्मणविभाग में' आरण्यक' और 'उपनिषद'- का भी समावेश है। ब्राह्मणविभाग में 'आरण्यक' और 'उपनिषद'- का भी समावेश है। ब्राह्मणग्रन्थों की संख्या 13 है, जैसे ऋग्वेद के 2, यजुर्वेद के 2, सामवेद के 8 और अथर्ववेद के 1 ।मुख्य ब्राह्मणग्रन्थ पाँच हैं-ऋग्वेद का आवरण1.ऐतरेय ब्राह्मण,2.तैत्तिरीय ब्राह्मण,3.तलवकार ब्राह्मण,4.शतपथ ब्राह्मण और5.ताण्डय ब्राह्मण।उपनिषदों की संख्या वैसे तो 108 हैं, परंतु मुख्य 12 माने गये हैं, जैसे-1.ईश,2.केन,3.कठ,4.प्रश्न,5.मुण्डक,6.माण्डूक्य,7.तैत्तिरीय,8.ऐतरेय,9.छान्दोग्य,10.बृहदारण्यक,11.कौषीतकि और12.श्वेताश्वतर।

मनु स्मृति में वेद ही  By वनिता कासनियां पंजाब मनुस्मृति कहती है- 'श्रुतिस्तु वेदो विज्ञेय:'[6] 'आदिसृष्टिमारभ्याद्यपर्यन्तं ब्रह्मादिभि: सर्वा: सत्यविद्या: श्रूयन्ते सा श्रुति:॥'[7] वेदकालीन महातपा सत्पुरुषों ने समाधि में जो महाज्ञान प्राप्त किया और जिसे जगत के आध्यात्मिक अभ्युदय के लिये प्रकट भी किया, उस महाज्ञान को 'श्रुति' कहते हैं। श्रुति के दो विभाग हैं- 1.वैदिक और 2.तान्त्रिक- 'श्रुतिश्च द्विविधा वैदिकी तान्त्रिकी च।' मुख्य तन्त्र तीन माने गये हैं- 1.महानिर्वाण-तन्त्र, 2.नारदपाञ्चरात्र-तन्त्र और 3.कुलार्णव-तन्त्र। वेद के भी दो विभाग हैं- 1.मन्त्र विभाग और 2.ब्राह्मण विभाग- 'वेदो हि मन्त्रब्राह्मणभेदेन द्विविध:।' वेद के मन्त्र विभाग को संहिता भी कहते हैं। संहितापरक विवेचन को 'आरण्यक' एवं संहितापरक भाष्य को 'ब्राह्मणग्रन्थ' कहते हैं। वेदों के ब्राह्मणविभाग में' आरण्यक' और 'उपनिषद'- का भी समावेश है। ब्राह्मणविभाग में 'आरण्यक' और 'उपनिषद'- का भी समावेश है। ब्राह्मणग्रन्थों की संख्या 1...

वेद वाड्मय-परिचय एवं अपौरु षेयवाद'सनातन धर्म' एवं 'भारतीय संस्कृति' का मूल आधार स्तम्भ विश्व का अति प्राचीन और सर्वप्रथम वाड्मय 'वेद' माना गया है। मानव जाति के लौकिक (सांसारिक) तथा पारमार्थिक अभ्युदय-हेतु प्राकट्य होने से वेद को अनादि एवं नित्य कहा गया है। अति प्राचीनकालीन महा तपा, पुण्यपुञ्ज ऋषियों के पवित्रतम अन्त:करण में वेद के दर्शन हुए थे, अत: उसका 'वेद' नाम प्राप्त हुआ। ब्रह्म का स्वरूप 'सत-चित-आनन्द' होने से ब्रह्म को वेद का पर्यायवाची शब्द कहा गया है। इसीलिये वेद लौकिक एवं अलौकिक ज्ञान का साधन है। 'तेने ब्रह्म हृदा य आदिकवये0'- तात्पर्य यह कि कल्प के प्रारम्भ में आदि कवि ब्रह्मा के हृदय में वेद का प्राकट्य हुआ।सुप्रसिद्ध वेदभाष्यकार महान पण्डित सायणाचार्य अपने वेदभाष्य में लिखते हैं किवनिता कासनियां पंजाब 'इष्टप्राप्त्यनिष्टपरिहारयोरलौकिकमुपायं यो ग्रन्थो वेदयति स वेद:'[1]निरूक्त कहता है कि 'विदन्ति जानन्ति विद्यन्ते भवन्ति0' [2]'आर्यविद्या-सुधाकर' नामक ग्रन्थ में कहा गया है कि— वेदो नाम वेद्यन्ते ज्ञाप्यन्ते धर्मार्थकाममोक्षा अनेनेति व्युत्पत्त्या चतुर्वर्गज्ञानसाधनभूतो ग्रन्थविशेष:॥ [3]'कामन्दकीय नीति' भी कहती है- 'आत्मानमन्विच्छ0।' 'यस्तं वेद स वेदवित्॥' [4] कहने का तात्पर्य यह है कि आत्मज्ञान का ही पर्याय वेद है।सूची1 वेदवाड्मय-परिचय एवं अपौरुषेयवाद2 मनुस्मृति में वेद ही श्रुति3 वेद ईश्वरीय या मानवनिर्मित4 दर्शनशास्त्र के अनुसार5 दर्शनशास्त्र का मूल मन्त्र6 वेद के प्रकार7 टीका टिप्पणी और संदर्भ8 संबंधित लेखवनिता भगवती बतलाती है कि 'अनन्ता वै वेदा:॥' वेद का अर्थ है ज्ञान। ज्ञान अनन्त है, अत: वेद भी अनन्त हैं। तथापि मुण्डकोपनिषद की मान्यता है कि वेद चार हैं- 'ऋग्वेदो यजुर्वेद: सामवेदो ऽथर्ववेद:॥'[5]इन वेदों के चार उपवेद इस प्रकार हैं—By वनिता कासनियां पंजाब द्वाराआयुर्वेदो धनुर्वेदो गान्धर्वश्र्चेति ते त्रय:।स्थापत्यवेदमपरमुपवेदश्र्चतुर्विध:॥उपवेदों के कर्ताओं में1.आयुर्वेद के कर्ता धन्वन्तरि,2.धनुर्वेद के कर्ता विश्वामित्र,3.गान्धर्ववेद के कर्ता नारद मुनि और4.स्थापत्यवेद के कर्ता विश्वकर्मा हैं।

वेद वाड्मय-परिचय एवं अपौरु षेयवाद 'सनातन धर्म' एवं 'भारतीय संस्कृति' का मूल आधार स्तम्भ विश्व का अति प्राचीन और सर्वप्रथम वाड्मय 'वेद' माना गया है। मानव जाति के लौकिक (सांसारिक) तथा पारमार्थिक अभ्युदय-हेतु प्राकट्य होने से वेद को अनादि एवं नित्य कहा गया है। अति प्राचीनकालीन महा तपा, पुण्यपुञ्ज ऋषियों के पवित्रतम अन्त:करण में वेद के दर्शन हुए थे, अत: उसका 'वेद' नाम प्राप्त हुआ। ब्रह्म का स्वरूप 'सत-चित-आनन्द' होने से ब्रह्म को वेद का पर्यायवाची शब्द कहा गया है। इसीलिये वेद लौकिक एवं अलौकिक ज्ञान का साधन है। 'तेने ब्रह्म हृदा य आदिकवये0'- तात्पर्य यह कि कल्प के प्रारम्भ में आदि कवि ब्रह्मा के हृदय में वेद का प्राकट्य हुआ। सुप्रसिद्ध वेदभाष्यकार महान पण्डित सायणाचार्य अपने वेदभाष्य में लिखते हैं कि वनिता कासनियां पंजाब  'इष्टप्राप्त्यनिष्टपरिहारयोरलौकिकमुपायं यो ग्रन्थो वेदयति स वेद:'[1] निरूक्त कहता है कि 'विदन्ति जानन्ति विद्यन्ते भवन्ति0' [2] 'आर्यविद्या-सुधाकर' नामक ग्रन्थ में कहा गया है कि— वेदो नाम व...

armanyevadhikaraste ma falshu probably. Ma karmafalheturbhurma te sangoऽsthvakarmani. Happy Pandav Panchami to all the countrymen. May Lord Radhe Krishna fulfill all your wishes. #PandavPanchami कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।। समस्त देशवासियों को पांडव पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान राधेकृष्ण आप सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करें। #PandavPanchami ಕರ್ಮಣ್ಯೇವಾಧಿಕಾರಸ್ತೇ ಮಾ ಫಲ್ಷು ಬಹುಶಃ । ಮಾಂ ಕರ್ಮಫಲಹೇತುರ್ಭೂರ್ಮಾ ತೇ ಸಾಂಗೋ ⁇ ಸ್ತ್ವಕರ್ಮಣಿ । ಸಮಸ್ತ ನಾಡಿನ ಜನತೆಗೆ ಪಾಂಡವರ ಪಂಚಮಿಯ ಶುಭಾಶಯಗಳು. ಭಗವಾನ್ ರಾಧೆ ಕೃಷ್ಣನು ನಿಮ್ಮ ಎಲ್ಲಾ ಆಸೆಗಳನ್ನು ಪೂರೈಸಲಿ. #ಪಾಂಡವಪಂಚಮಿ

 Karmanyevadhikaraste ma falshu probably. Ma karmafalheturbhurma te sangoऽsthvakarmani. Happy Pandav Panchami to all the countrymen. May Lord Radhe Krishna fulfill all your wishes. #PandavPanchami कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।। समस्त देशवासियों को पांडव पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान राधेकृष्ण आप सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करें। #PandavPanchami ಕರ್ಮಣ್ಯೇವಾಧಿಕಾರಸ್ತೇ ಮಾ ಫಲ್ಷು ಬಹುಶಃ । ಮಾಂ ಕರ್ಮಫಲಹೇತುರ್ಭೂರ್ಮಾ ತೇ ಸಾಂಗೋ ⁇ ಸ್ತ್ವಕರ್ಮಣಿ । ಸಮಸ್ತ ನಾಡಿನ ಜನತೆಗೆ ಪಾಂಡವರ ಪಂಚಮಿಯ ಶುಭಾಶಯಗಳು. ಭಗವಾನ್ ರಾಧೆ ಕೃಷ್ಣನು ನಿಮ್ಮ ಎಲ್ಲಾ ಆಸೆಗಳನ್ನು ಪೂರೈಸಲಿ. #ಪಾಂಡವಪಂಚಮಿ

🚩🪴वेद परिचय🪴🚩1.वेद प्राचीन भारत में रचित विशाल ग्रन्थ हैं। इनकी भाषा संस्कृत है जिसे 'वैदिक संस्कृत' कहा जाता है। ये संस्कृत साहित्य ही नहीं वरन् विश्व साहित्य के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं। वेद हिन्दुओं के धर्मग्रन्थ भी हैं। वेदों को 'अपौरुषेय' (जिसे कोई व्यक्ति न कर सकता हो) माना जाता है तथा ब्रह्मा को इनका रचयिता माना जाता है। इन्हें 'श्रुति' भी कहते हैं जिसका अर्थ है 'सुना हुआ' ।'वेद' शब्द संस्कृत भाषा के "विद्" धातु से बना है। 'वेद' का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान के ग्रंथ' है। ये वेद चार हैं, परंतु इन चारों को मिलाकर एक ही 'वेद ग्रंथ' समझा जाता था।एक एव पुरा वेद: प्रणव: सर्ववाङ्मय - महाभारतबाद में वेद को पढ़ना बहुत कठिन प्रतीत होने लगा, इसलिए उसी एक वेद के तीन या चार विभाग किए गए। तब उनको 'वेदत्रयी' अथवा 'चतुर्वेद' कहने लगे।By वनिता कासनियां पंजाब द्वारावर्तमान में विज्ञान शब्द वैसा ही चमत्कारिक है जैसा कि प्राचीनकाल में वेद शब्द था। उस समय चारों वेद विशुद्ध ज्ञान-विज्ञान एवं विद्या के द्योतक थे।

 🚩🪴वेद परिचय🪴🚩 1.वेद प्राचीन भारत में रचित विशाल ग्रन्थ हैं। इनकी भाषा संस्कृत है जिसे 'वैदिक संस्कृत' कहा जाता है। ये संस्कृत साहित्य ही नहीं वरन् विश्व साहित्य के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं। वेद हिन्दुओं के धर्मग्रन्थ भी हैं। वेदों को 'अपौरुषेय' (जिसे कोई व्यक्ति न कर सकता हो) माना जाता है तथा ब्रह्मा को इनका रचयिता माना जाता है। इन्हें 'श्रुति' भी कहते हैं जिसका अर्थ है 'सुना हुआ' । 'वेद' शब्द संस्कृत भाषा के "विद्" धातु से बना है। 'वेद' का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान के ग्रंथ' है। ये वेद चार हैं, परंतु इन चारों को मिलाकर एक ही 'वेद ग्रंथ' समझा जाता था। एक एव पुरा वेद: प्रणव: सर्ववाङ्मय - महाभारत बाद में वेद को पढ़ना बहुत कठिन प्रतीत होने लगा, इसलिए उसी एक वेद के तीन या चार विभाग किए गए। तब उनको 'वेदत्रयी' अथवा 'चतुर्वेद' कहने लगे। By वनिता कासनियां पंजाब द्वारा वर्तमान में विज्ञान शब्द वैसा ही चमत्कारिक है जैसा कि प्राचीनकाल में वेद शब्द था। उस समय चारों वेद विशुद्ध ज्ञान-विज्ञान एवं विद्या के द्योतक थे...

अपने दिमाग को कैसे बढ़ाएं ?दिमाग को अधिक विकसित करने के कूछ तरीके1- अपनी खोपड़ी में से कभी भी भूलकर सफेद बालों को नही उखाड़ना चाहिए।वनिता कासनियां पंजाब द्वाराNote- अपनी खोपड़ी में से बाल इसलिए नही उखाड़ने चाहिए क्योंकि जब हम अपनी खोपड़ी में से बालों को उखाड़ते हैं तो दिमाग की नशे सिकुड़ जाती है।जो कि हमारे दिमाग के लिए अच्छा नहीं है।2- दिन में 4 या 5 बार अपने दूसरे हाथ से लिखने की कोशिश करें।Note-; दिन में अपने दूसरे हाथ से लिखने की कोशिश इसलिए करें, जब हम अपने दूसरे हाथ से लिखेंगे तो उस समय हमारे दिमाग के पास अलग सकेंत जाएगा क्योंकि यह काम हमारी दिनचर्या से अलग है तो दिमाग को इस कार्य को समझने के लिए ओर नेरोसेल्स विकसित करने पड़ेंगे जो हमारे दिमाग के लिए बहुत ही अच्छा है।3- पूरे दिन में एक या दो घंटे किताब को उलटी करके जरूर पढ़ें।Note-; इस तकनीक को अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी अपनाते हैं।दिन में एक दो घंटे किताब को उलटी करके की कोशिश जरूर करें, जब हम किताब को उलटी करके पढ़ते हैं तो हमारी एकाग्रता में बहुत तेज विकास होता है। क्योकि उलटी करके पढ़ने के दौरान नए नेरोसेल्स बनने की प्रक्रिया थोड़ी अधिक होती है।4- रात को नींद पूरी ले।Note-; जो अपने दिमाग से अपनी क्षमता से ज्यादा काम लेते हैं।वो लोग पढ़े लिखे अनपढ़ होते है।क्योंकि वो यह नही जानते हैं कि दिमाग अच्छी तरह से याद जब ही कर पायेगा जब दिमाग को भोजन पूरा मिलेगा।और दिमाग का भोजन होता है।लगभग 7 घण्टे की अच्छी नींद।5- किताब को बार बार याद करने से अच्छा है।उसको समझ लेना।Note -; इस बात को आप जानते हैं कि याद किया गया। exam में अच्छे अंक तो ला सकते हैं।लेकिन कॉलेज के आपको अपने मन पसंद जॉब नहीं मिल पाएगी। इसलिए विषयों को याद करने की अपेक्षा उनको समझकर याद करो।6-; दो घंटे लगातार काम करने के बाद,10 मिनट का आराम जरूर ले।Note-; दो घंटे काम करने के बाद या पढ़ने के बाद 15 मिंनट आराम बहुत जरूरी होता है।आप यह कभी भी मत समझना कि 15 मिंनट आराम की बेकार गयी। आराम करने से आपका दिमाग अधिक बड़ेंगा। क्योकिं आराम के दौरान किये गए काम को समझकर ओर अच्छी तरह से काम करेंगा।7- ; जब दिमाग में अधिक विचार आ रहे हो तो उस समय नही पढ़े।कुछ समय बाद पढ़े।Note-; जिस समय दिमाग में विचार आ रहे हो उस समय नही पढ़े अगर समय आप पढ़ते हो तो उस समय की पढ़ाई बेकार जाएगी।क्योकिं जो आपने पढ़ा है दिमाग उस जानकारी को एकत्रित नही कर पायेगा।फिर आपकी मेहनत बेकार चली जाएगी। क्योंकि उस समय में आपका दिमाग अन्य विचारों में busy था।8- कार्य कितना भी कठिन हो उस सरल समझकर हल करों।Note-;; मन के हारे हार जाते हैं।मन के जीते जीत जाते हैं।काम कितना भी बड़ा हो उसे सरल समझकर हल करें।ऐसा करने से आपका दिमाग सही तरीके से किसी भी काम मे फैसला ले सकता है।pic from गूगल9- आज का काम आज ही समाप्त करों।Note-; अगर आप आज के कार्य को आज ही नही समाप्त करते होतो आपका दिमाग आलसी हो सकता है।अगर आपका दिमाग…………..ओर अधिक पढ़े।बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

  अपने दिमाग को कैसे बढ़ाएं ? दिमाग को अधिक विकसित करने के कूछ तरीके 1-  अपनी खोपड़ी में से कभी भी भूलकर सफेद बालों को नही उखाड़ना चाहिए। वनिता कासनियां पंजाब द्वारा Note - अपनी खोपड़ी में से बाल इसलिए नही उखाड़ने चाहिए क्योंकि जब हम अपनी खोपड़ी में से बालों को उखाड़ते हैं तो दिमाग की नशे सिकुड़ जाती है।जो कि हमारे दिमाग के लिए अच्छा नहीं है। 2- दिन में 4 या 5 बार अपने दूसरे हाथ से लिखने की कोशिश करें। Note -; दिन में अपने दूसरे हाथ से लिखने की कोशिश इसलिए करें, जब हम अपने दूसरे हाथ से लिखेंगे तो उस समय हमारे दिमाग के पास अलग सकेंत जाएगा क्योंकि यह काम हमारी दिनचर्या से अलग है तो दिमाग को इस कार्य को समझने के लिए ओर नेरोसेल्स विकसित करने पड़ेंगे जो हमारे दिमाग के लिए बहुत ही अच्छा है। 3 - पूरे दिन में एक या दो घंटे किताब को उलटी करके जरूर पढ़ें। Note -; इस तकनीक को अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी अपनाते हैं। दिन में एक दो घंटे किताब को उलटी करके की कोशिश जरूर करें, जब हम किताब को उलटी करके पढ़ते हैं तो हमारी एकाग्रता में बहुत तेज विकास होता है। क्योकि उलटी करके पढ़ने के दौरान नए नेरो...
सबसे हॉट पेंट रंग: इस साल आगे देखने के लिए रुझा महामारी के बीच दो सालके बाद, डिजाइन विशेषज्ञों ने माना है कि घर के मालिकऐसे रंग पसंद करते हैं जो अंदरूनी हिस्से को प्रेरित और उज्ज्वल करते हैं। रंग भावनाओं और मनोदशा को प्रभावित करते हैं, यही कारण है कि अपने घर के लिए सही रंग चुनना महत्वपूर्ण है। जैसे ही हम नए साल 2022 में कदम रखते हैं, हम उन रंग रुझानों का पता लगाते हैं जो घर के अंदरूनी हिस्सों पर हावी होंगे। मिट्टी के रंग मिट्टी के रंग आशावाद और शांति पैदा करते हैं। इंटीरियर डिजाइनरों के अनुसार, प्रकृति से प्रेरित रंग या भूरे रंग जैसे हरे और भूरे रंग 2022 में चलन में होंगे। लिविंग रूम, बेडरूम और आपके घर के अन्य स्थानों के लिए इन कमरों के रंगों का एक पानी का छींटा एक स्फूर्तिदायक प्रभाव लाएगा।   इस अभूतपूर्व महामारी की स्थिति में और हम में से कई लोगों के घर के अंदर रहने के लिए, दीवारों के रंगों और अन्य तत्वों के लिए हरे और अन्य मिट्टी के रंगों के समृद्ध रंग एक हंसमुख मानसिकता को प्रोत्साहित करेंगे।\ (स्रोत:  href="https://in.pinterest.com/pin/422281206899676/" target="_bla...

🚩🪴दीपावली🪴🚩नर्क चतुर्दशीदीपदान की विशेष प्रथा है, जो यमराज के लिए किया जाता हैBy वनिता कासनियां पंजाबयह त्यौहार नरक चौदस व नर्क चतुर्दशी के नाम से भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं।नर्क चतुर्दशीKrishna Narakasura.jpgकृष्ण और सत्यभामा नरकासुर मर्दन करते हुए- चित्रांकनआधिकारिक नामनर्क चतुर्दशी व्रतअनुयायीहिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासीप्रकारHinduतिथिकार्तिक कृष्ण चतुर्दशीसंध्या को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। दीपावली को एक दिन का पर्व कहना न्योचित नहीं होगा। इस पर्व का जो महत्व और महात्मय है उस दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण पर्व व हिन्दुओं का त्यौहार है। यह पांच पर्वों की श्रृंखला के मध्य में रहने वाला त्यौहार है जैसे मंत्री समुदाय के बीच राजा। दीपावली से दो दिन पहले धन-त्रयोदशी (धनतेरस) फिर नरक चतुर्दशी (नरक चौदस) व छोटी दीपावली फिर दीपावली और गोवर्धन पूजा व बलि प्रतिपदा, भ्रातृ-द्वितीया (भाईदूज) ।परिदृश्यसंपादित करेंनरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहते हैं। इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि दीपावली से एक दिन पहले, रात के समय उसी प्रकार दीए की जगमगाहट से रात के तिमिर को प्रकाश पुंज से दूर भगा दिया जाता है जैसे दीपावली की रात को। इस रात दीए जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएँ और लोकमान्यताएँ हैं। (एक कथा के अनुसार आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी नरकासुर का वध किया था और सोलह सहस्र एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इस उपलक्ष में दीयों की बारत सजायी जाती है।)इस दिन के व्रत और पूजा के संदर्भ में एक अन्य कथा यह है कि रन्ति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था पर जब मृत्यु का समय आया तो उनके सामने यमदूत आ खड़े हुए। यमदूत को सामने देख राजा अचम्भित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का अर्थ है कि मुझे नर्क जाना होगा। आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है। पुण्यात्मा राजा की अनुनय भरी वाणी सुनकर यमदूत ने कहा हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक भूखा ब्राह्मण लौट गया यह उसी पापकर्म का फल है।दूतों की इस प्रकार कहने पर राजा ने यमदूतों से कहा कि मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझे वर्ष का और समय दे दे। यमदूतों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दिया। राजा अपनी समस्या लेकर ऋषियों के पास पहुंचा और उन्हें सब वृतान्त कहकर उनसे पूछा कि कृपया इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय है। ऋषि बोले हे राजन् आप कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्रह्मणों को भोजन करवा कर उनसे अनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें।राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया। इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करने का बड़ा महात्मय है। स्नान के पश्चात विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है। इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उपरोक्त कारणों से नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी और छोटी दीपावली के नाम से जाना जाता है। और इसके उपरान्त क्रमशः दीपावली, गोधन पूजा और भाई दूज (भ्रातृ-द्वितीया) मनायी जाती है।कथासंपादित करेंपौराणिक कथा है कि इसी दिन कृष्ण ने एक दैत्य नरकासुर का संहार किया था। सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नानादि से निपट कर यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करने का विधान है। संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं।उद्देश्यइस त्योहार को मनाने का मुख्य उद्देश्य घर में उजाला और घर के हर कोने को प्रकाशित करना है। कहा जाता है कि दीपावली के दिन भगवान श्री राम चन्द्र जी चौदह वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या आये थे तब अयोध्या वासियों ने अपने हर्ष के दीयें जलाकर उत्सव मनाया व भगवान श्री रामचन्द्र माता जानकी व लक्ष्मण का स्वागत किया।

🚩🪴दीपावली🪴🚩 नर्क चतुर्दशी दीपदान की विशेष प्रथा है, जो यमराज के लिए किया जाता है By  वनिता कासनियां पंजाब यह त्यौहार  नरक चौदस  व  नर्क चतुर्दशी  के नाम से भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं। नर्क चतुर्दशी कृष्ण  और  सत्यभामा  नरकासुर मर्दन करते हुए- चित्रांकन आधिकारिक नाम नर्क चतुर्दशी व्रत अनुयायी हिन्दू , भारतीय, भारतीय प्रवासी प्रकार Hindu तिथि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी संध्या को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। दीपावली को एक दिन का पर्व कहना न्योचित नहीं होगा। इस पर्व का जो महत्व और महात्मय है उस दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण पर्व व हिन्दुओं का त्यौहार है। यह पांच पर्वों की श्रृंखला के मध्य में रहने वाला त्यौहार है जैसे मंत्री समुदाय के बीच राजा। दीपावली से दो दिन पहले धन-त्रयोदशी (धनतेरस) फिर नरक चतुर्दशी (न...